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ट्रंप के टैरिफ वॉर से भारत पर क्या पड़ेगा असर, मोदी सरकार की क्या है तैयारी

  • Trump Tariff and India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड और टैरिफ वॉर से भारत समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने का अनुमान है। इसका असर आम आदमी की जेब से लेकर सर्राफा और शेयर मार्केट तक पड़ सकता है।

Drigraj Madheshia हिन्दुस्तान टीमWed, 5 March 2025 05:37 AM
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ट्रंप के टैरिफ वॉर से भारत पर क्या पड़ेगा असर, मोदी सरकार की क्या है तैयारी

Trump Tariff and India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन, कनाडा और मैक्सिको पर जवाबी टैरिफ लागू करने से ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंका बढ़ गई है। इन देशों ने भी अमेरिका पर टैरिफ बढ़ा दिया है। इन फैसलों से भारत समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने का अनुमान है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की जीडीपी पर इसका सीमित असर ही रहेगा, लेकिन इसकी रफ्तार धीमी हो सकती है। हालांकि, कुछ क्षेत्र जरूर इससे प्रभावित हो सकते हैं। खासकर शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है। वहीं, रोजगार के मोर्च पर कटौतियां देखने को मिल सकती है।

1. जीडीपी : अर्थव्यवस्था पर अधिक असर नहीं

गोल्डमैन सैक्स ने हाल में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रंप के टैरिफ से भारत के सकल घरेलू उत्पाद पर 0.1 से 0.6 के बीच असर पड़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की घरेलू गतिविधियां बढ़ने से इसका असर सीमित रहेगा। वहीं, साख निर्धारित करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का कहना है कि अमेरिकी शुल्क का भारत पर कोई खास प्रभाव नहीं होगा। इसका कारण यह है कि अर्थव्यवस्था को घरेलू कारकों से गति मिल रही है, जबकि निर्यात पर निर्भरता कम है।

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2. महंगाई : कुछ वस्तुओं के दाम में उछाल संभव

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रो. अरुण कुमार के मुताबिक, टैरिफ युद्ध से वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ेगी। इसका असर भारत पर भी दिखेगा और निर्यात लागत बढ़ेगी। इससे न केवल निर्यात क्षेत्र प्रभावित होगा, बल्कि देश के अंदर उन वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़ेंगे, जिन्हें हम निर्यात कर रहे है। इससे महंगाई में वृद्धि देखने को मिल सकता है। आर्थिक विकास दर धीमी होगी। इसका असर संगठित और असंगठित दोनों ही क्षेत्रों पर देखने को मिल सकती है।

3. शेयर बाजार : गिरावट का दौरा जारी रहने की आशंका बढ़ी

टैरिफ घसामान से दुनियाभर के शेयर बाजारों में अस्थिरता की आशंका और बढ़ गई है। सोमवार को अमेरिका बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। इसका असर भारतीय बाजारों पर दिखा। सेंसेक्स 73000 अंक से नीचे आ गया। वहीं निफ्टी भी 22,000 अंक के स्तर तक आ चुका है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली और धातु कंपनियों के शेयरों में गिरावट इसका प्रमुख कारण है।

विदेशी निवेशक टैरिफ युद्ध बढ़ने की आशंका से भारतीय बाजारों से लगातार अपनी रकम निकाल रहे हैं। इस साल अब तक वे 1.15 लाख करोड़ से अधिक की निकासी कर चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में गिरावट का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है।

4. सोना : कीमतों में आगे भी तेज उछाल से आसार

टैरिफ वॉर बढ़ने की आशंका से लोग सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की खरीदारी कर रहे हैं। इससे सोने की कीमतों में तेजी आई। भारत में सोने के दाम रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गए हैं। मंगलवार को सोने के दाम में 1100 रुपये का उछाल आया और 89,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गया। चांदी की कीमत भी 1500 रुपये बढ़कर 98,000 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वैश्विक अनिश्चितता बढ़ती है तो सोने की कीमतों में आगे तेज उछाल देखने को मिल सकता है। सोने की कीमतें इसलिए बढ़ रही हैं, क्योंकि लोग अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को लेकर अनिश्चितता महसूस कर रहे हैं और सोने को सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं।

5. रोजगार : कुछ क्षेत्रों में शुरू हो सकता है छंटनी का दौर

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप के इस फैसले का असर अमेरिकी कंपनियों पर भी पड़ेगा। वे बड़े पैमाने पर छंटनियां शुरू कर सकती हैं। कुछ कंपनियों ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। इसका असर उन भारतीय कंपनियों पर पड़ सकता है, जो अमेरिका से व्यापार साझा करती हैं।

खासकर आईटी, ऑटोमोबाइल, कपड़ा और धातु क्षेत्र में नौकरियां कम हो सकती हैं। इसके अलावा, कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से उत्पादन लागत बढ़ सकती है, जिससे उद्योगों की लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है।

क्या है भारत की तैयारी

1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने कुछ वस्तुओं पर शुल्क में कटौती करने पर सहमति व्यक्त की।

2. नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक भारत अमेरिका से आयातित 30 से अधिक वस्तुओं पर टैरिफ में कटौती कर सकता है।

3. इसके अलावा भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार के लिए “मिशन 500” पर सहमत हुए।

4. इसका मकसद 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है।

5. बजट में सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और महंगी मोटरसाइकिलों सहित कई उत्पादों पर आयात शुल्क कम कर दिया।

6. भारत व्यापार और निर्यात की दिशा में यूरोप, मध्य पूर्व और अमेरिका से संपर्क स्थापित करने के लिए लगातार नए रास्ते तलाश रहा है।

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