अडानी की झोली में आई एक और सीमेंट कंपनी, ₹10422 करोड़ में खरीदी हिस्सेदारी
- पेन्ना सीमेंट के अधिग्रहण से अडानी समूह की सीमेंट उत्पादन क्षमता में 1.4 करोड़ टन सालाना की बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही अडानी समूह की कुल सीमेंट उत्पादन क्षमता 8.9 करोड़ टन प्रति वर्ष हो जाएगी।
अडानी समूह की कंपनी अंबुजा सीमेंट्स की झोली में एक और सीमेंट कंपनी आई है। इस कंपनी ने गुरुवार को 10,422 करोड़ रुपये के मूल्य पर पेन्ना सीमेंट इंडस्ट्रीज लिमिटेड (पीसीआईएल) का अधिग्रहण करने की घोषणा की है। इस अधिग्रहण के लिए दोनों कंपनियों ने एक पक्के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत अंबुजा सीमेंट्स पीसीआईएल के मौजूदा प्रवर्तक समूह पी प्रताप रेड्डी परिवार से कंपनी के 100 प्रतिशत शेयर खरीदेगी।
बढ़ेगा अडानी का दबदबा
हैदराबाद स्थित पेन्ना सीमेंट के अधिग्रहण से अडानी समूह की सीमेंट उत्पादन क्षमता में 1.4 करोड़ टन सालाना की बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही अडानी समूह की कुल सीमेंट उत्पादन क्षमता 8.9 करोड़ टन प्रति वर्ष हो जाएगी। पेन्ना सीमेंट के पास आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और राजस्थान (निर्माणाधीन) में 1.4 करोड़ टन प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता है। इसके साथ उसके जोधपुर प्लांट में सरप्लस क्लिंकर होने से अतिरिक्त 30 लाख टन सालाना की सीमेंट ग्राइंडिंग क्षमता पैदा होगी।
लॉजिस्टिक्स को भी मजबूती
इस अधिग्रहण से अडानी समूह के समुद्री परिवहन लॉजिस्टिक्स को भी मजबूती मिलेगी। इसके तहत प्रायद्वीपीय भारत में सेवा देने के लिए कोलकाता, गोपालपुर, कराईकल, कोच्चि और कोलंबो में पांच बल्क सीमेंट टर्मिनल खोले जाएंगे। इस अधिग्रहण से सीमेंट बाजार में अडानी समूह की अखिल भारतीय हिस्सेदारी 2 प्रतिशत और दक्षिण भारत में आठ प्रतिशत बढ़ जाएगी।
सीमेंट कारोबार का विस्तार
रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक शीर्ष पांच घरेलू सीमेंट विनिर्माता अधिग्रहण और अपने दम पर विस्तार योजनाओं के जरिये मार्च, 2025 तक अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाकर 55 प्रतिशत तक पहुंचा सकते हैं। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि ये कंपनियां मध्यम अवधि में अपने दम पर वृद्धि जारी रखने के साथ ही अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए अधिग्रहण के तरीके का भी इस्तेमाल करेंगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी समूह के हाथों एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स के अधिग्रहण को छोड़ दें तो इस क्षेत्र में विलय एवं अधिग्रहण के अन्य सौदे मुख्य रूप से अधिग्रहीत इकाई के पास कैश फ्लो की कमी या समूह के वित्तीय दबाव के कारण ही क्रियान्वित किए गए।
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