Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Gensol founders Anmol Singh Jaggi and Puneet Singh Jaggi resign share crash 95 percent in YTD

बर्बादी की कगार पर कंपनी, अब फाउंडर ने दिया इस्तीफा, 95% टूटा शेयर, ₹53 पर आया भाव

इस बीच आज कंपनी के शेयर में लगातार तीसरे सप्ताह लोअर सर्किट लगा। आज यह शेयर 5% गिरकर 53.95 रुपये पर आ गया था।

Varsha Pathak लाइव हिन्दुस्तानMon, 12 May 2025 06:53 PM
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बर्बादी की कगार पर कंपनी, अब फाउंडर ने दिया इस्तीफा, 95% टूटा शेयर, ₹53 पर आया भाव

Gensol Engineering Ltd Share: जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर अनमोल सिंह जग्गी और पूर्णकालिक डायरेक्टर पुनीत सिंह जग्गी ने सोमवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अंतरिम आदेश के अनुपालन का हवाला देते हुए अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। ये इस्तीफे 12 मई को कारोबारी घंटों की समाप्ति पर प्रभावी होंगे। इस बीच आज कंपनी के शेयर में लगातार तीसरे सप्ताह लोअर सर्किट लगा। आज यह शेयर 5% गिरकर 53.95 रुपये पर आ गया था। बता दें कि इस साल अब तक 5 महीने के भीतर ही यह शेयर 95% तक टूट गया है।

सेबी के एक्शन के बाद फैसला

बता दें कि सेबी ने जग्गी बंधुओं पर पब्लिक रूप से लिस्टेड कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग से कर्ज राशि को पर्सनल उपयोग के लिए निकालने के आरोप थे। इससे कॉर्पोरेट प्रशासन और वित्तीय कदाचार पर चिंताएं बढ़ गई थीं। इसके बाद सेबी ने पिछले महीने जग्गी बंधुओं को प्रतिभूति बाजारों तक पहुंचने से अगले नोटिस तक रोक दिया था। बता दें कि भाइयों ने दो प्रमुख कारोबार शुरू किए थे: जेनसोल इंजीनियरिंग और ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी। ये कंपनी क्लीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर फोकस थे।

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जग्गी ब्रदर्स ने क्या कहा?

अनमोल सिंह जग्गी ने बोर्ड को संबोधित अपने त्यागपत्र में लिखा, "मैं 12 मई, 2025 को कारोबारी घंटों की समाप्ति से जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। इसके अलावा मैं घोषणा करता हूं कि मैं 15 अप्रैल, 2025 के सेबी अंतरिम आदेश के तहत दिए गए निर्देश के कारण इस्तीफा दे रहा हूं।" यह इस्तीफा पिछले सप्ताह प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) द्वारा सेबी के उक्त आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद आया है।

जेनसोल का मामला क्या है?

सेबी के अंतरिम आदेश में जेनसोल पर धोखाधड़ी करने और फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है। एक प्रमुख आरोप भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) द्वारा संयुक्त रूप से स्वीकृत 978 करोड़ रुपये के टर्म लोन के दुरुपयोग के इर्द-गिर्द केंद्रित है। यह धनराशि 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए थी, जिन्हें जेनसोल की सहयोगी कंपनी ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी को लीज पर दिया जाना था। हालांकि, कथित तौर पर 567 करोड़ रुपये की लागत से केवल 4,700 वाहन ही खरीदे गए, जिससे 262 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं हो पाया। सेबी ने आरोप लगाया है कि अप्रयुक्त धनराशि को असंबंधित लेनदेन में लगाया गया, जिसमें लग्जरी रियल एस्टेट की खरीद और प्रमोटरों से जुड़ी संस्थाओं को किए गए भुगतान शामिल हैं।

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