Hindi Newsओपिनियन नजरियाhindustan nazariya column 08 oct 2024

नई दिल्ली से मेलभाव मजबूत रखना माले के लिए मुफीद

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का पांच दिवसीय भारत दौरा मालदीव की सुरक्षा, आर्थिक विकास और राजनीतिक स्थिरता के लिए काफी अहम है। सोमवार को हुए समझौतों में दोनों देशों ने 40 करोड़ डॉलर के मुद्रा विनिमय पर...

Pankaj Tomar संजय भारद्वाज, प्रोफेसर, जेएनयू, Mon, 7 Oct 2024 10:08 PM
share Share
Follow Us on
नई दिल्ली से मेलभाव मजबूत रखना माले के लिए मुफीद

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का पांच दिवसीय भारत दौरा मालदीव की सुरक्षा, आर्थिक विकास और राजनीतिक स्थिरता के लिए काफी अहम है। सोमवार को हुए समझौतों में दोनों देशों ने 40 करोड़ डॉलर के मुद्रा विनिमय पर सहमति जताई, जिससे मालदीव को अपना विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसकी उसे बहुत दरकार है, क्योंकि कहा जा रहा था कि उसके पास सिर्फ डेढ़ महीने का खर्च चुकाने लायक विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। इसी तरह, मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा होने के साथ-साथ व्यापक आर्थिक व समुद्री सुरक्षा साझेदारी को भी एक नई ऊंचाई दी गई है। द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक रूप देने पर बातचीत के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के विकास व डिजिटल कनेक्टिविटी पर भी जोर दिया गया है। मालदीव को इन सबकी जरूरत है। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि दोनों देश कई मामलों एक-दूजे पर निर्भर हैं। 
भारत के साथ रिश्ते सुधारने की इस कवायद को मुइज्जू का ‘यू टर्न’ कहकर प्रसारित किया जा रहा है, पर यह उनकी मजबूरी है। वह भारत को नजरंदाज नहीं कर सकते, क्योंकि हम एक जिम्मेदार क्षेत्रीय शक्ति हैं। दरअसल, तीन ऐसी खास बातें हैं, जिनके कारण मालदीव नई दिल्ली के करीब रहना चाहता है। पहली है, सुरक्षा। इसके भी दो पहलू हैैं- आंतरिक सुरक्षा व बाह्य सुरक्षा। आंतरिक्ष सुरक्षा के सामने धार्मिक कट्टरता, आतंकवाद व अलगाववाद की चुनौतियां हैं, जबकि बाहरी सुरक्षा से तात्पर्य किसी दूसरे देश द्वारा मालदीव की संप्रभुता का उल्लंघन है। मुइज्जू इस तथ्य से वाकिफ हैं कि अगर किसी बड़ी ताकत को वह अपने सुरक्षा व शक्ति संतुलन का माध्यम बनाते हैं, तो मालदीव की आंतरिक राजनीति में उसका दखल बढ़ सकता है। यानी, मालदीव में यदि चीन अपने पांव पसारता है, तो यह भारत के लिए चिंता की बात होगी ही, खुद मालदीव की संप्रभुता के लिए भी  यह नुकसानदेह साबित होगा।
दूसरी वजह है आर्थिक विकास। भारतीयों के लिए मालदीव एक पसंदीदा पर्यटन स्थल रहा है। पिछले साल ही करीब 2.18 लाख भारतीय सैलानी वहां गए थे। चीन से भी बड़ी संख्या में लोग वहां जाते हैं, पर वह बहुत कुछ राज्य-समर्थित होता है, जिसका परोक्ष मकसद मालदीव में अपनी मौजूदगी बढ़ाना है। फिर सिर्फ भारतीय ही मालदीव नहीं जाते, वहां से भी इलाज कराने, उच्च शिक्षा या सेवा क्षेत्रों में काम करने के लिए बड़ी संख्या में लोग भारत आते हैं। माना जाता है कि मुंबई, बेंगलुरु आदि में आज भी तकरीबन 50 हजार मालदीवी नागरिक रहते हैं। 
तीसरी बात है, राजनीतिक स्थिरता। मुइज्जू भले ही ‘इंडिया आउट’ के चुनावी नारे के साथ सत्ता में आए, पर  ‘इंडिया इन’ के बिना वह स्थिर सरकार नहीं दे सकते। वह यह भी समझते हैं कि चीन-कार्ड किसी भी देश के लिए फायदेमंद नहीं होता और जिस तरह के रिश्ते नई दिल्ली से निभाए जा सकते हैं, बीजिंग से वैसी अपेक्षा नहीं की जा सकती। यही कारण है कि पिछले दिनों जब उनके तीन मंत्रियों ने भारतीय प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी की, तो उनको पद से हाथ धोना पड़ा। यहां उस प्रसंग का जिक्र बेमानी है कि उन्होंने सरकार में आते ही क्यों भारतीय सैनिकों को वापस लौटने का फरमान सुनाया। उनका यह रुख एक तरह से भारत के लिए सुकूनदेह ही है, क्योंकि यदि भारतीय सैनिकों को वहां रहने की इजाजत नहीं मिल सकती, तो यकीकन मुइज्जू दूसरे किसी देश को ऐसा करने की अनुमति नहीं देंगे। चीन की यात्रा पर भी वह इसलिए गए थे, क्योंकि संतुलन साधने और चुनावी वायदे को पूरा करने के लिए ऐसा करना आवश्यक था। 
हालांकि, ऐसा नहीं है कि हमारे लिए मालदीव जरूरी नहीं है। एक द्वीपीय देश होने के नाते सागर योजना (सभी के लिए सुरक्षा व विकास) और मौसम (हिंद महासागर के देशों से समुद्री सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाना) के लिए उसकी काफी अहमियत है। इतना ही नहीं, वहां यदि चीन का दखल बढ़ता है, तो हमारे सामने भी सामरिक चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। इस लिहाज से भारत- मालदीव के द्विपक्षीय संबंध जटिल हैं। जमीनी हकीकत राष्ट्रपति मुइज्जू को भारत से रिश्ते बिगाड़ने की इजाजत नहीं देती। अलोकतांत्रिक ताकतों के मजबूत होने से मालदीव के लोकतांत्रिक मूल्य तो कमजोर होंगे ही, खुद उनकी अपनी स्थिति भी अच्छी नहीं रह सकेगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं) 

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें