3 साल में बीमा सरेंडर करने पर नुकसान, चार्जेज को लेकर हुए बड़े बदलाव
- बीमा में वापसी मूल्य से मतलब बीमा कंपनियों के पॉलिसीधारक को उसकी मैच्योरिटी तिथि से पहले पॉलिसी समाप्त करने पर भुगतान की गई राशि से है। यदि पॉलिसीधारक पॉलिसी अवधि के दौरान ‘सरेंडर’ करता है, तो उसे कमाई और बचत हिस्से का भुगतान किया जाता है।
बीमा सेक्टर में कई बड़े फैसले हुए हैं। बीमा नियामक इरडा ने अलग-अलग नियमों को नोटिफाई किया है। इसमें बीमा पॉलिसी वापस या सरेंडर करने से जुड़ा चार्ज भी शामिल है। बता दें कि बीमा कंपनियों को इस तरह के चार्जेज का खुलासा पहले ही करना होता है। इसके साथ ही इरडा (बीमा उत्पाद) विनियमन, 2024 के तहत छह नियमों को एक इंटीग्रेटेड स्ट्रक्चर में मिलाया गया है। इसका उद्देश्य बीमा कंपनियों को उभरती बाजार मांग के अनुसार तेजी से कदम उठाने में सक्षम बनाना, कारोबार सुगमता को बेहतर करना और बीमा को बढ़ावा देना है।
3 साल के भीतर सरेंडर करने पर
नोटिफिकेशन के मुताबिक यदि पॉलिसी खरीद के तीन साल के भीतर लौटाई या वापस की जाती है, तो वापसी मूल्य समान या उससे भी कम रहने की संभावना है। इसमें कहा गया है कि जिस पॉलिसी को चौथे से सातवें वर्ष तक वापस किया जाता है, उनके वापसी मूल्य में मामूली वृद्धि हो सकती है। बीमा में वापसी मूल्य से मतलब बीमा कंपनियों के पॉलिसीधारक को उसकी मैच्योरिटी तिथि से पहले पॉलिसी समाप्त करने पर भुगतान की गई राशि से है। यदि पॉलिसीधारक पॉलिसी अवधि के दौरान ‘सरेंडर’ करता है, तो उसे कमाई और बचत हिस्से का भुगतान किया जाता है।
19 मार्च को हुई थी बैठक
इरडा ने 19 मार्च को हुई अपनी बैठक में बीमा क्षेत्र के लिए नियामकीय ढांचे की व्यापक समीक्षा के बाद आठ सिद्धांत-आधारित एकीकृत नियमों को मंजूरी दी। इन नियमों में पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा, ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र की जिम्मेदारियां, इलेक्ट्रॉनिक बीमा बाजार, बीमा उत्पाद और विदेशी पुनर्बीमा शाखाओं के संचालन के साथ-साथ पंजीकरण, बीमा जोखिम और प्रीमियम के मूल्यांकन, वित्त, निवेश तथा कंपनी संचालन के पहलू जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।
क्या कहा इरडा ने
इरडा ने बयान में कहा- यह नियामकीय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें 34 नियमों को छह नियमों के साथ बदला गया है। साथ ही नियामकीय आउटलुक में स्पष्टता को लेकर दो नये नियम लाये गये हैं। इसमें कहा गया है कि बीमा उद्योग, विशेषज्ञों और जनता सहित अलग-अलग संबद्ध पक्षों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद यह कदम उठाया गया है।
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