Fastag से बैंकिंग तक महंगी हुईं ऑनलाइन सुविधाएं, जानें बैंक किस सेवा के लिए कितना वसूल रहे चार्ज
- Online Services: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़ी सुविधाएं लगातार महंगी होता जा रही हैं। कंपनियों द्वारा जोड़े जा रहे अतिरिक्त शुल्क से बोझ ग्राहकों पर पड़ रहा है। फास्टैग का इस्तेमाल हो या बैंक से जुड़ी सेवाएं लेना, सबके के लिए चुकानी पड़ रही है रकम।
Online Services: बैंकिंग से लेकर सामान्य जीवन से जुड़ी अन्य जरूरी सेवाओं के नाम पर लोगों की जेब पर बोझ बढ़ रहा है। लगातार बैंक और अन्य सर्विस देने वाली कंपनियों द्वारा अपने शुल्कों बढ़ाया जा रहा है, जिससे लोगों की जेब से धीरे से हर वर्ष हजारों रुपया सिर्फ सर्विस चार्ज के तौर पर चला जा रहा है। इसमें कुछ ऐसे खर्च हैं, जिनके बारे में शायद लोगों को भी मालूम नहीं है या फिर नियमों की ठीक से जानकारी न होने के कारण लोगों को जुर्माने के तौर पर वह धनराशि चुकानी पड़ रही है।
करीब एक महीने पहले टेलीकॉम कंपनियों ने अपने रिचार्ज प्लान की कीमतों में करीब 27 फीसदी तक का इजाफा किया। इस बीच ऑनलाइन पेमेंट व रिचार्ज की सुविधा देने वाली कंपनियों ने भी प्रति रिचार्ज पर डेढ़ से ढाई रुपया अतिरिक्त वसूलना शुरू कर दिया है। भुगतान सर्विस के तौर पर अब डिजिटिल पेमेंट की सुविधा देने वाली कंपनियां अतिरिक्त शुल्क ले रही हैं।
उधर, फास्टैग सेवा प्रदाता कंपनियों ने भी अब कई तरह के शुल्क लगाने का फैसला लिया है। इसमें चार श्रेणी में शुल्क भारतीय राष्ट्रीय भुगतान लिमिटेड ने निर्धारित किए हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त कंपनियों ने भी कुछ अन्य शर्तें जोड़ दी हैं। जैसे अगर तीन महीने तक फास्टैग से कोई ट्रांजेक्शन नहीं होता है तो उसे निष्क्रिय माना जाएगा, जिसे एक्टिव करने के लिए शुल्क देना होगा।
एनपीसीआई द्वारा निर्धारित शुल्क
स्टेंटमेंट -25 रुपये प्रति एक
फास्टैग बंद करना - 100 रुपये
टैग मैनेजमेंट - 25 रुपये/तिमाही
निगेटिव बैलेंस - 25 रुपये/तिमाही
बैंक भी हर सेवा के नाम पर वसूल रहे रकम
निजी से लेकर सरकारी क्षेत्र के बैंक ग्राहकों को दी जा रही तमाम सुविधाओं के नाम पर शुल्क वसूल रहे हैं। साथ ही, न्यूनतम राशि खाते में न होने पर लोगों के खाते से उल्टे जुर्माने के तौर पर भी बड़ी धनराशि वसूल रहे हैं। बीते पांच वर्षों में ही सरकारी बैंकों ने इस मद में 8500 करोड़ रुपये ग्राहकों से वसूले हैं। बीते दिनों वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने संसद में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। इसके अतिरिक्त भी बैंक तमाम सेवाओं के नाम पर शुल्क वसूल रहे हैं।
बैंकों द्वारा वसूला जा रहा चार्ज
डुप्लीकेट पासबुक – 100 रुपये
चेक रिटर्न चार्ज - 300 रुपये (एक लाख रुपये तक का चार्ज) एक करोड़ तक का चेक – 500 रुपये
सिग्नेचर वेरीफिकेशन – 100 रुपये
सिग्नेचर वेरीफिकेशन (संयुक्त खाता )- 150 रुपये
ब्रांच में जाकर नॉमिनी का नाम बदलना - 100 रुपये
बैंक द्वारा पासबुक अन्य कागज भेजना - सामान्य डाक 50 रुपये, पंजीकृत डाक – 100 रुपये
पांच से अधिक बार खाते से नकदी निकासी - 150 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन
ब्याज प्रमाण पत्र – पहली बार निशुल्क, उसके बाद प्रति बार 100 प्रति सर्टिफिकेट
ईकेवाईसी - 10 रुपये
आरटीजीएस
– दो लाख तक कोई शुल्क नहीं
- दो से पांच लाख तक 25 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन
- पांच लाख से ऊपर 49 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन
एनईएफटी
- 10 हजार तक दो रुपये
- 10 हजार से एक लाख तक 4.50 रुपये
- एक से दो लाख रुपये तक 14.00 रुपये
- एक दिन में दो लाख से ऊपर के एनईएफटी ट्रांसफर 24 रुपये।
खाना मंगवाने पर चुकानी पड़ रही पहले से ज्यादा रकम
बीते दिनों फूड डिलिवरी करने वाले जोमैटो, स्विगी जैसे प्लेटफॉर्म ने भी अपना शुल्क बढ़ा दिया था। इसमें करीब 20 प्रतिशत तक का एक झटके में इजाफा किया गया था। पहले प्रति ऑर्डर प्लेटफॉर्म शुल्क दो रुपये लिया जाता था, जिसे बाद में बढ़ाकर पांच रुपये किया गया और फिर बाद में छह रुपये प्रति ऑर्डर निर्धारित कर दिया गया।
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