Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़pulses prices may declined in last july government says

दाल की कीमतों ने बिगाड़ा आम आदमी का बजट, सरकार ने बताया कब कम होगा भाव

  • Pulses Price: दाल की कीमतों ने आम-आदमी का बजट खराब कर दिया है। सरकार की तरफ से शुक्रवार को जारी किए गए बयान में कहा गया है कि जुलाई के अंत में कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है।

Tarun Pratap Singh लाइव हिन्दुस्तानSat, 15 June 2024 11:33 AM
share Share

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने शुक्रवार को कहा कि अच्छे मानसून और आयात बढ़ने की उम्मीदों से अगले महीने से अरहर, चना और उड़द दालों की कीमतों में नरमी आने की संभावना है। इसके साथ ही खरे ने कहा कि दालों की कीमतों को लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अगले महीने से इन तीनों दालों का आयात भी बढ़ेगा जिससे घरेलू आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी।

सरकार का क्या कहना है?

खरे ने यहां संवाददाताओं से कहा, “पिछले छह महीनों में अरहर, चना और उड़द दालों की कीमतें स्थिर रही हैं, लेकिन उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। मूंग और मसूर दालों की कीमत की स्थिति संतोषजनक है।” 13 जून को चना दाल का औसत खुदरा मूल्य 87.74 रुपये प्रति किलोग्राम, तुअर (अरहर) दाल 160.75 रुपये प्रति किलोग्राम, उड़द दाल 126.67 रुपये प्रति किलोग्राम, मूंग दाल 118.9 रुपये प्रति किलोग्राम और मसूर दाल 94.34 रुपये प्रति किलोग्राम था।

ये भी पढ़ें:Hyundai ला रही है देश का सबसे बड़ा IPO, ₹25000 करोड़ जुटाने की तैयारी

उपभोक्ता मामलों का विभाग देश के 550 प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों से खाद्य उत्पादों के खुदरा मूल्य एकत्र करता है।खरे ने कहा, ‘‘जुलाई से तुअर, उड़द और चना की कीमतों में नरमी आने की संभावना है।’’ सचिव ने कहा कि मौसम विभाग ने सामान्य मानसून बारिश का अनुमान लगाया है जिससे दालों की खेती के रकबे में काफी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को बेहतर बीज उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है।

खरे ने कहा कि सरकार घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सभी जरूरी उपाय करेगी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 'भारत चना दाल' को 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचने की सरकार की योजना आम आदमी को राहत प्रदान कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘हम घरेलू उपलब्धता को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।’’

सचिव ने कहा कि उनका विभाग आयात को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं के साथ-साथ घरेलू खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और बड़ी खुदरा श्रृंखलाओं के साथ लगातार संपर्क में है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई जमाखोरी न हो। भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग आठ लाख टन तुअर और छह लाख टन उड़द का आयात किया। म्यांमार और अफ्रीकी देशों से भारत को प्रमुख रूप से दाल के निर्यात होता है।

फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में तुअर का उत्पादन 33.85 लाख टन रहा जबकि खपत 44-45 लाख टन रहने का अनुमान है। चना का उत्पादन 115.76 लाख टन रहा जबकि मांग 119 लाख टन है। उड़द के मामले में उत्पादन 23 लाख टन रहा जबकि खपत 33 लाख टन रहने का अनुमान है। मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को आयात के जरिए पूरा किया जाता है।

सब्जियों के मामले में भी खरे ने कहा कि मानसून की बारिश से खुदरा कीमतों पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आलू की मांग बढ़ गई है क्योंकि गर्मी ने हरी सब्जियों की फसल को प्रभावित किया है। सरकार ने बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीद शुरू कर दी है और 35,000 टन प्याज की खरीद पहले ही हो चुकी है। सरकार कोल्ड स्टोरेज और विकिरण प्रक्रिया के माध्यम से प्याज की उपयोगिता अवधि बढ़ाने के प्रयास भी कर रही है।

 बजट 2024 जानेंHindi News  ,  Business News की लेटेस्ट खबरें, इनकम टैक्स स्लैब Share Market के लेटेस्ट अपडेट्स Investment Tips के बारे में सबकुछ।

अगला लेखऐप पर पढ़ें