रतन टाटा ने इस 'अनजान' शख्स के नाम किए 500 करोड़, वसीयत ने सबको चौंकाया
- रतन टाटा (Ratan Tata) ने अपनी वसीयत में एक ऐसे शख्स को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा देने का जिक्र किया है, जिनके बारे में दुनिया कम ही जानती है। यह जमेशदपुर के रहने वाले मोहिनी मोहन दत्ता हैं, जिन्हें रतन टाटा की संपत्ति में से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा मिलेंगे।
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रतन टाटा की वसीयत ने सबको चौंका दिया है। रतन टाटा (Ratan Tata) ने अपनी वसीयत में एक ऐसे शख्स को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा देने का जिक्र किया है, जिनके बारे में दुनिया कम ही जानती है। यह जमेशदपुर के रहने वाले मोहिनी मोहन दत्ता हैं, जिन्हें रतन टाटा की संपत्ति में से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा मिलेंगे। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रतन टाटा और मोहिनी मोहन दत्ता का नाता सालों पुराना है। हालांकि, कम ही लोग इस बारे में जानते हैं। वसीयत में मोहिनी मोहन दत्ता का नाम टाटा फैमिली के लिए भी सरप्राइज की तरह है।
कौन हैं मोहिनी मोहन दत्ता
मोहिनी मोहन दत्ता की रतन टाटा से पहली मुलाकात 1960 के दशक के शुरुआती साल में जमशेदपुर के डीलर्स हॉस्टल में हुई। इस मुलाकात ने दत्ता की जिंदगी बदल दी। उस समय, रतन टाटा 24 साल के थे। वहीं, दत्ता अब अपनी उम्र के 80 के दशक में हैं। दत्ता ने अपने करियर की शुरुआत ताज ग्रुप के साथ की और इसके बाद Stallion ट्रेवल एजेंसी के नाम से खुद का वेंचर लॉन्च किया, जिसका साल 2013 में ताज ग्रुप ऑफ होटल्स की इकाई ताज सर्विसेज के साथ विलय हो गया। मोहिनी मोहन दत्ता और उनकी फैमिली की Stallion में 80 पर्सेंट हिस्सेदारी रही, जबकि बाकी का हिस्सा टाटा इंडस्ट्रीज के पास था। इस कंपनी को बाद में टाटा कैपिटल ने खरीद लिया और इसे थॉमस कुक (इंडिया) को बेच दिया। अब यह TC ट्रेवल सर्विसेज के नाम से ऑपरेट कर रही है और दत्ता उसमें डायरेक्टर बने हुए हैं।
मोहिनी मोहन दत्ता के पास जल्द लिस्ट होने वाली टाटा कैपिटल समेत टाटा ग्रुप कंपनियों के शेयर हैं। दत्ता की दो बेटियों में से एक ने साल 2024 तक टाटा टस्ट्स में काम किया। इससे पहले, उनकी बेटी ने ताज होटल्स में भी काम किया। रतन टाटा की बर्थ एनिवर्सिरी में भी दत्ता को इनवाइट किया गया था।
6 महीने में लगेंगे वसीयत को पूरा होने में
मोहिनी दत्ता टाटा परिवार का हिस्सा नहीं हैं। इस वजह से भी उनके नाम की चर्चा हो रही है। फिलहार वसीयत पर मोहिनी दत्ता का भी कोई बयान नहीं आया है। ना ही रतन टाटा के परिवार या करिबियों की तरफ से कोई बात कही गई है। बता दें, वसीयत की संपत्ति हाईकोर्ट के सर्टिफिकेशन के बाद ही बांटी जा सकेगी। इस प्रक्रिया के पूरा होने में 6 महीने लग सकते हैं।
अपने देहांत से पहले रतन टाटा ने रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट और रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन की स्थापना की थी। इसका काम उनकी विरासत वितरित करना है। टाटा संस में रतन टाटा की कुल संपत्ति 0.83 प्रतिशत थी। जिसकी वैल्यूएशन करीब 8000 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इसके अलावा अलग-अलग स्टार्टअप आदि में उनका निवेश करीब 186 करोड़ रुपये है।
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