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मार्च में भी नहीं लगेगा मरहम! शेयर बाजार में सुधार की उम्मीद कम, एक्सपर्ट्स को सता रहा है यह डर

  • Stock Market News: अकेले फरवरी में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 1,383.7 अंक या 5.88 प्रतिशत टूटा है। वहीं इस दौरान बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 4,302.47 अंक या 5.55 प्रतिशत नीचे आया है। पिछले साल 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978.25 के अपने शीर्ष स्तर पर पहुंचा था।

Tarun Pratap Singh भाषाSun, 2 March 2025 01:20 PM
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मार्च में भी नहीं लगेगा मरहम! शेयर बाजार में सुधार की उम्मीद कम, एक्सपर्ट्स को सता रहा है यह डर

Stock Market News: स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह अमेरिका में टैरिफ से संबंधित घटनाक्रमों, वैश्विक रुख और विदेशी निवेशकों की कारोबारी गतिविधियों से तय होगी। एक्सपर्ट्स ने यह राय जताई है।एक्सपर्ट्स ने कहा कि आने वाले दिनों में व्यापार शुल्क की चिंताओं तथा विदेशी फंड्स की निकासी से निवेशकों की धारणा कमजोर रह सकती है।

फरवरी का महीना रहा कठिन

अकेले फरवरी में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 1,383.7 अंक या 5.88 प्रतिशत टूटा है। वहीं इस दौरान बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 4,302.47 अंक या 5.55 प्रतिशत नीचे आया है। पिछले साल 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978.25 के अपने शीर्ष स्तर पर पहुंचा था। तब से अबतक सेंसेक्स 12,780.15 अंक या 14.86 प्रतिशत नीचे आ चुका है। इसी तरह निफ्टी 27 सितंबर, 2024 के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 26,277.35 अंक से 4,152.65 अंक या 15.80 प्रतिशत टूट चुका है।

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“स्थिति कमजोर रहने की उम्मीद”

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, “निवेशकों की निगाह शुल्क नीति और बेरोजगारी दावों सहित महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर रहेगी। निकट भविष्य में बाजार की स्थिति कमजोर रहने की उम्मीद है। हालांकि, अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनियों के नतीजों में सुधार तथा वैश्विक व्यापार मोर्चे पर अनिश्चितता कम होने के बाद स्थिति में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है।” वृहद आर्थिक मोर्चे पर सप्ताह के दौरान एचएसबीसी विनिर्माता और सेवा पीएमआई आंकड़े आएंगे, जिनपर निवेशकों की निगाह रहेगी।

अमेरिका का टैरिफ दे रहा टेंशन

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के रिसर्च हेड, संपदा प्रबंधन प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, “हमारा मानना है कि कमजोर वैश्विक रुख और घरेलू मोर्चे पर संकेतकों की कमी की वजह से बाजार कमजोरी के रुख के साथ कारोबार करेगा।” दिसंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। यह क्रमिक आधार पर सात तिमाहियों के निचले स्तर से उबर रही है। हालांकि, दिसंबर तिमाही की वृद्धि दर इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही की तुलना में कम रही है। आर्थिक वृद्धि दर का यह आंकड़ा ऐसे समय आया है जबकि अमेरिका का शुल्क युद्ध चुनौती बना हुआ है।

सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत रही है। यह जुलाई-सितंबर तिमाही के 5.6 प्रतिशत के संशोधित आंकड़े से अधिक है। हालांकि, यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6.8 प्रतिशत के अनुमान से कम है।

पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 2,112.96 अंक या 2.80 प्रतिशत नीचे आया है। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 671.2 अंक या 2.94 प्रतिशत टूटा है। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, “अनिश्चितता अक्सर वास्तविक घटनाक्रम से अधिक महत्वपूर्ण होती है, और बाजार वर्तमान में संभावित व्यापार युद्ध की चिंता से जूझ रहा है। इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली का दबाव लगातार बढ़ रहा है।”

जीएसटी के मोर्चे पर मिली अच्छी खबर

फरवरी में कुल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 9.1 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.84 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो घरेलू खपत से बढ़ा है और संभावित आर्थिक पुनरुद्धार का संकेत है।शनिवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सकल आधार पर, केंद्रीय जीएसटी से संग्रह 35,204 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी से 43,704 करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी से 90,870 करोड़ रुपये और मुआवजा उपकर से 13,868 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।

(यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार जोखिमों के अधीन है। किसी भी निवेश से पहले सूझ-बूझ के साथ फैसला करें। यहां प्रस्तुत एक्सपर्ट्स के विचार निजी हैं। लाइव हिन्दुस्तान इस आधार पर शेयरों को बेचने और खरीदने की सलाह नहीं देता है।)

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