अमेरिका और प्रयोगशालाएं

अमेरिका बिना किसी सुबूत के बार-बार यह दावा करता रहा है कि कोरोना वायरस चीन की एक प्रयोगशाला से लीक हुआ है, जबकि विशेषज्ञों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने गहन व स्वतंत्र जांच के बाद यही निष्कर्ष निकाला कि यह...

Neelesh Singh चाइना डेली, चीन , Sun, 13 March 2022 09:46 PM
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अमेरिका और प्रयोगशालाएं

अमेरिका बिना किसी सुबूत के बार-बार यह दावा करता रहा है कि कोरोना वायरस चीन की एक प्रयोगशाला से लीक हुआ है, जबकि विशेषज्ञों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने गहन व स्वतंत्र जांच के बाद यही निष्कर्ष निकाला कि यह ‘निहायत असंभव’ है। मगर अब अमेरिका से ही कहा जा रहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए यूक्रेन की अपनी जैविक प्रयोगशालाओं को खोले। इसकी मांग रूस के उस दावे के बाद हो रही है, जिसमें उसने कुछ दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि यूक्रेन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्लेग, हैजा, एंथ्रेक्स व अन्य रोगजनकों के सैंपल को 24 फरवरी से पहले नष्ट करने को कहा था। मंत्रालय ने इसे ‘सैन्य जैविक कार्यक्रमों के साक्ष्य मिटाने के आपात उपाय’ बताए थे। उल्लेखनीय है कि इन प्रयोगशालाओं को पेंटागन अपने कथित बायोलॉजिकल थ्रेट रिडक्शन प्रोग्राम के तहत मदद देता है, लेकिन इनकी देखरेख कोई विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय एजेंसी नहीं करती। इसीलिए, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने उचित ही अमेरिका को यूक्रेन में चल रही 26 जैविक प्रयोगशालाओं से यूक्रेनवासियों की सेहत और सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। इस युद्धग्रस्त देश में अमेरिका का यह कर्तव्य है कि इन प्रयोगशालाओं में मौजूद किसी भी रोगजनक से जोखिम पैदा न होने पाए। अमेरिका ने रूस के आरोपों को बेतुका बताकर खारिज कर दिया है, लेकिन उसकी चिकनी-चुपड़ी बातें इन प्रयोगशालाओं से जुड़े सुरक्षा खतरों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं दूर नहीं कर सकतीं। इतना ही नहीं, जिस जल्दबाजी से उसने यह कहते हुए कि रूस ऐसा करके यूक्रेन के अपने अपराध को सही ठहराने की कोशिश कर रहा है, गेंद वापस रूस के पाले में डालने की कोशिश की है, उसने भी लोगों का संदेह बढ़ा दिया है। यह समस्या का महज एक सिरा है, क्योंकि विदेशी जमीन पर 336 प्रयोगशाला अमेरिका के नियंत्रण में हैं। लिहाजा, अमेरिका न सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि उसकी जैविक प्रयोगशालाओं से कोई सुरक्षा जोखिम न पैदा हो, बल्कि उनको चलाने का मकसद भी उसे सार्वजनिक करना होगा। अमेरिका इन प्रयोगशालाओं में क्या कर रहा है, यह जानने का हक दुनिया को है।

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