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श्रीलंका में बड़े प्रोजेक्ट से बाहर हुई अडानी की कंपनी, क्यों आई नौबत, समझें

  • श्रीलंका की सरकार ने पिछले महीने कहा था कि उसने 1 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट से बिजली की लागत कम करने के लिए अडानी समूह के साथ बातचीत शुरू की है। अब अडानी की कंपनी ने बड़ा फैसला लिया है।

Deepak Kumar लाइव हिन्दुस्तानThu, 13 Feb 2025 01:47 PM
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श्रीलंका में बड़े प्रोजेक्ट से बाहर हुई अडानी की कंपनी, क्यों आई नौबत, समझें

अडानी ग्रुप की कंपनी- अडानी ग्रीन एनर्जी ने श्रीलंका में अपने 2 विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स को छोड़ दिया है। कंपनी द्वारा श्रीलंकाई सरकारी एजेंसी को भेजे गए एक पत्र के मुताबिक अडानी ग्रीन एनर्जी ने कहा कि वह श्रीलंका में दो प्रस्तावित विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स से हट जाएगी। श्रीलंका की सरकार ने पिछले महीने कहा था कि उसने 1 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट से बिजली की लागत कम करने के लिए अडानी समूह के साथ बातचीत शुरू की है।

क्या लिखा है लेटर में

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक कंपनी ने श्रीलंका के निवेश बोर्ड के चेयरमैन को संबोधित एक लेटर में लिखा- यह पता चला है कि प्रोजेक्ट प्रस्ताव पर फिर से बातचीत करने के लिए एक और कैबिनेट द्वारा नियुक्त वार्ता समिति और परियोजना समिति का गठन किया जाएगा। इस पहलू पर हमारी कंपनी के बोर्ड में विचार-विमर्श किया गया। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि कंपनी श्रीलंका के संप्रभु अधिकारों और उसकी पसंद का पूरा सम्मान करती है लेकिन वह सम्मानपूर्वक विंड प्रोजेक्ट्स से हट जाएगी। इस मामले पर अब तक ना तो श्रीलंका के निवेश बोर्ड की ओर से प्रतिक्रिया आई है और ना ही अडानी समूह ने बयान दिया है।

श्रीलंका में हो रही थी समीक्षा

बता दें कि बीते साल नवंबर महीने में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गौतम अडानी और अन्य अधिकारियों पर भारतीय बिजली आपूर्ति अनुबंधों को सुरक्षित करने के लिए रिश्वत देने की योजना का हिस्सा होने का आरोप लगा था। इसके बाद से श्रीलंका ने अडानी समूह की स्थानीय परियोजनाओं की समीक्षा शुरू की।

क्यों आई नौबत?

बता दें कि जनवरी में श्रीलंका सरकार के प्रवक्ता नलिंदा जयतिसा ने कहा था कि सरकार इस परियोजना की लागत को 0.06 अमेरिकी डॉलर प्रति यूनिट से कम करने के बारे में अडानी समूह की कंपनी के साथ नए सिरे से बातचीत करेगी। दरअसल, श्रीलंका की पिछली सरकार ने 484 मेगावाट क्षमता के विंड प्लांट के लिए 8.2 सेंट के भाव पर अडानी ग्रीन एनर्जी के साथ 20 साल का बिजली खरीद समझौता (पीपीए) करने का फैसला किया था। हालांकि, इस निर्णय पर विवाद हो गया था क्योंकि स्थानीय बोलीदाताओं ने उससे कम यूनिट कीमतों की बोली लगाई थी। श्रीलंका में चुनाव प्रचार के दौरान यह बड़ा मुद्दा बन गया था।

जयतिसा की पार्टी नेशनल पीपल्स पावर (एनपीपी) ने चुनाव प्रचार के दौरान अडानी ग्रीन एनर्जी परियोजना को रद्द करने का वादा किया था। पिछली सरकार द्वारा सहमत खरीद मूल्यों पर नई सरकार ने दिसंबर में हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। हालांकि, श्रीलंका सरकार ने उन खबरों का खंडन किया कि देश के मन्नार और पूनरिन परियोजनाओं के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में स्थित अडानी ग्रीन एनर्जी परियोजनाओं को रद्द किया जाना है। लेकिन सरकार ने यह जरूर कहा कि उसके द्वारा नियुक्त एक समिति पूरी परियोजना की समीक्षा करेगी।

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