GST कानून में इस नए बदलाव से कारोबारियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव, जानें डीआरसी-01सी फॉर्म के फायदे और नुकसान
GST News: डीआरसी-01सी एक ऐसा फॉर्म है और उन करदाताओं पर प्रभाव डालता है , जो अपना जीएसटीआर-3बी दाखिल करने से पहले हर महीने अपने इनपुट टैक्स क्रेडिट के समाधान के बारे में सतर्क नहीं होते हैं।
पिछली बैठक में परिषद ने जीएसटी अनुपालन को सुव्यवस्थित करने के लिए जीएसटी कानून में नए बदलावों की सिफारिश की थी, विशेष रूप से जीएसटी रिटर्न के बीच अंतर के लिए डीआरसी-01 फॉर्म के कार्यान्वयन का प्रस्ताव दिया था। इन फॉर्मों में से जारी एक नई अधिसूचना में डीआरसी-01सी नामक एक विशिष्ट नए फॉर्म के साथ केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (CGST) नियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया गया है। आइए समझें डीआरसी-01सी है क्या?
फॉर्म डीआरसी-01सी रिटर्न में विसंगतियों के लिए जीएसटी करदाताओं को खुद से सूचित (Automated Intimations ) करने वाला पहला फॉर्म नहीं है। कुछ महीने पहले, सरकार ने जीएसटीआर-1/आईएफएफ और जीएसटीआर-3बी के बीच अंतर के लिए एक समान फॉर्म डीआरसी-01बी पेश किया था। डीआरसी-01सी फॉर्म उन करदाताओं पर प्रभाव डालता है , जो अपना जीएसटीआर-3बी दाखिल करने से पहले हर महीने अपने इनपुट टैक्स क्रेडिट के समाधान के बारे में सतर्क नहीं होते हैं।
फॉर्म डीआरसी-01सी में सूचना प्राप्त करना कई कारणों से करदाताओं के लिए दिक्कतें पैदा कर सकता है। क्लियर टैक्स के फाउंडर और सीईओ अर्चित गुप्ता के मुताबिक ज्यादातर मामलों में, फॉर्म डीआरसी-01सी में सूचना के साथ दावा किए गए आईटीसी में अंतर की मांग नोटिस के साथ धारा 50 के तहत देय ब्याज भी शामिल होता है, जो व्यवसाय के कैश फ्लो को अनावश्यक रूप से प्रभावित करता है।
- समय पर अपने इनपुट टैक्स क्रेडिट का समाधान न करने और विक्रेताओं के साथ संवाद न करने से, करदाताओं को जीएसटीआर-2बी और जीएसटीआर-3बी के बीच अंतर के बारे में सूचना प्राप्त होगी, भले ही कभी-कभी चालान (इनवॉयस) अपलोड न करना विक्रेताओं की गलती भी हो सकती है।
- यदि करदाता सात दिनों के भीतर जवाब नहीं देता है, तो इससे जीएसटी कानून के तहत मांग और वसूली की कार्यवाही शुरू हो सकती है, जिससे उद्यम के लिए अनावश्यक तनाव और खर्च हो सकता है।
जबकि सीए मनीष गर्ग कहते हैं कि नए फॉर्म डीआरसी-01सी के तहत स्वचालित रिटर्न जांच प्रतिक्रियाशील अनुपालन के बजाय सक्रिय अनुपालन पर जोर देती है। समय पर विसंगतियों का पता लगाने में विफलता के परिणामस्वरूप व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। स्वचालित समाधान डेटा ऑटो-पॉपुलेशन, एक-क्लिक समाधान और जीएसटी फाइलिंग जैसे विकल्प प्रदान करते हैं, जिससे मैन्युअल हस्तक्षेप और मानवीय त्रुटियां समाप्त हो जाती हैं।
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