गाजा की लड़ाई बढ़ी तो तेल और खाने-पीने की चीजें हो सकती हैं महंगी, वर्ल्ड बैंक ने चेताया
विश्व बैंक ने कहा है कि गाजा में लड़ाई बढ़ने और इसके पश्चिम एशिया के दूसरे हिस्सों में पहुंचने से कमोडिटीज की कीमतों में तेज उछाल आ सकता है। खासतौर से ऑयल की कीमतों में तेजी आ सकती है।
वर्ल्ड बैंक ने चेताया है कि गाजा में संघर्ष बढ़ने और इसके पश्चिम एशिया के दूसरे हिस्सों में फैलने से कमोडिटीज के प्राइसेज में तेज उछाल आ सकता है। खासतौर से ऑयल की कीमतों में तेजी आ सकती है, जिसका असर फूड प्राइसेज पर भी पड़ सकता है। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'संघर्ष की शुरुआत पर कमोडिटी मार्केट्स का रुख अब तक बहुत सधा हुआ रहा है।' वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि इस तिमाही में क्रूड ऑयल करीब 90 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड करेगा। वहीं, साल के लिए प्राइस 84 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है।
ग्लोबल सप्लाई घटी तो 75% तक बढ़ सकते हैं क्रूड के दाम
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर क्रूड की ग्लोबल सप्लाई में 6-8 पर्सेंट की गिरावट आती है तो प्राइसेज में 75 पर्सेंट तक की बढ़ोतरी हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, खराब स्थिति में कीमतें 67 डॉलर प्रति बैरल बढ़ सकती हैं या करीब 157 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकती हैं। संघर्ष बढ़ने का असर फूड सप्लाई पर भी पड़ सकता है और इनकी कीमतों में तेजी आ सकती है। इसके अलावा, हायर ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट की वजह से इंडस्ट्रियल मेटल्स के साथ-साथ गोल्ड की कीमतों में भी तेजी देखने को मिल सकती है। संकट के समय में गोल्ड को सेफ इनवेस्टमेंट के रूप में देखा जाता है।
पहले से काफी अलग हैं मार्केट कंडीशंस
इसके अलावा, कमोडिटी मार्केट आउटलुक में कहा गया है कि मौजूदा मार्केट कंडीशंस बिल्कुल अलग हैं, क्योंकि ऑयल इन्टेन्सिटी (GDP की प्रति यूनिट द्वारा खपत किए गए ऑयल का वॉल्यूम ) के साथ तेल (ऑयल) पर निर्भरता घटकर 0.05 टन ऑफ ऑयल इक्विवलेंट (toe) रह गई है, जो कि साल 1970 में 0.12 toe थी। रिन्यूएबल एनर्जी बढ़ने के साथ ही इसमें और गिरावट आने की उम्मीद है। इसके अलावा, देशों के द्वारा बनाए गए स्ट्रैटेजिक रिजर्व्स, ऑयल फ्यूचर्स के डिवेलपमेंट और डायवर्सिफाइड सोर्सेज से काफी मदद मिली है।
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