Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Adani Group made a big statement on the acquisition of NDTV shares

NDTV के शेयरों के अधिग्रहण पर अडानी समूह ने दिया बड़ा बयान, जानें क्या कहा?

अडानी समूह (Adani Group) का मानना ​​है कि एनडीटीवी (NDTV) में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए कर अधिकारियों की मंजूरी जरूरी नहीं है और उसके ऐसा करने पर आयकर विभाग की तरफ से कोई प्रतिबंध नहीं है।

Tarun Pratap Singh न्यूज एजेंसी, नई दिल्लीSun, 4 Sep 2022 08:41 AM
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अडानी समूह का मानना ​​है कि एनडीटीवी में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए कर अधिकारियों की मंजूरी जरूरी नहीं है और उसके ऐसा करने पर आयकर विभाग की तरफ से कोई प्रतिबंध नहीं है। इस संबंध में अडानी समूह ने एक बयान जारी किया और कर विशेषज्ञों ने इस बात का समर्थन भी किया है। अडानी समूह ने बीते दिनों एक कम चर्चित फर्म वीसीपीएल का अधिग्रहण किया, जिसने एक दशक से अधिक समय पहले एनडीटीवी के संस्थापकों को वारंट के बदले में 403 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया था। कर्ज न चुकाने की सूरत में वीसीपीएल को समाचार समूह में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की अनुमति मिली थी। 

अडानी ने वीसीपीएल के इस अधिकार का प्रयोग किया है, लेकिन एनडीटीवी का कहना है कि इस तरह के अधिग्रहण पर आयकर अधिकारियों ने रोक लगा दी है। अडानी समूह ने एक बयान में कहा कि विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) ने बताया कि आयकर विभाग के आदेश केवल एनडीटीवी में आरआरआरपी होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड (एनडीटीवी के एक प्रवर्तक) के शेयरों पर लागू होते हैं और इससे किसी भी तरह वीसीपीएल को इक्विटी शेयरों का आवंटन प्रतिबंधित नहीं होता है। 

क्या है एक्सपर्ट की राय?

समूह ने वीसीपीएल से मिले जवाब का हवाला देते हुए कहा कि आयकर विभाग के आदेश केवल आरआरपीआर के खिलाफ जारी किए गए हैं और ऐसा उक्त एनडीटीवी शेयरों पर आरआरपीआर के निरंतर स्वामित्व को सुरक्षित करने के लिए किया गया। आयकर विभाग के आदेश व्यक्तिगत रूप से प्रणय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ जारी नहीं किए गए हैं। इस मुद्दे पर कर विशेषज्ञों ने भी अडानी समूह का समर्थन किया है।

नांगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर विश्वास पंजियार ने कहा कि एनडीटीवी द्वारा अपनाई गई स्थिति आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 281 के प्रावधानों की त्रुटिपूर्ण व्याख्या पर आधारित लगती है। इसी तरह के विचार साझा करते हुए सुदित के पारेख एंड कंपनी एलएलपी की पार्टनर अनीता बसरूर ने कहा कि धारा 281 तब लागू होती है, जब किसी संपत्ति का हस्तांतरण होता है या जब किसी संपत्ति पर शुल्क लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में वीसीपीएल द्वारा रखे गए वारंट को आरआरपीआरएच के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित किया जा रहा है। यह कोई हस्तांतरण नहीं है, बल्कि लेकिन नए शेयर जारी किए जा रहे हैं। ऐसे में धारा 281 के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है। 

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