बिक रही यह दिवालिया कंपनी, NCLT ने दिया बड़ा आदेश, शेयर में भूचाल, ₹4 पर आ गया भाव
- Stock Crash: कंपनी के शेयर आज 5% तक टूटकर 4.50 रुपये पर आ गए थे। सालभर में इसमें 75% की गिरावट देखी गई। 11 जनवरी 2008 में कंपनी क शेयर 296 रुपये के भाव पर पहुंच गए थे। यानी तब से अब तक में इसमें 99% तक की गिरावट देखी गई।

Jaiprakash Associates Share: राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने निर्देश दिया है कि दिवाला प्रक्रिया के जरिये जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के अधिग्रहण की कर्ज समाधान योजनाओं को अलग-अलग सेगमेंट के हिसाब से नहीं बल्कि पूरी कंपनी के लिए एक साथ लाया जाना चाहिए। एनसीएलटी ने कहा है कि जेएएल के समाधान पेशेवर द्वारा प्रकाशित ‘फॉर्म जी’ में संभावित खरीदारों से दो विकल्पों से लैस अभिरुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए गए हैं। इसका दूसरा विकल्प जेएएल के व्यावसायिक संचालन को कई समूहों में विभाजित करने की बात करता है जो दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों का उल्लंघन है। बता दें कि कंपनी के शेयर आज 5% तक टूटकर 4.50 रुपये पर आ गए थे। सालभर में इसमें 75% की गिरावट देखी गई। 11 जनवरी 2008 में कंपनी क शेयर 296 रुपये के भाव पर पहुंच गए थे। यानी तब से अब तक में इसमें 99% तक की गिरावट देखी गई।
क्या है डिटेल
एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने कहा कि दो विकल्पों की प्रक्रिया कानून के लिहाज से समर्थन योग्य नहीं है, क्योंकि आईबीसी में एक के बाद एक चरणों का पालन करने की बात कही गई है। दो-सदस्यीय पीठ ने अपने 57 पृष्ठ के आदेश में कहा, ‘‘कर्जदार कंपनी की संपत्ति वाले समूहों के संबंध में समाधान योजनाएं केवल पहले विकल्प के समाप्त होने के बाद ही लाई जा सकती हैं।’’ हालांकि, एनसीएलटी ने कहा कि फॉर्म जी लाकर ईओआई आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है और उसके पहले विकल्प को निर्धारित किया जा चुका है, लिहाजा विकल्प एक से संबंधित प्रक्रिया जारी रह सकती है। इसके साथ ही एनसीएलटी ने कहा कि यदि जेएएल के लिए कोई बोली प्राप्त नहीं होती है, तो वह किस्तों में कारोबार बिक्री पर विचार कर सकता है। एनसीएलटी का यह आदेश जेएएल के निलंबित निदेशक मंडल में शामिल रहे सुनील कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका पर आया है।
क्या है मामला
जेएएल के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया तीन जून, 2024 को आए इलाहाबाद पीठ के आदेश पर शुरू की गई थी। पूर्व प्रवर्तकों ने इसे अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के समक्ष चुनौती दी है लेकिन अभी तक इस प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगी है।
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