आईटी क्षेत्र में 40 फीसदी कम होंगी कैंपस भर्तियां, कम वेतन पर काम करने को तैयार फ्रेशर्स
कई संस्थानों का कहना है कि देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी इन्फोसिस और विप्रो ने प्लेसमेंट के लिए अब तक उनसे संपर्क नहीं किया है। ये दोनों कंपनियां लगातार दूसरे साल कैंपस भर्ती से दूर रहेंगी।
शोल्डर - कई प्रमुख कंपनियां ने संस्थानों को कोई आश्वासन नहीं दिया
इस साल आईटी कंपनियों में नए युवाओं के लिए रोजगार के बहुत कम मौके मिलने के आसार हैं। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारतीय आईटी कंपनियां वित्त वर्ष 2024 में कैंपस प्लेसमेंट के तहत 40 फीसदी कम फ्रेशर्स की नियुक्तियां कर सकती हैं। कई संस्थानों का कहना है कि कंपनियां कैंपस में आ तो रही हैं लेकिन नियुक्त करने का कोई भी वादा नहीं कर रही हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, आमतौर पर आईटी सेवा कंपनियां 18-18 महीने बाद विभिन्न कॉलेज कैंपस में फ्रेशर्स की नियुक्तियां करती हैं। ये कंपनियां जुलाई/अगस्त से सितंबर तक कैंपसों में जाती हैं और अगले साल नियुक्ति के लिए छात्रों को ऑफर देती हैं। नियुक्तियों की 70 से 80 फीसदी मांग कैंपस भर्ती के जरिए पूरी की जाती है। वैश्विक अनिश्चितता के बाद 2022 और 2023 में परिसरों से नियुक्तियों में काफी कमी देखी गई थी।
कई कंपनियों ने संपर्क नहीं किया: कई संस्थानों का कहना है कि देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी इन्फोसिस और विप्रो ने प्लेसमेंट के लिए अब तक उनसे संपर्क नहीं किया है। ये दोनों कंपनियां लगातार दूसरे साल कैंपस भर्ती से दूर रहेंगी। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) अकेली कंपनी है, जिसने इस साल नियुक्ति के लिए कैंपस में आने के लिए सहमति दी है। कंपनी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2024 के लिए उसका लक्ष्य 40,000 लोगों को नियुक्ति करने का है। वहीं, विप्रो ने फरवरी में फ्रेशर्स को जॉब ऑफर करने में लगभग 50 प्रतिशत की कटौती करने का फैसला किया था। कंपनी का कहना है कि पहले उन प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो पहले ही उम्मीदवारों को दिए जा चुके हैं।
पिछले साल 2.3 लाख भर्तियां: इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय आईटी कंपनियां वित्तीय वर्ष 2024 में कैंपस भर्ती के तहत लगभग 1,55,000 फ्रेशर्स को नियुक्ति दे सकती है। वित्तीय वर्ष 2023 में यह संख्या 2,30,000 थी। इस रिपोर्ट को रिक्रूटमेंट फर्म टीमलीज डिजिटल ने तैयार किया है।
कम वेतन पर भी तैयार: रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ कंपनियां कम वेतन पर फ्रेशर्स को नियुक्ति का आफर दे सकती हैं। हालांकि, ये यह उन्हें ही यह तय करना होगा कि क्या वे कम वेतन पर आना कंपनी में आना चाहते हैं या नहीं। पिछले साल एक कंपनी में 92 फीसदी फ्रेशर्स ने कम वेतन पर काम करने का फैसला लिया था।
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