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सेबी का प्रपोजल, डीमैट मोड में ही जारी हों स्टॉक स्प्लिट, कोई भी 4 फरवरी तक दे सकता है अपनी राय

  • सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि अगर कोई कंपनी अपने शेयरों के फेस वैल्यू को स्प्लिट या कंसॉलिडेट करती है तो सभी शेयर डीमैट मोड में जारी किए जाएं।नियामक ने एक कंस्लटेशन पेपर जारी किया है। इस पर आम पब्लिक 4 फरवरी तक इस पर अपनी टिप्पणी भेज सकती है।

Drigraj Madheshia लाइव हिन्दुस्तानWed, 15 Jan 2025 05:55 AM
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मार्केट रेग्युलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि अगर कोई कंपनी अपने शेयरों के फेस वैल्यू को स्प्लिट या कंसॉलिडेट करती है तो सभी शेयर डीमैट मोड में जारी किए जाएं। सेबी ने कॉर्पोरेट पुनर्गठन के मामले में भी डीमैट शेयर जारी करने का प्रपोजल रखा है। इसका उद्देश्य फिजिकल सर्टिफिकेट्स से जुड़े रिस्क को खत्म करना, जैसे कि लॉस, चोरी, खराब होना और धोखाधड़ी आदि से बचाने के लिए है। नियामक ने एक कंस्लटेशन पेपर जारी किया है। इस पर आम पब्लिक 4 फरवरी तक इस पर अपनी टिप्पणी भेज सकती है।

अलग डीमैट खाता या सस्पेंस एस्क्रो खाता बनाना होगा

TOI की खबर के मुताबिक सेबी कई साल से निवेशकों को डीमैट मोड में शेयर रखने के लिए प्रेरित कर रहा है। फिर भी कुछ निवेशक अभी भी अपने शेयरों को भौतिक रूप में रखते हैं। सेबी के कंस्टलटिंग लेटर में कहा गया है कि जिन निवेशकों के पास डीमैट खाते नहीं हैं, उन्हें स्टॉक स्प्लिट, कंसॉलिडेशन या पुनर्गठन के कारण डीमैट रूप में शेयर अलॉट किए जाते हैं, डीमैट रूप में शेयर जारी करने वाली कंपनी को डीमैट खाते न रखने वाले निवेशकों के लिए ओनर रिकॉर्ड के साथ एक अलग डीमैट खाता या सस्पेंस एस्क्रो खाता बनाना होगा।

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डीमैट फॉर्म में शेयर रखने के फायदे

सेबी ने यह भी कहा कि डीमैट फॉर्म में शेयर रखने से कई फायदे मिलते हैं, जिसमें धोखाधड़ी से बचाव, फिजिकल डैमेज से बचाव, ट्रांसफर करने में आसानी, पारदर्शिता, सेबी की निगरानी, कम कानूनी संघर्ष और निवेशकों और संगठनों दोनों के लिए कम लागत शामिल है।

डीमैटरियलाइजेशन की दिशा में आगे बढ़ने और लिस्टेड कंपनियों द्वारा नई फिजिकल सिक्यूरिटिज के जारी होने को रोकने के लिए, सेबी ने निर्धारित किया कि मौजूदा प्रमाणपत्रों को डीमैट फॉर्म में परिवर्तित किया जाना चाहिए। इससे नए भौतिक प्रमाणपत्रों का निर्माण रोका जा सके।

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