Hindi Newsओपिनियन विदेशी मीडियाHindustan Foreign Media Column 21 February 2022

सहमति का समय

जब नेपाली कांग्रेस विवादास्पद मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) कॉम्पैक्ट पर अपने गठबंधन सहयोगियों के बीच सहमति बनाने की कोशिश कर रही है, तब इसे लेकर विवाद सड़कों तक पहुंच गया है। इसके लिए और इसके...

Neelesh Singh द हिमालयन टाइम्स, नेपाल , Sun, 20 Feb 2022 09:09 PM
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सहमति का समय

जब नेपाली कांग्रेस विवादास्पद मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) कॉम्पैक्ट पर अपने गठबंधन सहयोगियों के बीच सहमति बनाने की कोशिश कर रही है, तब इसे लेकर विवाद सड़कों तक पहुंच गया है। इसके लिए और इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली सरकार बुधवार को प्रतिनिधि सभा में एमसीसी सौदे को पेश नहीं कर सकी, क्योंकि उसके एक गठबंधन सहयोगी सीपीएन-एमसी (माओवादी सेंटर) ने विरोध कर दिया। सदन की बैठक शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई, क्योंकि सीपीएन-एमसी ने बुधवार सुबह अपनी बैठक में एमसीसी सौदे के खिलाफ मतदान करने का फैसला कर लिया। नेपाल सरकार के पास संसद में एमसीसी सौदे को मंजूरी देने के लिए 28 फरवरी की समय सीमा है, जिसमें नाकाम रहने पर देश को दो प्रमुख परियोजनाओं- ट्रांसमिशन लाइन और सड़क पुनर्वास के लिए अमेरिकी सरकार से अनुदान में 500 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा। सीपीएन-एमसी और सीपीएन-यूएस के साथ—साथ कम्युनिस्ट पार्टियां इस बात पर जोर दे रही हैं कि कुछ शर्तों में संशोधन किए बिना कॉम्पैक्ट को वर्तमान स्वरूप में पारित नहीं किया जा सकता। एमसीसी विवाद सड़कों पर हिंसक गतिविधियों में बदल गया है। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा एमसीसी सौदे के विरोध में नेपाल बंद बुलाया गया। यह आने वाले मुश्किल दिनों का संकेत साबित हो सकता है। हिंसक गतिविधियों के चलते विभिन्न दलों के कम से कम 150 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगियों का सड़कों पर उतरना शुभ संकेत नहीं है। पहले सीपीएन-एमसी और सीपीएन-यूएस के नेता किसी न किसी रूप में सौदे को आगे बढ़ाने में शामिल थे। समय आ गया है कि सौदे का विरोध करने वाले हंगामा बंद करें और बताएं कि एमसीसी में क्या गलत है? कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि यह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के खिलाफ में है। यदि ऐसा है, तो लोगों को जानने का हक है। किसी ने बीआरआई का विरोध नहीं किया, और कोई कारण नहीं कि एमसीसी सौदे की मुखालफत हो।

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