Hindi Newsओपिनियन नजरियाhindustan nazariya column 14 oct 2024

देश में तकनीकी क्रांति का नया दूत बनेगा परमरूद्र

भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी तकनीक से परमरूद्र सहित तीन सुपर कंप्यूटरों को बनाया है। इनसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति, ब्लैकहोल, खगोल विज्ञान और मौसम के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी...

Pankaj Tomar निरंकार सिंह, पूर्व सहायक संपादक, हिंदी विश्वकोश, Sun, 13 Oct 2024 10:40 PM
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देश में तकनीकी क्रांति का नया दूत बनेगा परमरूद्र

भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी तकनीक से परमरूद्र सहित तीन सुपर कंप्यूटरों को बनाया है। इनसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति, ब्लैकहोल, खगोल विज्ञान और मौसम के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी। भारत की तकनीकी प्रगति में यह मील का पत्थर है। इससे नई तकनीकों का विकास होगा और नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इन सुपर कंप्यूटरों को देश को समर्पित किया है। परमरूद्र के अलावा अन्य दो सुपर कंप्यूटरों के नाम अरका और अरुणिका रखे गए हैं।
विश्व स्तर पर चीन के पास सर्वाधिक सुपर कंप्यूटर हैं। इसके बाद अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, आयरलैंड और ब्रिटेन का स्थान है। इसको देखते हुए भारत सरकार ने मार्च 2015 में ही सात वर्षों की अवधि (वर्ष 2015-2022) के लिए 4,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से ‘राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन’ की घोषणा की थी। इस मिशन के अंतर्गत 70 से अधिक उच्च प्रदर्शन वाले सुपर कंप्यूटरों के माध्यम से एक विशाल सुपर कंप्यूटिंग ग्रिड स्थापित कर देश भर के राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों और संस्थाओं को सशक्त बनाने की परिकल्पना की गई। इस परियोजना का उद्देश्य एक मजबूत भारतीय नेटवर्क स्थापित करना है, जो विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्रदान करने में सक्षम होगा।
परमरूद्र सुपर कंप्यूटिंग सिस्टम की प्रोसेसिंग स्पीड एक पेटाफ्लॉप प्रति सेकंड है, यानी ये कंप्यूटर एक सेकंड में 1,000 खरब फ्लोटिंग-प्वॉइंट ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं। किसी एक मशीन के लिए यह बेहद तेज कंप्यूटिंग स्पीड है। एचपीसी (हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग) सुपर कंप्यूटिंग सिस्टम उन्नत कंप्यूटिंग प्रणाली हैं, जिनको जटिल और डेटा-गहन कार्यों को संभालने के लिए डिजाइन किया गया है। इन प्रणालियों का उपयोग आमतौर पर जलवायु मॉडलिंग, आणविक जीव विज्ञान व जीनोमिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग, इंजीनियरिंग व सामग्री विज्ञान सिमुलेशन और रक्षा व एयरो स्पेस के क्षेत्र में किया जाता है। परमरूद्र एक उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग सिस्टम है, जिसे जटिल गणनाओं और सिमुलेशन को उल्लेखनीय गति से संभालने के लिए डिजाइन किया गया है। ये सुपर कंप्यूटर भारत के राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन का परिणाम हैं, जो घरेलू स्तर पर उन्नत तकनीक को विकसित करने में हमारी निरंतर बढ़ती क्षमताओं को दर्शाते हैं।
पुणे में स्थापित विशाल मीटर रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) परमरूद्र का उपयोग फास्ट रेडियो बर्स्ट (एफआरबी) और अन्य खगोलीय घटनाओं के अध्ययन के लिए करेगा। जाहिर है, इससे ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ बढे़गी। दिल्ली स्थित अंतर विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र (आईयूएसी) में सुपर कंप्यूटर पदार्थ विज्ञान और परमाणु भौतिकी में अनुसंधान को बढ़ावा देगा। अरका और अरुणिका सूर्य पर आधारित हैं। 850 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए गए इन सिस्टमों की मिली-जुली प्रोसेसिंग क्षमता 21.3 पेटाफ्लॉप है। ये दोनों नोएडा स्थित नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट और पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रोपिकल मीटरोलॉजी में पहले से मौजूद सिस्टम प्रत्युष और मिहिर की जगह लेंगे। अरका और अरुणिका की मदद से हाई-रेजोल्यूशन वाले मॉडल तैयार किए जाएंगे, जो उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों, भारी वर्षा, आंधी, ओलावृष्टि, गर्म लहरों, सूखे व अन्य मौसम संबंधी अहम घटनाओं से संबंधित भविष्यवाणियों की सटीकता और लीड टाइम को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगे। इनकी मदद से भारत मौसम विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ा खिलाड़ी बनने को तैयार है।
इन प्रणालियों का असर वैज्ञानिक अनुसंधानों के अलावा कई अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ेगा। इनमें कृषि, आपदा प्रबंधन और अंतरिक्ष अन्वेषण सहित विभिन्न क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने की विराट क्षमता है। उदाहरण के लिए, बेहतर मौसम पूर्वानुमान हमारे किसानों को फसल प्रबंधन के बारे में बेहतर तैयारी करने में मदद कर सकता है। स्पष्ट है, इन सुपर कंप्यूटरों को स्वदेश में विकसित करके भारत तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। उसका यह कदम वैज्ञानिक नवाचार और तकनीकी उन्नति के वैश्विक केंद्र बनने के देश के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं) 

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