मोदी सरकार ने फैमिली पेंशन के नियम बदले, महिलाओं को मिलेगी बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने फैमिली पेंशन से जुड़े नियम में अहम बदलाव किया है। सरकार ने महिला कर्मचारियों को पति के बजाय अपने बेटे या बेटी को पारिवारिक पेंशन के लिए नामांकित करने की अनुमति दे दी है।
Family Pension: केंद्र सरकार ने फैमिली पेंशन से जुड़े नियम में अहम बदलाव किया है। सरकार ने महिला कर्मचारियों को पति के बजाय अपने बेटे या बेटी को पारिवारिक पेंशन के लिए नामांकित करने की अनुमति दे दी है। पहले महिला कर्मचारियों को यह सुविधा नहीं मिलती थी। पहले फैमिली पेंशन, मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी के पति या पत्नी को दी जाती थी जबकि परिवार के अन्य सदस्य पति या पत्नी की अपात्रता या मृत्यु के बाद ही पात्र बनते थे। सरकार के इस नए नियम से उन महिला कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जिनकी अपने पति के साथ नहीं बनती या फिर तलाक ले रही हैं। अब ऐसी महिलाएं अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित कर सकेंगी।
क्या कहा मंत्री ने
इस नए नियम की जानकारी देते हुए केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों में एक संशोधन पेश किया है, जिसमें स्वयं के निधन के बाद पति/पत्नी के स्थान पर बच्चे/बच्चों को पेंशन दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह संशोधन उन स्थितियों में कारगर होगा जहां वैवाहिक कलह के कारण तलाक की कार्यवाही होती है। इसी तरह, घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, दहेज निषेध अधिनियम या भारतीय दंड संहिता जैसे कानूनों के तहत मामले दर्ज किए जाते हैं। इन तमाम परिस्थितियों में फैमिली पेंशन के लिए अपनी सुविधा के हिसाब से बदलाव किया जा सकेगा।
लिखित अनुरोध की जरूरत
सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, महिला सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी को संबंधित कार्यालय प्रमुख को एक लिखित अनुरोध करना होगा। इस अनुरोध पत्र में कहना होगा कि उसके पति से पहले उसके पात्र बच्चे/बच्चों को पारिवारिक पेंशन दी जानी चाहिए। अगर इस प्रक्रिया के दौरान महिला सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की मृत्यु हो जाती है, तो फैमिली पेंशन अनुरोध पत्र के अनुसार वितरित किया जाएगा।
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अगर महिला विधवा हो और बच्चे ना हो?
अगर सरकारी महिला कर्मचारी विधवा है और उसका कोई अन्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में किसी का दावा नहीं बनता। कोई विधवा किसी नाबालिग बच्चे या मानसिक विकार से पीड़ित बच्चे की संरक्षक है तो विधवा को फैमिली पेंशन तब तक देय होगी, जब तक वह अभिभावक बनी रहेगी। एक बार बच्चा वयस्क हो जाए और पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र रहता है तो यह सीधे बच्चे को देय होगा।
ऐसे मामलों में जहां मृत महिला सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी के पास एक विधवा और बच्चे हैं जो वयस्क हो गए हैं लेकिन फिर भी फैमिली पेंशन के लिए पात्र हैं, ऐसे बच्चों को पारिवारिक पेंशन देय होगी।
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