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Black And White का खेल: ‘गुमनाम’ 178 पान मसाला ब्रांड ने 11 सौ करोड़ का कालाधन किया सफेद

‘गुमनाम’ 178 पान मसाला ब्रांड ने 11 सौ करोड़ का कागजी कारोबार किया। उत्तर प्रदेश में दो साल के भीतर जमकर किया गया कालेधन को सफेद करने का खेल। इन ब्रांड्स का बाजार में कोई वजूद नहीं।

Drigraj Madheshia कानपुर अभिषेक गुप्ता, Wed, 28 Sep 2022 07:59 AM
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पान मसाला के नाम पर कालेधन को सफेद करने का खेल शुरू हो गया है। सुनकर हैरत होगी कि पिछले दो साल के भीतर उत्तर प्रदेश में 178 पान मसाला के ब्रांड बाजार में आए और 1100 करोड़ का कागजी बिजनेस भी कर लिया, जबकि इन ब्रांड्स का बाजार में कोई वजूद नहीं है।

इनकी आड़ में अरबों रुपये इधर से उधर कर दिए गए। यही नहीं, बड़े ब्रांड्स के लिए भी ये छुटभैया गुमनाम ब्रांड्स मुसीबत भी बन गए हैं। यही वजह है कि एक बार फिर पान मसाला और तंबाकू पर कंपोजिट टैक्स की मांग तेज हो गई है। डीजीजीआई, डीआरआई और जीएसटी विभाग की ओर से इसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

पान मसाला इंडस्ट्री कालेधन की पैदावार के लिए बदनाम

अभी तक पान मसाला इंडस्ट्री कालेधन की पैदावार के लिए बदनाम थी। पहली बार चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इसके जरिए कालेधन को सफेद किया जा रहा है। जीएसटी लागू होने से पहले इस इंडस्ट्री पर प्रति मशीन एकमुश्त टैक्स था। दो रुपये का पाउच बनाने वाली एक मशीन पर दो करोड़ रुपये महीना और पांच रुपये का पाउच बनाने वाली मशीन पर प्रति माह पांच करोड़ रुपये टैक्स था। यानी मसाला बनाएं या न बनाएं, जितनी मशीने घोषित की हैं, उन पर इतना टैक्स देना ही पड़ेगा।

‘ब्लैक एंड व्हाइट’ का खेल

इस कारण इस ट्रेड में सिर्फ बड़े खिलाड़ी ही बचे थे। भारी-भरकम टैक्स की वजह से छोटे खिलाड़ी बाहर हो गए। जीएसटी व्यवस्था में बिक्री पर टैक्स है। जितना माल बेचो, उतना टैक्स भरो। इसका नतीजा ये हुआ कि दो से पांच लाख रुपए की पान मसाला मशीनें गली-मोहल्लों में लग गईं और अलग-अलग नाम से मसालों की खेप बाजार में आ गई। जांच एजेंसियों के मुताबिक अकेले कानपुर में ही 112 ब्रांड्स पैदा हो गए। पूरे यूपी में ये संख्या 178 पहुंच गई। इनमें 140 से ज्यादा ब्रांड खत्म भी हो गए लेकिन तब तक उन्होंने अरबों के वारे-न्यारे कर डाले।

गली-मोहल्लों के इन ब्रांड्स ने करीब 1100 करोड़ का कारोबार दिखा दिया। संदेह होने पर गोपनीय जांच में पूरा खेल सामने आ गया। इनमें आधे से ज्यादा ब्रांड तो बाजार तक पहुंचे ही नहीं। जो पहुंचे, उन्होंने नाममात्र का उत्पादन किया। न कोई कर्मचारी, न कोई वास्तविक डीलर।

दो करोड़ से लेकर नौ करोड़ रुपये तक की बिक्री दिखाई

इन मसाला कंपनियों ने दो करोड़ से लेकर नौ करोड़ रुपये तक की बिक्री दिखाई और उस पर बकायदा जीएसटी दिया। टैक्स देते ही रकम बैलेंसशीट में आकर बैंक खातों में पहुंच गई। जिस पर इनकम टैक्स भी अदा किया गया। लगभग 40 फीसदी टैक्स देकर काली कमाई को आसानी से सफेद कर लिया गया। इस खेल में दूसरे ट्रेड से जुड़े कारोबारियों ने जमकर हाथ साफ किए। छह महीने से डेढ़ साल में ज्यादातर ब्रांड्स को बंद भी कर दिया गया। संदेह है कि इसमें पूरा रैकेट काम कर रहा है जो केवल नए-नए ब्रांड लांच कर ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ खेल रहे हैं।

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