3 दिन में 4285 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री, FPI लगातार घेरलू बाजार से निकाल रहे हैं पैसा, एक्सपर्ट्स ने बढ़ाई टेंशन
- FPI: शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी जारी है। साल के पहले 3 कारोबारी सत्रों में 4285 करोड़ रुपये की शेयरों की बिक्री एफपीआई ने की है। एक्सपर्ट के अनुसार यह बिकबाली आगे भी जारी रहेगी।
Stock Market: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों से पहले आशंकाओं और घरेलू शेयरों के हाई वैल्यूएशन के कारण इस महीने के पहले तीन कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजारों से 4,285 करोड़ रुपये निकाले हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इससे पहले पूरे दिसंबर माह में एफपीआई ने शेयरों में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था। वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बीच एफपीआई की धारणा में बदलाव आया है।
क्या बोल रहे हैं एक्सपर्ट?
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘जबतक डॉलर मजबूत रहेगा और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल आकर्षक रहेगा, तबतक एफपीआई की बिकवाली जारी रहने की संभावना है। डॉलर इंडेक्स इस समय 109 के आसपास है और 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल 4.5 प्रतिशत से अधिक है। इस वजह से एफपीआई निकासी कर रहे हैं।’’ आंकड़ों के अनुसार, एक से तीन जनवरी के दौरान एफपीआई ने 4,285 करोड़ रुपये के शेयर बेचे है। विदेशी निवेशकों के बीच अनिश्चितता का पता मौजूदा निकासी के रुख से चलता है।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर- एमडी रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘विदेशी निवेशकों ने कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों से पहले सतर्क रुख अपनाया है। इसके अलावा अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित नीतियों और वैश्विक बाजारों पर उनके प्रभाव की वजह से भी निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं।’’
किस बात का पड़ रहा है असर?
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट ने एफपीआई की धारणा को और कमजोर कर दिया है, क्योंकि मुद्रा जोखिम ने भारतीय निवेश को कम आकर्षक बना दिया है। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा इस साल ब्याज दरों में कम कटौती के संकेत भी निवेशकों का भरोसा बढ़ाने में विफल रहे हैं। घरेलू मोर्चे पर बात की जाए, तो एफपीआई मुख्य रूप से ऊंचे मूल्यांकन की वजह से बिकवाली कर रहे हैं।
कुल मिलाकर यह रुझान विदेशी निवेशकों द्वारा सतर्क रुख को दर्शाता है, जिन्होंने 2024 में भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। 2023 में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। वहीं 2022 में एफपीआई ने 1.21 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।
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