फैबइंडिया की बिम बिसेल ने दुनिया का कहा अलविदा; आइडिया से रेवेन्यू ऐसे पहुंचा ₹1700 करोड़ के पार
- बिमला नंदा बिसेल (Bim Bissell) का आज (गुरुवार, 10 जनवरी) निधन हो गया। वे 92 साल की थीं। उन्हें बिम बिलेस के नाम से भी जाना जाता है। उनका स्वास्थ्य लंबे समय से खराब था।
बिमला नंदा बिसेल (Bim Bissell) का आज (गुरुवार, 10 जनवरी) निधन हो गया। वे 92 साल की थीं। उन्हें बिम बिलेस के नाम से भी जाना जाता है। उनका स्वास्थ्य लंबे समय से खराब था। बिम को सांस्कृतिक संरक्षक के तौर पर जान जाता था, लेकिन उनकी बड़ी पहचान फैबइंडिया (FabIndia) को नए मुकाम पर पहुंचाने के तौर पर रही है। वे 1958 में फैबइंडिया से एक साथी एक सलाहकार के तौर पर जुड़ी थीं। उन दिनों इस कंपनी को उनके पति जॉन बिसेल चला रहे थे। बिम ने उन दिनों मार्केट को समझा और समय के साथ कपड़ों से जुड़े अपने बिजनेस में कई इनोवेशन किए। जिसके चलते आज ये ग्लोबल कंपनी बन चुकी है। बिम ने कैसे अपने दिमाग से फैबइंडिया को इस मुकाम पर पहुंचाया, चलिए जानते हैं।
अमेरिकी से जुड़े फैबइंडिया के तार
फैबइंडिया की स्थापना अमेरिका के रहने वाले जॉन बिसेल ने की थी। खास बात ये है कि उन्होंने इस कंपनी का भारत में आकर तैयार किया। फैबइंडिया को बनाने की किस्सा भी बेहद दिलचस्प है। दरअसल, 1958 में जॉन को फोर्ड फाउंडेशन की तरफ से 2 साल के लिए भारत भेजा गया था। उनका काम भारत में ग्रामीणों को एक्सपोर्ट के लिए चीजें बनाने के लिए प्रेरित करना था। वे अमेरिकी फर्म सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (CCIC) में सलाहकार भी थे। भारत में 2 साल के दौरान उन्हें देश से लगाव हो गया। खासकर उन्हें यहां की संस्कृति और हाथों से कपड़े तैयार करने वाले कारीगर बेहत पसंद आए। जिसके बाद उन्होंने भारत में ही रहकर ही काम करने का मन बना लिया।
95,000 रुपए में शुरू हुई कंपनी
जॉन भारत में बुनकरों की कला से वाकिफ थे, तो उन्होंने अपनी दादी से मिले 95,000 रुपए से छोटी-सी कंपनी बनाई। 1960 में बनाई गई इस कंपनी का नाम फैबइंडिया लिमिटेड रखा गया। कंपनी की शुरुआत घर के दो छोटे से कमरों से हुई। यह कंपनी भारत में स्थानीय स्तर पर बने प्रोजक्ट को खरीदकर विदेश भेजने का काम करती थी। जॉन भारतीय क्राफ्ट दुनियाभर में पहुंचाना चाहते थे। इसके लिए वे एक ऐसे शख्स की तलाश कर रहे थे, जो एकदम सपाट बुनाई कर सके। तब उन्हें एक होम फर्निशिंग मैन्युफैक्चरर एएस खेरा मिले। जो उनके लिए पहले सप्लायर भी थे। 1965 में ही फैबइंडिया का रेवेन्यू 20 लाख रुपए हो गया था।
पंजाबी फैमिल की बिमला से हुई शादी
जॉन ने उन दिनों बिमला नंदा से शादी की। बिमला पंजाबी फैमिली से थीं। फैबइंडिया को आगे बढ़ाने वो भी पति के साथ एक सलाहकार के तौर पर जुड़ गईं। बिमला को उनके दोस्त बिम के नाम से बुलाते थे। बिम ने जल्दी ही इस इंडस्ट्री के बारे में सबकुछ समझ लिया। जिसके बाद उन्होंने कपड़ों में कई एक्सपेरिमेंट किए, जो लोगों को पसंद भी आए। 1976 में पहली बार कंपनी ने रिटेल में कदम रखा। उन्होंने दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में फैबइंडिया का पहला आउटलेट खोला। दूसरा आउटलेट 1994 में दिल्ली में ही खोला गया। जिससे कंपनी की बिक्री 12 करोड़ रुपए तक पहुंच गई।
पारंपरिक आइडिया से कंपनी को चमकाया
1998 में जॉन का 66 साल की आयु में निधन हो गया। हालांकि, फैबइंडिया की कामयाबी का सिलसिला नहीं थमा। उन्होंने देश के ट्रेडिशनल कपड़े जैसे चंदेरी, सांगानेरी, कच्छी, बनारसी जैसे कपड़ों को बेहतर बनाकर आगे बढ़ाया। आज फैबइंडिया देश में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी अपने क्वलालिटी कपड़ों और भारत के पारंपरिक परिधान के लिए जाती जाती है। इन दिनों इस कंपनी को जॉन-बिम के बेटे विलियम नंदा बिसेल आगे बढ़ा रहे हैं। 2006 में कंपनी ने नॉन-टैक्सटाइल रेंज भी बाजर में लॉन्च की। इसमें ऑर्गेनिक फूड से लेकर पर्सनल केयर और हाथ से बनी ज्वैलरी तक शामिल हैं। अब देश के कई राज्यों के 55,000 से ज्यादा कारीगर कंपनी के साथ जुड़े चुके हैं।
करीब 1,700 करोड़ का हुआ रेवेन्यू
साल 2007 में कंपनी ने पहली बार 200 करोड़ रुपए का रेवेन्यू पार किया था। फैबइंडिया अब सिंगापुर, भूटान, इटली, नेपाल, मलेशिया और मॉरीशस तक पहुंच चुकी है। इसके ये सफर लगातार जारी है। 2016 में कंपनी की नेटवर्थ 5,397 करोड़ रुपए की हो चुकी थी। साल 2024 में कंपनी की नेटवर्थ 16,000 करोड़ रुपए के आसपास पहुंच चुकी है। देशभर में इसके 400 से ज्यादा स्टोर हैं। कंपनी का रेवेन्यू लगभग 1,700 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
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