जानें अपने अधिकार: फ्लाइट 24 घंटे से अधिक लेट तो होटल में ठहराना विमानन कंपनी की जिम्मेदारी
नगारिक उड्डयन महानिदेशालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत उड़ान में निर्धारित समय से 24 घंटे से कम की देरी होने पर यात्री विमानन कंपनी से हवाई अड्डा पर खाना-पीना और रिफ्रेशमेंट पाने का हकदार है।
विमानन कंपनियों द्वारा सेवाओं में कमी को लेकर यात्रियों की शिकायतों में भी बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। अधिकांश शिकायतें उड़ान में देरी, रद्द होने, समान खो जाने या नुकसान को लेकर है। अभी हाल ही में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विमानन कंपनी के कर्मचारियों के हड़ताल की वजह से अंतरराष्ट्रीय उड़ान रद्द करनी पड़ी।
नगारिक उड्डयन महानिदेशालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत उड़ान में निर्धारित समय से 24 घंटे से कम की देरी होने पर यात्री विमानन कंपनी से हवाई अड्डा पर खाना-पीना और रिफ्रेशमेंट पाने का हकदार है। यदि उड़ान में 24 घंटे से अधिक की देरी होता है तो विमानन कंपनी की जिम्मेदार है कि वह यात्री को अपने खर्चे में होटल में ठहरने का प्रबंध करे। होटल कंपनी के पसंद का होगा।
उड़ान रद्द होने पर मुआवजा पाने का हकदार
डीजीसीए के अनुसार, विमानन कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह उड़ान रद्द होने के बारे में यात्रा की तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले जानकारी दे। यदि कंपनी ऐसा नहीं करती है तो यात्री टिकट की कीमत वापस पाने के साथ मुआवजा पाने का हकदार है। मुआवजे की रकम पांच हजार से दस हजार रुपये तक हो सकता है।
तुरंत पैसा पाने का हकदार
नियमों के अनुसार यदि टिकट का भुगतान यात्री ने नकद किया है तो विमान रद्द होने विमानन कंपनी को तत्काल पैसा वापस करना होगा। बैंक या कार्ड से भुगतान होने पर पैसों की वापसी सात दिनों के भीतर करना होगा।
सामान खो जाने पर भी मुआवजा
यात्रा के दौरान पर आपका कोई सामान खो जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है तो आप मुआवजा पाने के हकदार होंगे। इसके लिए आपको तुरंत एयरपोर्ट पर ही लिखित शिकायत दर्ज करानी होगी। इसके साथ ही यात्री को हवाई अड्डा से बाहर आने से पहले अपने सामान के बारे में अनियमितता रिपोर्ट लेना भी अनिवार्य है। क्षतिग्रस्त होने के मामले में विमानन कंपनी आपके सामान की मरम्मत के लिए भुगतान कर सकती है या उस बैग या सूटकेस बदल देगी। सामान खो जाने पर विमानन कंपनी आप मुआवजा पाने के हकदार हैं।
बोर्डिंग से मना करने पर
यदि विमान में ओवरबुकिंग के चलते यात्रियों को कंफर्म बुकिंक के बाद भी यात्रा/बोर्डिंग से मना करता है तो विमानन कंपनी की यह जिम्मेदारी है कि वह यात्री को किसी अन्य वैकल्पिक फ्लाइट की टिकट का प्रबंध करे। वैकल्पिक फ्लाइट छूटने का समय पहले वाली बुकिंग के समय से सिर्फ एक घंटे के भीतर हो। वैकल्पिक विमान में टिकट का प्रबंध नहीं करने पर यात्री पूरा किराया वापसी के साथ बेसिक किराये का 400 फीसदी फ्यूल सरचार्ज के साथ मुआवजा पाने का हकदार है। मुआवजा अधिकतम 20 हजार रुपये तक ही हो सकता है।
दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता शोएब हैदर के मुताबिक देश में बड़ी तदाद में लोग हवाई यात्रा करते हैं। लेकिन कई बार उड़ान में कई घंटे तक की देरी हो जाती है या रद्द हो जाती है। ऐसे में यात्री अपने गंतव्य तक समुय से नहीं पहुंच पाता है तो उनका नुकसान होता है। लेकिन अधिकारों के बारे में उचित जानकारी नहीं होने के बाद यात्री समुचित शिकायत नहीं कर पाते हैं और अपना नुकसान करा लेता है।
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