Government warning to airlines portals that refuse boarding even if there is a confirmed ticket कन्फर्म टिकट होने पर भी बोर्डिंग से मना करने वाले एयरलाइंस पोर्टलों को सरकार की चेतावनी, Business Hindi News - Hindustan
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कन्फर्म टिकट होने पर भी बोर्डिंग से मना करने वाले एयरलाइंस पोर्टलों को सरकार की चेतावनी

Complain: एयरलाइंस के संबंध में 10,000 शिकायतें दर्ज की गईं हैं। एनसीएच डेटा से पता चलता है कि लगभग 41% शिकायतें टिकट रद्द करने के बाद भी एयरलाइंस द्वारा रिफंड से इनकार करने से संबंधित हैं।

Drigraj लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 26 Oct 2023 06:50 AM
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कन्फर्म टिकट होने पर भी बोर्डिंग से मना करने वाले एयरलाइंस पोर्टलों को सरकार की चेतावनी

यात्रियों के साथ धोखा करने वाली एयरलाइंस कंपनियों और ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर्स को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने चेतावनी दी है। ये सभी  "मुफ्त अनिवार्य वेब चेक-इन" के 'मिसलिडिंग क्लेम' के बावजूद प्रत्येक सीट को 'Paid' के रूप में दिखाते हैं। टीओआई की खबर के मुताबिक कन्फर्म टिकट होने पर भी यात्रियों को बोर्डिंग से मना कर दिया जाता है और रिफंड में देरी की जाती है।

एक साल में 10,000 शिकायतें मिलीं

पिछले एक साल में, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के साथ एयरलाइंस के संबंध में लगभग 10,000 शिकायतें दर्ज की गईं हैं। एनसीएच डेटा से पता चलता है कि लगभग 41% शिकायतें टिकट रद्द करने के बाद भी एयरलाइंस द्वारा रिफंड से इनकार करने से संबंधित हैं।  इसके बाद सेवाओं में कमी (15%) है। लगभग 5% शिकायतें वैध टिकट रखने वाले यात्रियों के बावजूद बोर्डिंग से इनकार करने से संबंधित हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि बोर्डिंग से इनकार करने पर यात्रियों को या तो अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ती है या अत्यधिक कीमत पर नए टिकट बुक करने पड़ते हैं।  उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया है कि इतनी शिकायतें यह संकेत देती हैं कि उनका प्रभावी ढंग से समाधान नहीं किया जाता है।

क्या कर रही हैं कंपनियां

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने संकेत दिया है कि एयरलाइंस इस तरह से ऑनलाइन इंटरफेस डिजाइन कर रही थी, जो "उपभोक्ता की मर्जी को खत्म कर देती है और डिसीजन में ही हेरफेर करती है।"  विभाग ने कहा है कि इस तरह का 'भ्रामक और छलपूर्ण आचरण' उपभोक्ताओं के हितों का शोषण करता है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय विभाग ने कहा है कि इस तरह के "ऑनलाइन इंटरफेस में गलत तरीके से डार्क पैटर्न का उपयोग करके भ्रामक और चालाकीपूर्ण आचरण" उपभोक्ताओं के हितों का शोषण करता है।  इसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अनुचित व्यापार अभ्यास के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

 

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