शेयर बाजार ने लगातार नौवें साल मुनाफा दिया, डॉलर के मुकाबले रुपया 3 पर्सेंट टूटा
- Year Ender 2024 Share Market: दुनियाभर में अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय बाजार ने काफी हद तक दबाव के बीच अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 2,082 अंक या 9.58 प्रतिशत का उछाल आया है।
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यह साल काफी घटनाक्रमों का रहा। दलाल स्ट्रीटके लिए 2024 का साल काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। साल के दौरान जहां भारतीय शेयर बाजारों ने कई बार रिकॉर्ड बनाया, वहीं दूसरी ओर उसे बीच-बीच बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ा। दुनियाभर में अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय बाजार ने काफी हद तक दबाव के बीच अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिया। साल के दौरान भारत में आम चुनाव के अलावा अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव मुख्य घटनाक्रम रहे। इसके अलावा शेयर बाजारों पर दो प्रमुख भू-राजनीतिक घटनाक्रमों इजरायल-ईरान संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध का भी असर पड़ा।
मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट ने एक नोट में कहा कि वर्ष 2024 में तेजड़ियों और मंदड़ियों के बीच काफी संघर्ष देखने को मिला। साल की पहली छमाही में कंपनियों के मजबूत वित्तीय नतीजों, घरेलू फंड फ्लो में उछाल और मजबूत वृहद परिदृश्य की वजह से निफ्टी सितंबर, 2024 में 26,277.35 अंक के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचा गया था।
बड़ी कंपनियों से बेहतर रहा स्मॉल और मिडकैप कंपनियों का प्रदशर्न
यह लगातार नौवां साल रहा है जबकि स्थानीय शेयर बाजारों ने निवेशकों को सकारात्मक रिटर्न दिया है। इस दौरान स्मॉल कैप और मिडकैप कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों से बेहतर रहा। यही वजह है कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने निवेशकों को 'लार्जकैप' की तुलना में अधिक रिटर्न दिया है। इसकी मुख्य वजह घरेलू और वैश्विक कारकों की वजह से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की जबर्दस्त बिकवाली है।
सेंसेक्स 6,458.81 अंक उछला
इस साल 27 दिसंबर तक बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 6,458.81 अंक या 8.94 प्रतिशत चढ़ा है। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 2,082 अंक या 9.58 प्रतिशत का उछाल आया है।
रुपया: डॉलर के मुकाबले तीन फीसदी गिरा
इस साल अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले रुपया तीन प्रतिशत कमजोर हुआ है। अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सुस्ती तथा वैश्विक बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से रुपया प्रभावित हुआ है। हालांकि, दुनिया की अन्य मुद्राओं से तुलना करें, तो भारतीय रुपये में उतार-चढ़ाव कहीं कम रहा है।
दिसंबर में नए ऑल टाइम लो पर रुपया
दिसंबर में रुपया अपने नए ऑल टाइम लो पर आ गया। वास्तव में, डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये में गिरावट कम रही है। यूरो और जापानी येन की तुलना में रुपया लाभ में रहा है। केंद्रीय बैंक रुपये-डॉलर की दर को स्थिर करने के लिए अधिक सक्रिय प्रयास कर रहा है। कच्चे तेल के आयात पर भारत की निर्भरता तथा बढ़ते व्यापार घाटे की वजह से अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ी है।
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