पिता खेतों में उपजा रहे अनाज, बेटा देश के लिए तैयार कर रहा जवान
मुंगेर जिला के तारापुर गांव में किसान सुभाष सिंह खेतों में अनाज के साथ-साथ अपने बेटों के दिलों में देश सेवा का भी बीज बो रहे थे। उसी की वजह से इनके चार पुत्र देश सेवा के लिए सेना में चले गए।
मुंगेर जिला के तारापुर गांव में किसान सुभाष सिंह खेतों में अनाज के साथ-साथ अपने बेटों के दिलों में देश सेवा का भी बीज बो रहे थे। उसी की वजह से इनके चार पुत्र देश सेवा के लिए सेना में चले गए। पिता की शिक्षा और उनके द्वारा कराए गए कठोर अभ्यास की वजह से ही इनके पुत्र रंजीत सिंह (पूर्व पैरा कमांडो) ने 14 साल छह माह नौकरी पूरी करने के बाद देश के लिए जवानों को तैयार करना शुरू कर दिए।
2019 में 100 छात्रों से की थी शुरूआत, अभी 1100 के करीब छात्र
बात सोलंकी डिफेंस एकेडमी सोल्जर ट्रेनिंग के निदेशक रंजीत सिंह (पूर्व पैरा कमांडो) की हो रही है। जिन्होंने 1100 के करीब छात्र रहकर पढ़ाई कर रहे है।
मानसिक और शारीरिक रूप से किया जाता है तैयार
सोलंकी डिफेंस एकेडमी (सोल्जर ट्रेनिंग सेंटर, भागलपुर) जहां, आसपास के राज्यों सहित सूबे के सारे जिलों से छात्र पढ़ने के लिए आते है। छात्रावास में रखकर इन छात्रों को सेना में जाने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया जाता है। निदेशक रंजीत सिंह का दावा है कि अब तक शत-प्रतिशत छात्रों को सफलता दिलायी है। उन्होंने कहा कि सेना में मुझे जो सीखाया गया। आज वही चीजें मैं अपने संस्थान में रहने वाले बच्चों को कराता हूं। उनका रूटीन पूरी तरह से सेना वाला ही रहता है। सुबह उठना, ग्राउंड पर अभ्यास के साथ-साथ छात्रों को परीक्षा की तैयारी विशेषज्ञों की देखरेख में कराया जाता है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब कम पढ़े लिखे लोग सेना में जाते थे। मगर पढ़-लिखे छात्र भी सेना में जाते है। मेरे संस्थान में ऐसे कई छात्र है। जो पढ़ाई में अच्छे है। उन्हें शारीरिक रूप से तैयार करके सेना में जाने लायक बना दिया जाता है।
छात्र-छात्रा दोनों को किया जाता है प्रशिक्षित
स केंद्र में छात्र-छात्रा दोनों को सेना के लिए तैयार किया जाता है। यहां पर रहने के लिए छात्रावास की सुविधा है। छात्रों को आर्मी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी, नेवी, बिहार पुलिस, बिहार दारोगा, बिहार एसआई, फायर मेन, फोरेस्ट गार्ड के लिए तैयार किया जाता है। इसके साथ-साथ स्पेशल बैच एसएससी, जीडी, आरपीएफ के लिए सुबह में कक्षाएं चलायी जाती है। छात्रों के लिए छह फैकेल्टी रखकर पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ छात्र-छात्राओं को सुबह पांच बजे से सैंडिंस कंपाउंड में शारीरिक अभ्यास के लिए भी ले जाया जाता है। इसके अलावा इन छात्रों के मेडिकल फिटनेस पर भी ध्यान रखा जाता है। ताकि आगे किसी भी प्रतियोगिता में मेडिकल फिटनेस पास करने में छात्रों को कोई परेशानी न आए। निदेशक ने बताया कि बच्चों को शरीरिक प्रशिक्षण वे खुद 11 बजे तक देते है। दो से तीन माह के सही अभ्यास से फिजिकल के लिए तैयार हो जाते है।
कोरोना काल में ऑनलाइन भी पढ़ाया, अब ऑफलाइन
सोलंकी डिफेंस एकेडमी का यूट्यूब चैनल है। जिसके माध्यम से कोई भी यहां की गतिविधि, पढ़ाई और प्रशिक्षण को देख सकता है। निदेशक रंजीत सिंह ने बताया कि कोरोना काल में ऑनलाइन कक्षाएं व मोटिवेशनल स्पीच देकर छात्रों को सकारात्मक रूप से तैयार किया गया। जिसका नतीजा है कि सभी छात्र आज भी अभ्यास सत्र में जुड़े हुए है। उन्होंने कहा कि पटना के बाद भागलपुर सबसे बड़ा एजुकेशन हब रहा है। मेरा गांव बगल में था। इसलिए मैंने भागलपुर और आसपास के छात्रों के लिए यह केंद्र खोला है। मगर अब तो इसमें कई राज्यों से छात्र आकर तैयारी करते है।
