शेयर मार्केट ने दिया झटका, साढ़े चार महीने में निवेशकों के ₹78 लाख करोड़ डूबे
- Share Market Crash: शेयर मार्केट में गिरावट का सिलसिला थम नहीं रहा है और इसने नया रिकॉर्ड बना दिया है। साढ़े चार महीनों में निवेशकों के करीब 78 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं। इस दौरान बीएसई मिडकैप 12% और स्मॉलकैप 15% तक नीचे फिसल चुके हैं।
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घरेलू शेयर मार्केट में गिरावट का सिलसिला थम नहीं रहा है और इसने नया रिकॉर्ड बना दिया है। बीएसई सेंसेक्स पर लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप घटकर चार लाख करोड़ डॉलर पर आ गया है, जो जून 2024 के बाद सबसे निचला स्तर है। सितंबर में यह आंकड़ा 478 लाख करोड़ रुपये के नए शिखर तक पहुंचा था। इस तरह साढ़े चार महीनों में निवेशकों के करीब 78 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं।
आंकड़ों के अनुसार, मार्केट कैप ने 10 अप्रैल को पहली बार 400 लाख करोड़ रुपये का स्तर पार किया था और 29 सितंबर को यह 477.93 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंचा था। 29 सितंबर के बाद ही शेयर बाजार में गिरावट का तेज दौर जारी है। निफ्टी इस साल अब तक 2.6% नीचे फिसल चुका है।
घरेलू शेयर मार्केट में गिरावट का सिलसिला थम नहीं रहा है और इसने नया रिकॉर्ड बना दिया है। बीएसई सेंसेक्स पर लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप घटकर चार लाख करोड़ डॉलर पर आ गया है, जो जून 2024 के बाद सबसे निचला स्तर है। सितंबर में यह आंकड़ा 478 लाख करोड़ रुपये के नए शिखर तक पहुंचा था। इस तरह साढ़े चार महीनों में निवेशकों के करीब 78 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं।
आंकड़ों के अनुसार, मार्केट कैप ने 10 अप्रैल को पहली बार 400 लाख करोड़ रुपये का स्तर पार किया था और 29 सितंबर को यह 477.93 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंचा था। 29 सितंबर के बाद ही शेयर बाजार में गिरावट का तेज दौर जारी है। निफ्टी इस साल अब तक 2.6% नीचे फिसल चुका है।
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मिडकैप 12% और स्मॉलकैप 15% तक नीचे फिसले
इस दौरान बीएसई मिडकैप 12% और स्मॉलकैप 15% तक नीचे फिसल चुके हैं। 2025 में तक दुनियाभर के बाजारों के मुकाबले भारतीय बाजार के मार्केट कैप में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। ये गिरावट 18.33% की है। वहीं, बीते आठ कारोबारी सत्रों से जारी गिरावट के कारण निवेशकों को 25.31 लाख करोड़ रुपये कर नुकसान हुआ है।
विदेशी निवेशकों के रुख से तय होगी बाजार की चाल
कंपनियों का तिमाही नतीजों का सीजन समाप्त होने के बाद इस सप्ताह स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधियों से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। विश्लेषकों ने कहा कि विदेशी कोषों की लगातार निकासी, कंपनियो के उम्मीद से कमजोर तिमाही नतीजों और वैश्विक स्तर पर ट्रेड वॉर की आशंका से पिछले सप्ताह शेयर बाजारों की धारणा प्रभावित हुई।
2 हफ्ते में 21,272 करोड़ रुपये निकाले
ग्लोबल लेवल पर टेंशन बढ़ने के बीच फरवरी के पहले दो सप्ताह में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से 21,272 करोड़ रुपये निकाले हैं। इससे पहले जनवरी में भी एफपीआई ने 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस तरह चालू साल में एफपीआई शेयरों से करीब एक लाख करोड़ रुपये (99,299 करोड़ रुपये) निकाल चुके हैं।
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