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ई-कॉमर्स से जुड़े वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा

  • डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े कामगारों को पेंशन, चिकित्सा और दुर्घटना बीमा का कवर देने की तैयारी में है मोदी सरकार। अभी देश में 1.5 करोड़ से अधिक अस्थायी कामगार हैं। पेश है अरुण चट्ठा की रिपोर्ट…

Drigraj Madheshia हिन्दुस्तान टीमTue, 24 Dec 2024 05:52 AM
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ई-कॉमर्स कंपनियों से जुड़े कैब ड्राइवर, डिलिवरी ब्वाय व डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़कर अन्य तरह की सेवा देने वाले करीब डढ़े करोड़ कामगारों यानी गिग वर्कर को केंद्र सरकार सामाजिक सुरक्षा का लाभ देने जा रही है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से गठित कमेटी ने सभी पक्षों से विचार-विमर्श के बाद मसौदा तैयार किया है, जिसे जल्द ही सरकार को सौंपा जाना है। सूत्रों का कहना है कि कमेटी और मंत्रालय इस पक्ष में हैं कि काम के बदले भुगतान के आधार पर रखे गए कर्मचारियों को संगठित क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों की तरह ही सामाजिक सुरक्षा से जुड़े लाभ दिए जाएं।

अभी तक कमेटी ने ई-कॉमर्स एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म को संचालित कर रही कंपनियों के प्रमुख एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, प्लेटफॉर्म वर्क एसोसिएशन के प्रतिनिधियों और इस मुद्दे पर बेहतर अनुभव रखने वाले नॉलेज पार्टनर यानी विशेषज्ञों के साथ विस्तृत चर्चा की है।

वर्क एसोसिएशन ने सामाजिक सुरक्षा के लिए कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफओ से जोड़े जाने, दुर्घटना की स्थिति में आकस्मिक मृत्यु या दिव्यांगता की स्थिति में परिवार एवं स्वयं को एकमुश्त वित्तीय सहायता का लाभ दिए जाने जैसी प्रमुख मांगे रखी हैं। सूत्र बताते हैं कि कंपनियां अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिए जाने पर सहमत हैं।

दो तरह के मसौदे तैयार

उधर, सूत्र बताते हैं कि कमेटी ने दो तरह के मसौदे तैयार किए हैं। पहला कर्मचारियों को ईपीएफओ के जरिए बुढ़ापे में पेंशन का लाभ दिया जाए। दूसरा, सरकार द्वारा संचालित आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के तहत कर्मचारी को निशुल्क स्वास्थ्य सेवा का लाभ दिया जाए। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत दुर्घटना की स्थिति में एकमुश्त आर्थिक लाभ दिया जाए।

ध्यान रहे कि जीवन ज्योति योजना के तहत 436 रुपये का सालाना प्रीमियम देने पर संबंधित व्यक्ति की किसी भी कारण से मृत्यु होने पर एकमुश्त दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। जबकि, सुरक्षा बीमा योजना के तहत सालाना 20 रुपये का प्रीमियम जमा करने पर किसी दुर्घटना के समय मृत्यु अथवा अपंग होने पर दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

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कर्मचारियों पर नहीं पड़ेगा कोई वित्तीय बोझ

इन तमाम फैसलों को लागू किए जाने की स्थिति में कर्मचारियों की जेब पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020 में स्पष्ट तैयार पर उल्लेख किया गया है कि कंपनी अधिनियम-2013 के तहत कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निधि में योगदान देंगे।

उन्हें सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए एक से दो फीसदी तक योगदान करना होगा, जिसका इस्तेमाल कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने पर किया जाएगा। सामाजिक सुरक्षा संहिता में यह भी स्पष्ट है कि केंद्र सरकार गिग कामगारों और प्लेटफॉर्म कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा स्कीमें बना सकेगी।

स्कीम के तहत उन्हें जीवन और दिव्यांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व प्रसुविधाएं, वृद्धावस्था संरक्षा, क्रेच और अन्य कोई भी फायदा दिया जाएगा जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाए। अब सरकार संहिता के प्रावधानों के तहत सामाजिक सुरक्षा को लाने जा रही है और कंपनियां भी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए अंशदान देने पर सहमत हैं।

2029-30 तक सवा दो करोड़ से अधिक होगी कामगारों की संख्या

वर्ष 2022 में नीति आयोग ने गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों की स्थिति को लेकर रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया कि मौजूदा वक्त में देशभर में 77 लाख कर्मचारी ई-प्लेटफॉर्म से जुड़कर सेवाएं दे रहे हैं। अब उनकी संख्या बढ़कर करीब डेढ़ करोड़ तक हो गई है, जिसके वर्ष 2029-30 में बढ़कर 2.35 करोड़ होने का अनुमान है।

वर्तमान में काम कर रहे कर्मचारियों में 47 फीसदी मध्यम, 22 फीसदी उच्च और 31 फीसदी कम कुशल वाले हैं। इनमें मध्यम कुशल श्रमिकों की संख्या तेजी से बढ़ेगी और कम-उच्च कुशल की तेजी से कम होगी। ऐसे में इन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाए।

बंगलुरु में सबसे अधिक कर्मचारी

बंगलुरु 2.34 लाख

दिल्ली 2.25 लाख

मुंबई 1.33 लाख

पुणे 1.25 लाख

चेन्नई 93.22 हजार

नोट - आंकड़े वर्ष 2022 की नीति आयोग की रिपोर्ट के है। वर्तमान में यह संख्या 20 फीसदी अधिक होने का अनुमान है।

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