पहले गांव के लोग जानते थे अब जान रहा पूरा देश
पहले गांव के लोग ही जानते थे कि मैं पैरा कमांडो में था। मगर सोलंकी डिफेंस एकेडमी की वजह से अब पूरा देश जान रहा है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। रंजीत सिंह बताते है कि मेरे पिता लाख मुसीबत आने के बाद भी अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते रहे। साथ ही स्वास्थ्य पर ध्यान रखने के लिए हर दिन सुबह तीन बजे हमलोगों को मैदान में दौड़ का अभ्यास भी करवाते थे। उस समय गांव के लोग उन पर हंसते थे। मगर आज उनके बेटों को देखकर लोग गर्व कर रहे है।
पूनम के सहयोग के बिना सफलता अधूरी
रंजीत सिंह बताते है कि सोलंकी डिफेंस एकेडमी की सफलता में मेरी पत्नी पूनम सिंह का काफी योगदान है। 2007 में शादी के बाद से ही हमदोनों ने इस केंद्र की सोच पर काम किया। रास्ता इतना आसान नहीं था। शुरूआती दौर में कभी ग्राउंड का विवाद तो कभी छात्रों को परेशान किया। मगर दोनों धैर्य के साथ इसमें लगे रहे। शुरूआती दौर में परेशानी आयी मगर दोनों ने मिलकर मोर्चा संभाले रखा। पूनम सिंह संस्थान में पढ़ने वाली छात्राओं को सैंडिस कंपाउंड में शारीरिक प्रशिक्षण देती है। इसके साथ ही कार्यालय का सारा काम वही देखती है। नामांकन से लेकर छात्र-छात्राओं की कक्षाएं व आयोजित परीक्षा की सारी बागडोर उन्हीं के कंधों पर रहता है। इनके साथ संस्थान के कर्मी और शिक्षक मिलकर काम करते है। यही कारण है कि यहां का रिजल्ट शत-प्रतिशत होता है। इसके अलावे सेना से मेरे भाई जब छुट्टी पर आते है तो संस्थान के बच्चों को भी प्रशिक्षण देते है।
सेना से जुड़े सारे कोर्स करवाया जाता है
इस संस्थान की खासियत है कि सेना में जाने से पहले ही छात्रों को हर तरह से सेना के लिए तैयार किया जाता है। ताकि छात्र को वहां पर कोई परेशानी न हो। तीन माह से एक साल तक का कोर्स कराया जाता है। सार्टिफिकेट कोर्स के रूप में घातक कमांडो कोर्स, स्कॉट लीडर कोर्स, ऑटोमोबाइल कोर्स, मेडिकल कोर्स, एयरफोस कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाता है।
देश के साथ-साथ समाज की भी सेवा
निदेशक रंजीत सिंह बताते है कि देश के साथ-साथ समाज की सेवा भी करता हूं। सामाजिक गतिविधि में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता हूं। शादी, बच्चों की पढ़ाई में मदद करता हूं। कोरोना काल में घर-घर जाकर पानी चाय बिस्किट लोगों तक सोलंकी डिफेंस एकेडमी के द्वारा पहुंचाया गया। समाज से कमाकर समाज को वापस भी कर देता हूं।
परिवार के चारों भाई
सूबेदार ललन सिंह
रणजीत सिंह (पूर्व पैरा कमांडो)
निकेश सिंह (एनएसजी कमांडो)
कौशल सिंह
परिचय
रणजीत सिंह (पूर्व पैरा कमांडो)
पिता - सुभाष सिंह (किसान)
मां- चंद्रकला देवी
गांव- तारापुर (विषय)
पत्नी - पूनम सिंह
बेटा-बेटी -रिषिका सिंह, अधिराज सिंह राजपूत
पढ़ाई - आर्मी से स्नातक
हॉबी - बच्चों को देश के लिए तैयार करना, क्रिकेट खेलना
पता: सोलंकी डिफेंस एकेडमी (सोल्जर ट्रेनिंग सेंटर, भागलपुर) मानिक सरकार चौक स्वामी विवेकानंद रोड नजदीक चिल्ड्रेन पार्क पानी टंकी के सामने
मोबाइल: 8102458330, 9798220164
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