यूक्रेन के शरणार्थी
बीती 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी हमले की शुरुआत से अब तक 15 लाख से भी अधिक लोग अपने घर, गांव, समुदाय और शहर छोड़कर भाग आए हैं और पड़ोसी मुल्कों में सुरक्षित पनाह की तलाश में मारे-मारे फिर रहे हैं।...
बीती 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी हमले की शुरुआत से अब तक 15 लाख से भी अधिक लोग अपने घर, गांव, समुदाय और शहर छोड़कर भाग आए हैं और पड़ोसी मुल्कों में सुरक्षित पनाह की तलाश में मारे-मारे फिर रहे हैं। यूरोप में इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा मानवीय संकट माना जा रहा है। पूर्व में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का पलायन सीरिया में गृहयुद्ध की शुरुआत और आईएस द्वारा खुद को खलीफा घोषित करने से पैदा हिंसक सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान दिखा था। बहरहाल, पोलैंड के अधिकारी अपने सरहदी इलाकों में बड़ी संख्या में नए लोगों के आगमन की चुनौती से जूझ रहे हैं। अब तक लगभग 10 लाख लोग, जिनमें ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और बूढे़ शामिल हैं, पोलैंड में एक अनिश्चितता भरे भविष्य के हवाले हो चुके हैं। मोल्डोवा, रोमानिया और हंगरी में भी इंसानों की बाढ़ उमड़ रही है।
हमेशा ही भू-राजनीतिक संघर्षों की कीमत साधारण परिवार चुकाते हैं। और हमेशा इन संघर्षों में उजड़े परिवारों की तकलीफें कम करने के लिए मानवीय सहायता संगठनों को जूझना पड़ता है। बीते सप्ताहांत, पूर्व व दक्षिण यूक्रेन के युद्धग्रस्त कस्बों और शहरों के बाशिंदों को जरूरी अनुमति देने की कई कोशिशें की गईं, मगर यह साफ नहीं है कि जमीन पर क्या हुआ? रूस और यूक्रेन के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, पर कटु हकीकत यही है कि यह लड़ाई जल्द ही अपने तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर जाएगी, और इसके नतीजतन शरणार्थी संकट ज्यादा गंभीर रूप ले लेगा।
दुनिया भर में आज आठ करोड़ से भी अधिक लोग शरणार्थी की जिंदगी जी रहे हैं। ये दिन-रात शांति के लिए दुआएं करते हैं, ताकि अपने मूल घर वापस लौट सकें। इन लोगों की भलाई बहुत कुछ संगठनों, सरकारों और अंतत: खुद की उदारता पर निर्भर करती है। ऐसे में, प्रमुख शहरों से लोगों को निकलने देने की अनुमति देने के वास्ते रूस का युद्ध-विराम का नया प्रस्ताव कुछ आशा पैदा करता है। यह प्रस्ताव बताता है कि हमें यूक्रेन में स्थायी शांति की आशा के साथ एकजुट होने के हर अवसर का इस्तेमाल करना चाहिए।
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