सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला, भरभरा कर गिर गए ये शेयर, टाटा की कंपनी पर भी असर
- Mining Company Share: राज्यों द्वारा माइनिंग पर टैक्स और रॉयल्टी लगाने की कैपासिटी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बुधवार को टाटा स्टील लिमिटेड, एमओआईएल लिमिटेड और एनएमडीसी लिमिटेड के शेयरों में गिरावट देखी गई।
Mining Company Share: राज्यों द्वारा माइनिंग पर टैक्स और रॉयल्टी लगाने की कैपासिटी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बुधवार को टाटा स्टील लिमिटेड, एमओआईएल लिमिटेड और एनएमडीसी लिमिटेड के शेयरों में गिरावट देखी गई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने खनिज समृद्ध राज्यों के लिए वित्तीय राहत वाला फैसला सुनाते हुए उन्हें अपनी खनिज युक्त भूमि पर केंद्र सरकार और पट्टा धारकों से 1 अप्रैल 2005 से बकाया रॉयल्टी और कर वसूलने की बुधवार को अनुमति दे दी। इस खबर के बाद टाटा स्टील के शेयर में आज बुधवार को 5% से अधिक की गिरावट आई और यह शेयर 142.35 रुपये के इंट्रा डे लो पर पहुंच गए। वहीं, एमओआईएल लिमिटेड के शेयर में करीबन 6% की गिरावट देखी गई और यह शेयर 404.80 रुपये के इंट्रा डे लो पर पहुंच गया। एनएमडीसी लिमिटेड के शेयर में भी 6% से अधिक गिरावट देखी गई और कंपनी के शेयर 211 रुपये पर कारोबार कर रहे थे।
क्या है डिटेल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले बकाये के भुगतान पर कुछ शर्तें होंगी। केंद्र तथा खनन कंपनियां खनिज संपन्न राज्यों को बकाये का भुगतान अगले 12 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से कर सकती हैं। बहरहाल, पीठ ने राज्यों को बकाये के भुगतान पर किसी प्रकार का जुर्माना न लगाने का निर्देश दिया। बता दें कि केंद्र ने खनिज संपन्न राज्यों को 1989 से खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर लगाई गई रॉयल्टी उन्हें वापस करने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि इसका असर नागरिकों पर पड़ेगा और प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) को अपने खजाने से 70,000 करोड़ रुपये निकालने पड़ेंगे। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस फैसले पर पीठ के आठ न्यायाधीश हस्ताक्षर करेंगे, जिन्होंने बहुमत से 25 जुलाई का फैसला दिया था जिसमें राज्यों को खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार दिया गया था।
क्या है मामला
पीठ ने 25 जुलाई को 8:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है और खनिजों पर दी जाने वाली रॉयल्टी कोई कर नहीं है। इस फैसले ने 1989 के उस निर्णय को पलट दिया था जिसमें कहा गया था कि केवल केंद्र के पास खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर रॉयल्टी लगाने का अधिकार है। इसके बाद कुछ विपक्षी दल शासित खनिज संपन्न राज्यों ने 1989 के फैसले के बाद से केंद्र द्वारा लगाई गई रॉयल्टी और खनन कंपनियों से लिए गए करों की वापसी की मांग की। रॉयल्टी वापस करने के मामले पर 31 जुलाई को सुनवाई हुई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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