PMJAY: आयुष रोगी बीमा दायरे में आएंगे, कैशलेस सुविधा मिलेगी
- PMJAY: स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और बीमा कंपनियों के साथ मिलकर इन थेरेपी में बीमा का दायरा बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। उनके मुताबिक, बीमा का दायरा कवरेज बढ़ने पर आयुष के ज्यादा से ज्यादा पैकेजों में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलने लगेगी।
एक तरफ स्वास्थ्य सेवा और इलाज लगातार महंगे हो रहे हैं वहीं स्वास्थ्य बीमा की जरूरत भी बढ़ती जा रही है। ऐसे दौर में पारंपरिक उपचार पद्धति यानी आयुष थेरेपी () में बीमा का कवरेज काफी सीमित होने के कारण इसके प्रचार-प्रसार में रुकावट आ रही है। आयुष मंत्रालआर्युवेद, योग, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और बीमा कंपनियों के साथ मिलकर इन थेरेपी में बीमा का दायरा बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। उनके मुताबिक, बीमा का दायरा कवरेज बढ़ने पर आयुष के ज्यादा से ज्यादा पैकेजों में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलने लगेगी। साथ ही आयुष उपचार को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल करने का काम भी अंतिम चरण में है और जल्द ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी।
बीमा दायरे में इजाफा होगा
आयुष के लिए बीमा बढ़ाने के मकसद से आयुष मंत्रालय ने बीमा कंपनियों और टीपीए के साथ सोमवार को बैठक की। आमतौर पर बीमा करने वाली कंपनियां ऑपरेशन और आपात स्थिति में उपचार के लिए बीमा पर जोर देती हैं। देखा जाए तो आयुर्वेद में ज्यादातर मरीज ऑपरेशन के बजाय लंबे इलाज की जरूरत वाले होते हैं। बीमा कंपनियां अक्सर इस इलाज के लिए मानक दिशा-निर्देशों के उपलब्ध न होने की बात कहकर बीमा सुरक्षा मुहैया कराने से पीछे हट जाती हैं। इन्हीं समस्याओं का हल निकालने के लिए इस बैठक में चर्चा हुई।
लगभग 300 उपचार पैकेज बीमा दायरे में
बैठक के बाद आयुष मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, अभी आयुष उपचार के लगभग 300 पैकेज बीमा के दायरे में आते हैं मगर कुछ महंगे उपचारों को बीमा कवरेज मुहैया कराने के लिए बीमा कंपनियों से बात चल रही है। इससे यह थेरेपी लोगों के लिए किफायती भी बनेगी और वे जेब पर बोझ के बगैर इलाज भी करा सकेंगे। आयुष उपचार की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इसे सभी के लिए सुलभ बनाना भी बहुत ज़रूरी है। आयुष के क्षेत्र में इंश्योरेंस की मांग बहुत बढ़ गई है और पिछले पांच साल में क्लेम की संख्या छह गुना हो गई है। आगे यह और भी तेजी से बढ़ेगी।
कैशलेस बीमा पर जोर
दरअसल, एलोपैथ या सर्जरी आदि में कैशलेस बीमा की सुविधा लगातार बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से मरीज उन्हीं की तरफ चले जाते हैं। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी ने कहा, हमारी कोशिश यही है कि टीपीए नेटवर्क के जरिये आयुष थेरेपी के लिए कैशलेस इलाज का दायरा बढ़ाया जाए। अभी लगभग 10-12 फीसदी दावे ही नकदीरहित होते हैं मगर इन्हें बढ़ाने के लिए कोशिश चल रही हैं और बीमा कंपनियों तथा टीपीए का रुख भी सकारात्मक है।
इलाज के मानक दिशा-निर्देश बन रहे
बीमा कंपनियां इसलिए भी हिचकती हैं कि पूरे देश में आयुष के तहत एक ही बीमारी का अलग-अलग तरीके से इलाज किया जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए आयुष अस्पतालों की रजिस्ट्री बनाई जा रही है। रजिस्ट्री में आने के लिए अस्पतालों को आयुष मंत्रालय द्वारा तैयार मानक उपचार दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। इन दिशा-निर्देशों की बीमा कंपनियों से समीक्षा भी कराई जाती है।
आयुष में हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज बढ़ाने के लिए बीमा नियामक इरडा भी पूरी कोशिश कर रहा है। उसने इसी साल एक अधिसूचना जारी की, जो 1 अप्रैल से लागू भी हो गई। इसमें कहा गया है कि किसी एक बीमारी के लिए एलोपैथ और आयुष उपचार के पैकेजों में कोई अंतर नहीं रखा जा सकता। मंत्रालय का पूरा जोर इस बात पर है कि बीमा पैकेजों का मानकीकरण किया जाए। साथ ही विदेशी बीमा कंपनियों को चिकित्सा पर्यटन के तहत आने वाले आयुष पैकेजों को अपने यहां कवरेज के दायरे में लाने के लिए मनाने का भी काम चल रहा है।
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