इकोनॉमिक ग्राेथ की रफ्तार सुस्त रहने के आसार, GDP के 6.5% पर रहने का अनुमान
- अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कई कारण गिनाए गए हैं। भारी वर्षा के कारण कई क्षेत्रों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जिससे खनन गतिविधि, बिजली की मांग और खुदरा ग्राहकों की संख्या प्रभावित हुई और व्यापारिक निर्यात में भी कमी आई।
Economic Growth: देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में धीमी होकर 6.5% होने की संभावना है। यह पिछली छह तिमाहियों में सबसे धीमी वृद्धि होगी। मिंट के सर्वे में शामिल 26 26 अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान जताया है। पिछली तिमाही में वृद्धि दर 6.8 फीसदी रही थी। दूसरी तिमाही के आधिकारिक आंकड़े 30 नवंबर को जारी होने की उम्मीद है।
अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि भारत की जीडीपी वृद्धि 6.20% और 6.85% के बीच होगी। यदि यह अनुमान सही साबित होते हैं तो वृद्धि दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दूसरी तिमाही के सात फीसदी के अनुमान से कम हो जाएगी, जिसे केंद्रीय बैंक की अक्टूबर की बैठक में 7.2% से संशोधित किया गया था। सर्वे में शामिल केवल दो अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि आर्थिक विकास की रफ्तार जून तिमाही से अधिक रह सकती है।
ये होंगे कारण
अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कई कारण गिनाए गए हैं। इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि देश के विकास को दूसरी तिमाही में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। भारी वर्षा के कारण कई क्षेत्रों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जिससे खनन गतिविधि, बिजली की मांग और खुदरा ग्राहकों की संख्या प्रभावित हुई और व्यापारिक निर्यात में भी कमी आई। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कहा कि अच्छे मानसून का फायदा आगे मिलेगा तथा खरीफ उत्पादन में वृद्धि तथा जलाशयों के पुनः भरने से ग्रामीण मांग में निरंतर सुधार होने की संभावना है।
आगे मिलेगी अर्थव्यवस्था को रफ्तार
वहीं, एचडीएफसी बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि तीसरी और चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.8 से 7% के करीब रहने का अनुमान है। ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी से विकास को समर्थन मिलने की संभावना है। अक्टूबर में उच्च जीएसटी संग्रह, क्रय प्रबंधकों के सूचकांक, ई-वे बिल की तेज ने गतिविधि सुधार दिखाया।
छमाही में मजूबत प्रदर्शन रहेगा
सर्वे में शामिल अर्थशास्त्रियों का यह भी कहना है कि दूसरी तिमाही में 6.5% की वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में औसत सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.6% रहेगी। हालाँकि, कुछ अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि दूसरी छमाही पहली छमाही की तुलना में अधिक मजबूत होगी।
अन्य एजेंसियों का भी यही अनुमान
इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों ने भी चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर के सुस्त पड़कर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। देश की आर्थिक वृद्धि दर और इसके धीमे होने की आशंका को लेकर चिंताओं के बीच विश्लेषकों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024-25 में वृद्धि दर सात प्रतिशत के करीब पहुंच जाएगी।
घरेलू अर्थव्यवस्था पर दबाव
अर्थशास्त्रियों ने कहा, घरेलू अर्थव्यवस्था पर कुछ दबाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि समग्र मांग में वृद्धि जारी रही, लेकिन इसकी गति पिछली तिमाहियों की तुलना में धीमी रही तथा इससे मिली-जुली तस्वीर उभर कर सामने आई।
राजकोषीय घाटा 4.75 प्रतिशत रहने का अनुमान
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को कहा कि सरकार व्यय पर नियंत्रण रखकर वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को 4.75 प्रतिशत पर रख पाने में सक्षम होगी, जो बजट लक्ष्य से 0.19 प्रतिशत कम है। घरेलू रेटिंग एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सब्सिडी को छोड़कर राजस्व व्यय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.12 प्रतिशत होगा, जो बजट अनुमान से कम है।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री और सार्वजनिक वित्त प्रमुख देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में सरकार का पूंजीगत व्यय 11.11 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से 62,000 करोड़ रुपये कम रहेगा। हालांकि, पंत ने यह कहा कि सरकारी पूंजीगत व्यय अब भी एक साल पहले के मुकाबले 10.6 प्रतिशत अधिक रहेगा। सरकार ने शुरू में पूंजीगत व्यय में 17.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था।
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