Hindi Newsओपिनियन नजरियाhindustan nazariya column 12 October 2024

हिंसा का सही जवाब तलाशती कोरियाई लेखिका को नोबेल

दक्षिण कोरिया की प्रसिद्ध साहित्यकार हान कांग की किताबों में इंसानी हिंसा के विविध रूप उभरते हैं। छह साल पहले एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था, ‘मैं इस बात की मूल वजह जानना चाहती थी कि....

Pankaj Tomar कुमारी रोहिणी, प्राध्यापिका, कोरियाई भाषा, Sat, 12 Oct 2024 12:00 AM
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हिंसा का सही जवाब तलाशती कोरियाई लेखिका को नोबेल

दक्षिण कोरिया की प्रसिद्ध साहित्यकार हान कांग की किताबों में इंसानी हिंसा के विविध रूप उभरते हैं। छह साल पहले एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था, ‘मैं इस बात की मूल वजह जानना चाहती थी कि किसी इंसान को गले लगाना मेरे लिए इतनी तकलीफदेह बात क्यों है और मैं अपने अंदर टटोलती चली गई।’ 
53 वर्षीया हान कांग का साहित्य विविध सवालों के जवाब अपने अंदर ही टटोलने के अभियान जैसा है। कोई अचरज नहीं, आज दुनिया हान कांग के साहित्य का खजाना टटोल लेना चाहती है। इस साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार हान कांग को देने की घोषणा हुई है। दक्षिण कोरियाई इतिहास में पहली बार किसी साहित्यकार को साहित्य का शीर्ष सम्मान मिला है। हान को पढ़ने वाले और उनके लेखन के मुरीदों के लिए उन्हें नोबेल मिलना ऐसा है, मानो वह इसके लिए ही बनी हों। कोरियाई प्रायद्वीप आज पूरी दुनिया में अपने विभिन्न रंग-रूप और कलेवर में उपस्थित है और साहित्य इसका एक बड़ा हिस्सा है। किसे पता था कि हाल्यू (कोरियाई वेब) से शुरू हुई दक्षिण कोरिया की यह यात्रा साहित्य के नोबेल तक पहुंच जाएगी। 
हान कांग की सबसे प्रसिद्ध किताब द वेजिटेरियन के अंग्रेजी में अनुवादित संस्करण को साल 2016 में मैन बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। तब से आज तक हान वैश्विक पटल पर अपने पाठकों का प्रेम अर्जित करती आ रही हैं। हान को साहित्य का संस्कार अपने पिता हान संग-वॉन से विरासत में मिला है। निस्संदेह, यह हान के 85 वर्षीय पिता के लिए भी बहुत खुशी का मौका है। पिता प्रतिष्ठित लेखक हैं, उन्हें भी उम्दा साहित्य के लिए अनेक सम्मान मिल चुके हैं। बेटी हान को नोबेल मिलने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए उनके लेखक पिता ने कहा है कि ‘हान कांग की किसी भी रचना को खारिज नहीं किया जा सकता। वह दुख-तकलीफ और इंसानी जज्बात को जिस तरह अपनी कथा में पिरोती हैं, अपनी कृति को अद्भुत, अति सुंदर और पठनीय बना देती हैं।’
अपने लेखन में मौजूद गाढ़े अंधेरे और गंभीरता के बारे में पूछे जाने पर हान बताती हैं, ‘मुझे हमेशा यह महसूस होता है कि उपन्यास लिखते समय मैं लगातार सवाल करती रहती हूं, और साथ ही, मैं इंसानी हिंसा और इसे अस्वीकार करने की संभावना या उसके घटित न होने की उम्मीदों के बारे में लंबे समय से चले आ रहे अपने सवाल से जूझना चाहती हूं।’ वह अपनी कृतियों के जरिये अपने सवालों को पाठकों तक पहुंचाना चाहती हैं, ताकि जवाब खोजने में आसानी हो। 
जहां एक ओर, हान की शुरुआती किताबों में मनुष्यों के बीच के अलगाव, हिंसा, विछोह के कारण मिलने वाले आघात जैसे विषय दिखाई पड़ेंगे, वहीं बाद की कृतियों में हिंसा, तंत्र की वजह से इंसानों पर पड़ने वाले प्रत्यक्ष-परोक्ष सामाजिक-मानसिक दबाव और बने-बनाए ढांचे को तोड़कर इंसान को इंसान के रूप में देखने की चाह पुरजोर नजर आती है। 
एक विशेषता यह भी है कि हान की किताबों में किरदार आमतौर पर स्वयं ्त्रिरयां होती हैं या उनका कथानक स्त्री-जीवन के ईद-गिर्द बुना होता है। हान के स्त्री पात्र आक्रामक, बहुत मुखर और हिंसक हुए बिना विरोध दर्ज कराते हुए व्यवस्था पर कड़ी चोट करते हैं। द वेजिटेरियन में वह कोरियाई समाज के ‘मांसाहार’ की प्रवृत्ति पर तगड़ी चोट करती हैं। वहीं उनकी दूसरी प्रसिद्ध कृति द व्हाइट बुक में उन्होंने सफेद रंग को ही अपना पात्र बना दिया है और जीवन-मृत्यु, सुख-दुख के संतुलन को दर्शाया है। साल 2023 में प्रकाशित अपनी किताब आई डू नॉट बिड फेयरवेल में ्त्रिरयों के माध्यम से हिंसा, मानवीय संबंधों में आने वाले अलगाव से पैदा होने वाले दुख व शोक को सामने रखा है। उनका यह उपन्यास हिंसा और युद्ध के बाद मिलने वाले दुख से उबरने के लिए किए जा रहे संघर्षों की कहानी है। 
हान के नोबेल जीतने से कोरियाई साहित्य का विस्तार होना तय है। हिंदी में उनकी रचनाओं का अनुवाद वैसे उपलब्ध नहीं है, जैसे अंग्रेजी में सुलभ है। बेशक, आज जब अनेक देश युद्ध में उतरे हुए हैं, तब हान कांग का साहित्य अमन-चैन के काम आ सकता है।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं) 

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