दालों के दाम घटने के बजाय बढ़ गए, मुनाफाखोर नहीं मान रहे सरकार का निर्देश
- उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक 16 अक्टूबर को अरहर की दाल का औसत मूल्य 163.07 रुपये था। उड़द का औसत भाव 124.77 और चना दाल की कीमत 94.59 रुपये प्रति किलो थी। यानी, सरकार के इन निर्देशों का कोई व्यापक प्रभाव देखने को नहीं मिला।
प्रमुख खुदरा विक्रेता चेन ने अभी तक दाल की कीमतें कम नहीं की हैं और थोक और खुदरा दरों के बीच बढ़ते अंतर के कारण मुनाफावसूली जारी रखे हुए हैं, इसके मद्देनजर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने रिलायंस रिटेल से दालों के दाम और अपना मार्जिन कम करने को कहा है।
इस घटनाक्रम से अवगत दो सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय का विचार है कि एक बार भारत का सबसे बड़ा खुदरा विक्रेता इन उपायों को अपना ले तो अन्य खुदरा विक्रेता भी उसके इस कदम का अनुसरण करेंगे। सरकार ने आठ अक्तबूर को प्रमुख खुदरा बिक्री चेन को कीमतें कम करने का निर्देश दिया था लेकिन, उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, दालों के दाम घटने के बजाय वास्तव में बढ़ गए हैं।
निर्देशों का कोई व्यापक प्रभाव देखने को नहीं मिला
सात अक्टूबर को तुअर की औसत खुदरा कीमत 163.31 प्रति किलोग्राम, उड़द की कीमत 124.79 प्रति किलोग्राम और चना दाल 94.32 प्रति किलो थी। जबकि, उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक 16 अक्टूबर यानी इसी बुधवार को अरहर की दाल का औसत मूल्य 163.07 रुपये था। उड़द का औसत भाव 124.77 और चना दाल की कीमत 94.59 रुपये प्रति किलो थी। यानी, सरकार के इन निर्देशों का कोई व्यापक प्रभाव देखने को नहीं मिला।
सरकार ने रिलायंस रिटेल को पहल करने को बोला
उपरोक्त मामले के जानकार एक सूत्र ने कहा कि हमने रिलायंस रिटेल से दालों की खुदरा कीमतें कम करने के लिए कहा है। रिलायंस रिटेल का कवरेज 4,000 पिन कोड तक फैला हुआ है और एक बार जब यह खुदरा चेन दालों के दाम कम करना शुरू कर देगी, तो अन्य लोग भी मजबूर होकर ऐसा कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह सरकारी अधिकारियों और रिलायंस रिटेल के अधिकारियों के बीच चर्चा हुई, जिसमें रिटेल चेन इस बात पर सहमत हुई कि वह खुदरा कीमतों को थोक दरों के अनुरूप व्यवस्थित करेगी ताकि उपभोक्ताओं को इससे लाभ हो सके।
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