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फ्यूचर ग्रुप दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ करेगा अपील, जानें पूरा मामला

फ्यूचर ग्रुप दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देगा, जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) को फ्यूचर ग्रुप बेचने पर रोक लगा दी है। रॉयटर्स के मुताबिक हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील...

Sheetal Tanwar एजेंसी, नई दिल्लीWed, 3 Feb 2021 12:14 PM
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फ्यूचर ग्रुप दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देगा, जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) को फ्यूचर ग्रुप बेचने पर रोक लगा दी है। रॉयटर्स के मुताबिक हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील बुधवार को अदालत में दायर की जाएगी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अरबपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ फ्यूचर ग्रुप के-24,713 करोड़ के खुदरा सौदे पर रोक लगा दी थी। अदालत ने किशोर बियानी की फ्यूचर रिटेल लिमिटेड को आरक्षित आदेश को सुनाए जाने तक संपत्ति को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

ग्लोबल रिटेल दिग्गज अमेजन ने पिछले हफ्ते एक तत्काल याचिका दायर कर फ्यूचर ग्रुप के संस्थापकों को हिरासत में लेने की मांग की थी, जिसमें उनके प्रमोटर किशोर बियानी भी शामिल थे और ट्रिब्यूनल के आदेश का उल्लंघन करने के लिए उनकी संपत्ति जब्त करने तक की मांग की थी। अपील में कहा गया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ फ्यूचर ग्रुप का सौदा किशोर बियानी की फर्म के साथ निवेश समझौते का उल्लंघन करता है। 

ट्रिब्यूनल ने अक्टूबर में अमेजन के पक्ष में एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें फ्यूचर रिटेल को अपनी संपत्ति बेचने के लिए कोई कदम उठाने से भी रोक दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यह प्रथम दृष्टया विचार था कि सिंगापुर ट्रिब्यूनल का आदेश जो भारत में भी लागू है जिसमें फ्यूचर रिटेल को सौदे के साथ आगे नहीं बढ़ने के लिए कहा गया है।

क्या है पूरा विवाद 

सिंगापुर के अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) ने 25 अक्टूबर को पारित अंतरिम आदेश में एफआरएल के अपनी संपत्तियों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके बाद अमेजन ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), शेयर बाजारों तथा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को पत्र लिखकर सिंगापुर पंचाट के अंतरिम आदेश पर विचार को कहा था। अमेजन का कहना था कि यह बाध्यकारी आदेश है। एफआरएल ने उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह अमेरिकी की ई-कॉमर्स कंपनी को एसआईएसी के आदेश को लेकर सेबी, सीसीआई और अन्य नियामकों को पत्र लिखने से रोके। उसने कहा कि यह उसके रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ करार में हस्तक्षेप होगा।

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