पेट्रोल-डीजल पर राहत ना देकर तेल कंपनी ने खूब काटा मुनाफा, जून तिमाही में चौंकाने वाले नतीजे
सार्वजनिक क्षेत्र की भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही में 10,664 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है।
सार्वजनिक क्षेत्र की भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही में 10,664 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी को 6,147.94 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। बीपीसीएल ने बुधवार को शेयर बाजारों को यह सूचना दी। कंपनी के शेयर आज मामूली तेजी के साथ 387.90 रुपये पर बंद हुए।
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा बिक्री कीमतों में कोई कटौती न होने से उसे अपना मार्जिन सुधारने में मदद मिली है। गत वर्ष यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में उछाल आने के बाद से ही घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। हालांकि, बीती तिमाही में कच्चे तेल के दाम गिरे लेकिन पेट्रोलियम कंपनियों ने उसके अनुपात में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटाए। इससे उन्हें पिछले साल हुए घाटे की भरपाई करने में मदद मिली।
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हालांकि, कच्चे तेल के दाम घटने से बीपीसीएल की पहली तिमाही में परिचालन आय सात प्रतिशत गिरकर 1.28 लाख करोड़ रुपये पर आ गई है। इसने कच्चे तेल के शोधन पर 12.64 डॉलर प्रति बैरल कमाये जबकि पिछले साल की समान तिमाही में उसका रिफाइनिंग मार्जिन 27.51 डॉलर प्रति बैरल रहा था। कंपनी की कर-पूर्व आय जनवरी-मार्च तिमाही की तुलना में 41.8 प्रतिशत उछलकर 15,809.7 करोड़ रुपये हो गई। पहली तिमाही में सार्वजनिक तेल कंपनी को हुआ 10,664 करोड़ रुपये का लाभ बीते समूचे वित्त वर्ष 2022-23 में कमाये गए 2,892.34 करोड़ रुपये के कुल मुनाफे से कई गुना अधिक है।
बीपीसीएल के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की दो अन्य कंपनियों इंडियन ऑयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड ने भी पिछले साल पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लागत के अनुरूप संशोधन पर रोक लगाई हुई है। इससे उन्हें कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से होने वाले नफा-नुकसान दोनों स्थितियों का सामना करना पड़ा है। पेट्रोल पर तीनों पेट्रोलियम कंपनियां अक्टूबर-दिसंबर, 2022 की तिमाही से ही मुनाफा कमा रही हैं जबकि डीजल पर उन्हें सकारात्मक मार्जिन इस साल मई में जाकर मिला। भारत अपनी कच्चे तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात से ही पूरा करता है।
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