रतन टाटा: अधूरा प्यार और यादों के सहारे बिताया अब तक का सफर
- Ratan Tata Personal Life: 86 साल की उम्र में भी वह जिस सहजता से इन विभिन्न पदों पर थें, उसने लोगों पर अमिट छाप छोड़ी है। हालांकि, रतन टाटा का पसर्नल लाइफ हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है।
Ratan Tata Personal Life: देश के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा का आज बुधवार देर रात निधन हो गया। रतन टाटा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उद्योगपति, बिजनेस टाइकून, टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और परोपकारी रतन टाटा ने अपने जीवनकाल में कई अहम भूमिकाएं निभाई हैं। 86 साल की उम्र में भी वह जिस सहजता से इन विभिन्न पदों पर थें, उसने लोगों पर अमिट छाप छोड़ी है। हालांकि, रतन टाटा का पसर्नल लाइफ हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है।
रतन टाटा ने नहीं की शादी
देश के सबसे बड़े कारोबारी रतन टाटा की शादी नहीं हुई थी। एक बार एक इंटरव्यू में रतन टाटा ने खुद ही बताया था कि उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी था जब वे शादी के बेहद करीब पहुंच गए थे, लेकिन निजी कारणों से ये संभव नहीं हो पाया। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें कभी प्यार नहीं हुआ था। रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मुझे अपनी लाइफ में प्यार भी हुआ, लेकिन हालात ऐसे बने कि बात आगे नहीं बढ़ पाई।
रतन टाटा ने बताया था कि जब वह लॉस एंजलिस में एक आर्किटेक्चर फर्म में काम कर रहे थे, तो उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई थी और उन्हें उससे प्यार हो गया। रतन टाटा ने उस लड़की से शादी करने प्लान बनाया लेकिन उसी वक्त अचानक उनकी दादी का तबीयत खराब हो गई। वो वक्त था 1962 का, जब भारत चीन युद्ध चल रहा था। उस वक्त रतन टाटा भारत आ गए थे लेकिन उनकी प्रेमिका युद्ध के चलते नहीं आ सकीं। आखिर में उनकी प्रेमिका ने किसी और से शादी कर ली।
10 साल की उम्र में हो गया माता-पिता का तलाक
रतन टाटा ने अपने बचपन के बारे में भी बताया कि कैसे चीजें उनके लिए हमेशा आसान नहीं थीं। 10 साल की उम्र में ही उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। रतन टाटा ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे में स्वीकार किया कि उन्हें अपने माता-पिता के तलाक के चलते संघर्ष करना पड़ा था। उन्होंने कहा है, जब भाई और मैं बड़े हो गए, हमारे माता-पिता के तलाक के कारण हमें रैगिंग और व्यक्तिगत परेशानी का सामना करना पड़ा, जो उन दिनों आम नहीं था। लेकिन मेरी दादी ने हमें हर तरह से पाला। इसके तुरंत बाद जब मेरी माँ ने दूसरी शादी कर ली, तो स्कूल के लड़कों ने हमारे बारे में लगातार और आक्रामक तरीके से हर तरह की बातें कहना शुरू कर दिया। लेकिन हमारी दादी ने हमें हर कीमत पर गरिमा बनाए रखना सिखाया और वह हमेशा हमारे लिए मौजूद रही है। मैं आर्किटेक्ट बनना चाहता था, उन्होंने मुझे इंजीनियर बनने पर जोर दिया। यदि मेरी दादी न होतीं, तो मैं अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में न पहुंच पाता। कॉलेज के बाद मुझे एलए में एक आर्किटेक्चर फर्म में नौकरी मिल गई, जहां मैंने 2 साल तक काम किया।
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