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ट्रेडिंग और अनसिक्योर लोन... टेंशन में रिजर्व बैंक, इन ग्राहकों को किया अलर्ट

  • डिप्टी गवर्नर ने कहा है कि भारत का तेजी से डिजिटल वित्तीय विस्तार अवसर और जोखिम दोनों को बढ़ा रहा है। इस दौरान बढ़ते अनसिक्योर लोन और स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग से नई चुनौतियां मिल रही हैं।

Deepak Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 21 Feb 2025 07:54 PM
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ट्रेडिंग और अनसिक्योर लोन... टेंशन में रिजर्व बैंक, इन ग्राहकों को किया अलर्ट

अनसिक्योर लोन और स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की टेंशन बढ़ा दी है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा है कि भारत का तेजी से डिजिटल वित्तीय विस्तार अवसर और जोखिम दोनों को बढ़ा रहा है। इस दौरान बढ़ते अनसिक्योर लोन और स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग से नई चुनौतियां मिल रही हैं। राव ने कहा- अनियंत्रित कर्ज और स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग व्यक्तियों या संस्थानों को कमजोर बना सकती हैं। शॉर्ट टर्म के मुनाफे का प्रलोभन आसानी से लॉन्ग टर्म के फाइनेंशियन सिक्योरिटी पर ग्रहण लगा सकता है।

लेंडर्स को दी सलाह

एम. राजेश्वर राव ने वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं को लापरवाही भरे वित्तीय लेनदेन के प्रति आगाह किया। राव ने कहा कि आरबीआई ग्राहकों को शिक्षित करने के लिए अन्य वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के साथ काम कर रहा है और उन्होंने कहा कि वित्तीय साक्षरता की कमी के कारण लोग बेईमान कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं। हालांकि, जब कोई झटका लगता है, तो निवेशक का वित्तीय प्रणाली पर से भरोसा खत्म हो जाता है और इसलिए यह आवश्यक है कि प्रणाली अपनी बेहतरी के लिए शिक्षा में निवेश करे।

आरबीआई के एमपीसी का ब्योरा जारी

इस बीच, आरबीआई के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में सदस्यों की बातों का ब्योरा शुक्रवार को जारी किया गया है। इसके मुताबिक एमपीसी के पांच अन्य सदस्यों के साथ मल्होत्रा ​​ने अल्पकालिक नीतिगत दर (रेपो) में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत करने के पक्ष में मतदान किया। बता दें कि आरबीआई ने पांच-सात फरवरी तक आयोजित अपनी बैठक में रेपो रेट में कटौती की। ब्योरे के अनुसार मल्होत्रा ​​ने कहा- व्यापक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए मुद्रास्फीति के लक्ष्य के अनुरूप रहने की उम्मीद है, और यह मानते हुए कि मौद्रिक नीति भविष्योन्मुखी है, मैं इस समय कम नीति दर को अधिक सही मानता हूं।

उन्होंने अपनी पहली एमपीसी बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वैश्विक वित्तीय बाजारों और व्यापार नीति के मोर्चे पर बढ़ती अनिश्चितताओं के साथ ही मौसम की प्रतिकूल घटनाओं के कारण मुद्रास्फीति और वृद्धि के लिहाज से जोखिम पैदा हो रहा है।

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