शेयर बाजार को अधिग्रहण को लेकर NDTV ने दी ये जानकारी, विस्तार से समझें पूरा मामला
अडानी समूह की फर्म विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) के लिए एनडीटीवी की प्रमोटर्स यूनिट आरआरपीआर लिमिटेड में हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने के लिए बाजार नियामक सेबी की मंजूरी जरूरी है।
अडानी समूह की फर्म विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) के लिए एनडीटीवी की प्रमोटर्स यूनिट आरआरपीआर लिमिटेड में हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने के लिए बाजार नियामक सेबी की मंजूरी जरूरी है। एनडीटीवी द्वारा शेयर बाजार को दी गई एक जानकारी में यह बात कही गई। वीसीपीएल द्वारा आरआरपीएल को बिना ब्याज के दिए गए लोन के बदले यह अधिग्रहण किया जाना है।
शेयर बाजार को दी गई सूचना में कहा गया, ''भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 27 नवंबर 2020 को संस्थापक-प्रवर्तकों प्रणय और राधिका रॉय को प्रतिभूति बाजार में जाने से रोक दिया था, और आगे दो साल के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री, या अन्यथा लेनदेन पर रोक लगा दी थी।'' एनडीटीवी ने बताया कि यह प्रतिबंध 26 नवंबर 2022 को खत्म हो रहा है।
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कंपनी ने शेयर बाजार को बताया, ''जब तक लंबित अपील कार्यवाही को सफलतापूर्वक पूरा नहीं किया जाता है, प्रस्तावित अधिग्रहणकर्ता के लिए प्रवर्तक समूह के 99.5 प्रतिशत हितों को हासिल करने के लिए सेबी की मंजूरी जरूरी है।'' अडानी समूह ने मंगलवार को कहा था कि उसने एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है और वह अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक खुली पेशकश शुरू करेगा। अडाणी समूह द्वारा एनडीटीवी के 'जबरन' अधिग्रहण के कदम पर विधि विशेषज्ञों का कहना है कि इस संबंध में 2009-10 में परिवर्तनीय वॉरंट जारी करने की शर्तें महत्वपूर्ण होंगी और किसी भी विवाद को लेकर निर्णय अनुबंध की शर्तों के तहत ही होगा।
उल्लेखनीय है कि कंपनियां पूंजी जुटाने के लिये वॉरंट जारी करती हैं। यह प्रतिभूतियों की तरह होता है जो निवेशकों को भविष्य में निर्धारित तारीख को एक निश्चित कीमत पर कंपनी में शेयर खरीदने का अधिकार देता है। इस अधिग्रहण के पीछे मुख्य कारण वह बकाया कर्ज है जो एनडीटीवी की प्रवर्तक कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड ने विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लि. (वीसीपीएल) से लिया था। इकाई ने 2009-10 में 403.85 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। इस कर्ज के एवज में आरआरपीआर ने वॉरंट जारी किये थे। इस वॉरंट के जरिये वीसीपीएल के पास कर्ज नहीं लौटाने की स्थिति उसे आरआरपीआर में 99.9 प्रतिशत हिस्सेदारी में बदलने का अधिकार था। अडानी समूह की कंपनी ने पहले वीसीपीएल का अधिग्रहण किया और बकाया लोन को एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी में बदलने के विकल्प का प्रयोग किया।
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