दीवाली की शॉपिंग के लिए लोन लेते समय कहीं कट न जाए आपकी जेब
- कई बैंक और वित्तीय संस्थाएं अलग-अलग ब्याज दर पर पर्सनल, लोन समेत फटाफट कर्ज की सुविधा देते हैं। अगर आप भी इस दीवाली लोन लेने की योजना बना रहे हैं तो कर्ज देने वाले संस्थान और उससे जुड़े सभी तरह के शुल्कों की जरूर पड़ताल कर लें।
दीवाली पांच दिन तक चलने वाला देश का सबसे बड़ा त्योहार है। इसकी शुरुआत आज से हो रही है। इसे धूमधाम से मनाने के लिए लोग मोटा बजट तय करते हैं। कई लोग कर्ज लेकर पैसों का इंतजाम करते हैं। कई बैंक और वित्तीय संस्थाएं अलग-अलग ब्याज दर पर पर्सनल, लोन समेत इंस्टैंट लोन की सुविधा देते हैं, लेकिन इसके लिए सही विकल्प का चुनाव करना बेहद जरूरी है। अगर आप भी इस दीवाली लोन लेने की योजना बना रहे हैं तो कर्ज देने वाले संस्थान और उससे जुड़े सभी तरह के शुल्कों की जरूर पड़ताल कर लें।
रजिस्ट्रेशन जरूर चेक करें
आप जिस भी बैंक, वित्तीय संस्थान या फिनटेक कंपनी से कर्ज लें, उसके बारे में यह जरूर जांच लें कि वह आरबीआई के साथ रजिस्टर्ड है या नहीं। आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर सभी वैध एनबीएफसी और फिनटेक कंपनियों की सूची प्रकाशित की है। यदि कोई कंपनी पंजीकृत नहीं है तो उससे कर्ज लेने से बचें।
केवाईसी जरूर कराएं
वैध लोन ऐप्स कंपनियां केवाईसी किए बैगर कर्ज नहीं देती हैं। इसलिए अपनी जानकारी को जरूर सत्यापित करवाएं। अगर कोई कंपनी या लोन ऐप इस प्रक्रिया के बैगर कर्ज देने का दावा कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं।
1. विलंबित भुगतान शुल्क किस्त का भुगतान करने से चूकने पर यह शुल्क लगता है, जो बकाया राशि का एक प्रतिशत होता है।
2. ईएमआई डिफॉल्ट शुल्क लिंक किए गए बैंक खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण ईएमआई भुगतान विफल हो जाता है, तो यह शुल्क देना पड़ सकता है।
3. दंडात्मक ब्याज बिना भुगतान वाली किस्त पर अतिरिक्त ब्याज देना पड़ सकता है, जो एक से दो फीसदी तक हो सकता है।
4. शेष राशि स्थानांतरण शुल्क यदि मौजूदा कर्ज को किसी अन्य ऋणदाता कंपनी में स्थानांतरित करते हैं तो इस प्रक्रिया के लिए भी शुल्क लग सकता है, क्योंकि इससे बैंक और संस्थान को संभावित ब्याज का नुकसान होगा।
5. ईसीएस स्वैपिंग शुल्क जब ग्राहक ईसीएस भुगतान के लिए बैंक खाते का विवरण देता है, जिससे ईएमआई काटी जाती है, उसे खाते को बदलने पर ईसीएस स्वैपिंग शुल्क लग सकता है।
फर्जी लोन ऐप से बचें
इसके अलावा कई कंपनियां लोन ऐप्स के माध्यम से भी फटाफट कर्ज मुहैया कराती हैं। इस तरह के ऐप्स की भी आरबीआई की वेबसाइट पर जाकर जांच कर लें। कई बार ऐसी कंपनियां फर्जी होती हैं, जो कर्ज के जाल में ग्राहकों को फंसा लेती हैं।
दस्तावेजों को अच्छे से पढ़ें
कर्ज समझौते के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से पहले बारीक अक्षरों समेत सभी नियम और शर्तों को अच्छी तरह से पढ़ें और समझें। यदि कोई ऐसा शब्द या नियम ऐसा है, जिसे आप समझ नहीं पा रहे हैं तो कंपनी से स्पष्टीकरण मांगें। अगर कंपनी जानकारी नहीं दे रही है तो कर्ज लेने से बचें।
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