पेट्रोल और डीजल होगा सस्ता! त्योहारी सीजन में ₹2- 3 रुपये की हो सकती है कटौती, जानिए क्या है डिटेल
- Petrol Diesel Price May Cut Soon: त्योहारी सीजन में आम लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2-3 रुपये प्रति लीटर कटौती संभव है।
Petrol Diesel Price May Cut Soon: त्योहारी सीजन में आम लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2-3 रुपये प्रति लीटर कटौती संभव है। दरअसल, कच्चे तेल की कीमतों में हाल के सप्ताहों में आई कमी से पेट्रोलियम कंपनियों के वाहन ईंधन पर मुनाफे में सुधार हुआ है। इससे तेल कंपनियों को पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों में दो से तीन रुपये प्रति लीटर की कटौती करने की गुंजाइश मिली है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने गुरुवार को यह बात कही।
वहीं, सीएलएसए के मुताबिक 5 अक्टूबर के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम हो सकती हैं। यह अटकलें भारत के तेल सचिव, पंकज जैन की टिप्पणियों के बाद आई हैं, जिसमें पिछले महीने कीमतों में गिरावट का सुझाव दिया गया था और मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि महाराष्ट्र के राज्य चुनाव नवंबर की शुरुआत में होने की उम्मीद है और अंतिम तारीखों की घोषणा अक्टूबर के मध्य तक होने की संभावना है।
क्या है डिटेल
इक्रा ने एक नोट में कहा, कच्चे तेल की कीमतों में कमी के साथ हाल के सप्ताहों में भारतीय पेट्रोलियम विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए मोटर वाहन ईंधन की खुदरा बिक्री पर विपणन मुनाफे में सुधार हुआ है। रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि यदि कच्चे तेल की कीमतें वर्तमान स्तर पर स्थिर रहीं तो खुदरा ईंधन कीमतों में कमी की गुंजाइश है।
इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं समूह प्रमुख गिरीश कुमार कदम ने कहा, ‘‘ इक्रा का अनुमान है कि सितंबर, 2024 (17 सितंबर तक) में अंतरराष्ट्रीय उत्पाद कीमतों की तुलना में ओएमसी की शुद्ध प्राप्ति पेट्रोल के लिए 15 रुपये प्रति लीटर और डीजल के लिए 12 रुपये प्रति लीटर अधिक रही। इन ईंधन के खुदरा बिक्री मूल्य (आरएसपी) मार्च, 2024 से यथावत हैं (15 मार्च, 2024 को पेट्रोल तथा डीजल के दाम में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी) और ऐसा प्रतीत होता है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं तो उनके दो से तीन रुपये प्रति लीटर की कमी करने की गुंजाइश है।’’
कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में भारी गिरावट देखी गई है, जिसका मुख्य कारण कमजोर वैश्विक आर्थिक वृद्धि और उच्च अमेरिकी उत्पादन है। वहीं ओपेक एवं सहयोगी देशों (ओपेक+) ने गिरती कीमतों से निपटने के लिए अपने उत्पादन कटौती को वापस लेने के अपने फैसले को दो महीने के लिए आगे बढ़ा दिया।
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