खुशखबरी : कर्मचारी अपनी मर्जी से बढ़वा सकेंगे मंथली सैलरी, सरकार ला रही नया कानून
आपकी टेक होम सैलरी (हाथ में आने वाला वेतन) जल्द बढ़ सकती है। सरकार इसके लिए ‘सोशल सिक्योरिटी कोड 2019’ बिल लाई है। कैबिनेट से इस बिल को मंजूरी मिल गई है। इस हफ्ते बिल को संसद के पटल पर...
आपकी टेक होम सैलरी (हाथ में आने वाला वेतन) जल्द बढ़ सकती है। सरकार इसके लिए ‘सोशल सिक्योरिटी कोड 2019’ बिल लाई है। कैबिनेट से इस बिल को मंजूरी मिल गई है। इस हफ्ते बिल को संसद के पटल पर रखा जा सकता है। इस बिल में कामकाजी लोगों को अपना भविष्य निधि (पीएफ) कोष में योगदान घटाने का विकल्प दिया गया है। अगर यह बिल संसद में पारित हो जाता है तो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) इस नियम को नोटिफाई कर देगा। इसके बाद कर्मचारी पीएफ में कटने वाले हिस्से को कम कर अपनी सैलरी बढ़ा सकेंगे।
वर्तमान में कर्मचारियों के मूल वेतन (बेसिक सैलरी) का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ के रूप में काटा जाता है। कंपनी को भी मूल वेतन का 12 फीसदी रकम ईपीएफओ में जमा करना होता है, लेकिन इस रकम का 8.33 फीसदी ईपीएस यानी कर्मचारी पेंशन योजना में चला जाता है। अब सोशल सिक्योरिटी बिल, 2019 में कर्मचारियों वाले हिस्से को घटाने का प्रस्ताव किया गया है। नए बिल के मुताबिक, कर्मचारियों को यह अधिकार दिया जाएगा कि वो अपनी इच्छा से चाहे तो पीएफ के लिए कम राशि कटवा सकता है। मतलब यह कि कर्मचारी अपना हिस्सा 12 फीसदी से कम कटवा सकेगा।
क्या होगा फायदा
जानकारों का कहना है कि भविष्य निधि के हिस्से में कम रकम जमा करने से कर्मचारियों को हाथ में अधिक सैलरी आएगी। यह रकम भविष्य निधि (पीएफ) में कम कटौती करने से मिलेगी। सरकार की योजना इस तरह के बदलाव कर आम लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा देना है। इससे नौकरीपेशा वर्ग को खर्च करने की क्षमता बढ़गी। इससे बाजार में खरीदारी बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार को तेज करने में मदद मिलेगी।
क्या होगा नुकसान
पीएफ में कम रकम जमा करने से फौरी तौर पर कर्मचारियों को महीने के अंत में मिलने वाला वेतन बढ़ेगा तो जरूर लेकिन इसके चलते रिटायरमेंट में कमी आएगी। ऐसा इसलिए कि जब पीएफ में अधिक रकम जमा होता है तो रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला फंड काफी बड़ा होता है। इसके साथ ही उस पर मिलने वाले पेंशन की राशि भी अधिक होती है। लेकिन, पीएफ में कम करम जमा करने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला फंड पर पड़ेगा। कम अंशदान होने पर रिटायरमेंट फंड भी कम होगा।
कई अन्य बदलावों की तैयारी
इसके अलावा श्रम मंत्रालय ने अपने उस प्रस्ताव को भी वापस लिया है, जिसमें कहा गया था कि ईपीएफओ से जुड़े लोगों को नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) को अपनाने का विकल्प दिया जाए। इसके अलावा बिल के मुताबिक कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत उपलब्ध फंड के तहत एक सामाजिक सुरक्षा फंड बनाया जाएगा, जिससे सभी कर्मचारियों को पेंशन, स्वास्थ्य कवर, मृत्यु और विकलांगता जैसे लाभ दिए जाएंगे। बिल में कहा गया है कि 10 या उससे ज्यादा की कर्मचारी संख्या वाले सभी प्रतिष्ठानों को अपने कर्मचारियों को ईएसआईसी के तहत कई तरह की सुविधाएं देनी होगी।
मिलेगा यूनिक आईकार्ड
नए सोशल सिक्युरिटी कोड बिल 2019 में केंद्र सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक बड़ा ऐलान किया है। इसके तहत इस क्षेत्र के वर्करों को एक यूनिक आइडेंटिटी कार्ड (आईकार्ड) दिया जाएगा। इस कार्ड में श्रमिकों से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध होगी। यह यूनिक आईकार्ड आधार कार्ड से लिंक होगा। इस कार्ड के जरिए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकआसानी से सरकारी सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे।
चुनिंदा सेक्टर पर लागू होगी
पीएफ में कम योगदान का नियम हर सेक्टर पर लागू नहीं होगा। इसकी अनुमति एमएसएमई, वस्त्र और स्टार्टअप क्षेत्र की कंपनियों के लिए ही होगी। सेक्टर के आधार पर ईपीएफओ में कर्मचारियों का अंशदान 9-12 फीसद के बीच रह सकता है। कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं के अंशदान से हर साल ईपीएफओ के पास 1.3 खरब रुपये जमा होते हैं। एक आकलन के मुताबिक चुनिंदा सेक्टर्स में अंशदान में दो से तीन फीसद की कमी से हर साल खर्च के लिए 3,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह राशि ऐसे समय खपत बढ़ाने के लिहाज से बहुत कम है जब देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार छह साल से भी अधिक समय के निचले स्तर पर पहुंच गई है।
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