Hindi Newsओपिनियन नजरियाhindustan nazariya column 04 oct 2024

बाइडन के वक्त चतुर्भुज सुरक्षा संवाद को मिला बहुत बल 

जोसेफ रॉबिनेट बाइडन जूनियर अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति हैं और उनकी दोबारा निर्वाचित होने की हार्दिक इच्छा थी। मगर कमजोर पड़ती याददाश्त, बार-बार की गलतियों और डोनाल्ड ट्रंप के साथ टीवी बहस...

Pankaj Tomar सुरेंद्र कुमार, पूर्व राजनयिक, Thu, 3 Oct 2024 10:50 PM
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बाइडन के वक्त चतुर्भुज सुरक्षा संवाद को मिला बहुत बल 

जोसेफ रॉबिनेट बाइडन जूनियर अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति हैं और उनकी दोबारा निर्वाचित होने की हार्दिक इच्छा थी। मगर कमजोर पड़ती याददाश्त, बार-बार की गलतियों और डोनाल्ड ट्रंप के साथ टीवी बहस में निराशाजनक प्रदर्शन के चलते प्रमुख डेमोक्रेटिक नेताओं के भारी दबाव के कारण उन्हें पद की दौड़ से हटना पड़ा। 
बहरहाल, बाइडन अभी भी अमेरिका के राष्ट्रपति हैं और पिछले दिनों बेहद गर्मजोशी से अपने कार्यकाल के छठे क्वाड शिखर सम्मेलन पर उन्होंने हस्ताक्षर किए। उन्होंने अपने गृह नगर डेलावेयर में शिखर सम्मेलन की मेजबानी की और तीन क्वाड नेताओं- भारत से नरेंद्र मोदी, जापान से फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया से एंथनी अल्बनीज के लिए उन्होंने अपने घर के दरवाजे खोल दिए और रिश्तों में यादगार स्पर्श जोड़ा। इस बार बाइडन विलमिंगटन घोषणापत्र जारी कराने में कामयाब रहे। सम्मेलन में बढ़ते समुद्र्री सहयोग को खासतौर पर रेखांकित किया गया : पहला क्वाड समुद्री जहाज पर्यवेक्षक मिशन, क्वाड इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क, क्वाड पोर्ट्स ऑफ फ्यूचर पार्टनरशिप और सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला में सहयोग। इससे समुद्री सुरक्षा सहयोग बढे़गा, जो आगामी वर्षों में क्वाड के लिए सबसे महत्वाकांक्षी एजेंडा साबित हो सकता है। जाहिर है, बाइडन ने अपने एक कार्यकाल में ही शानदार स्थायी विरासत हासिल कर ली है।
ध्यान रहे, क्वाड (चतुर्भुज सुरक्षा संवाद) का जन्म 2004 में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में सुनामी के चलते हुई तबाही के बाद हुआ था, जब अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने प्रभावित देशों को मानवीय सहायता व आपदा राहत देने के लिए हाथ मिलाया था। वैसे, यह एक दशक से अधिक समय तक निष्क्रिय रहा, वर्ष 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की आक्रामकता के मद्देनजर इसे पुनर्जीवित किया। ट्रंप के बाद क्वाड की बैठकों को शिखर सम्मेलन के स्तर तक ले जाने की जिम्मेदारी जो बाइडन पर थी। पहला क्वाड शिखर सम्मेलन वस्तुत: 12 मार्च, 2021 को हुआ था। तब से बाइडन के राष्ट्रपति रहते कुल छह सम्मेलन हो चुके हैं, जिनमें से दो आभासी और चार भौतिक हैं। 
बाइडन ने चीन के खिलाफ ट्रंप के अधिकांश शुल्कों को जारी रहने दिया है। चीन पर वहां कड़ा प्रहार किया है, जहां सबसे ज्यादा मायने रखता है : चीन को चिप्स और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के निर्यात से इनकार किया है। वैसे, बाइडन ने इस बात पर जोर दिया कि वह चीन के साथ कोई टकराव नहीं, बल्कि उसे मात देना चाहेंगे। हालांकि, डेलावेयर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जोर देकर कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। इसके बावजूद चीन ने जोर-शोर से दोहराया है कि क्वाड उसके खिलाफ है। यहां रूस भी चीन से सहमत है।
बेशक, बाइडन के शासनकाल में क्वाड का एजेंडा तेजी से बढ़ा है। यह अब संयुक्त राष्ट्र और जी-20 के एजेंडे जैसा दिखता है। क्वाड सर्वाइकल कैंसर को कम करने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तन, आपूर्ति शृंखला, हरित ऊर्जा, साइबर अपराध, आतंकवाद, ऋण राहत, कौशल विकास में भी सहयोग का वादा करता है। भारत ने भी सरकार द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थान में चार साल के इंजीनियरिंग कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के छात्रों को 5,00,000 अमेरिकी डॉलर मूल्य की 50 क्वाड छात्रवृत्तियां देने का वादा किया है। इस संगठन में हर देश अपनी ओर से योगदान कर रहा है। बाइडन क्वाड के भविष्य के बारे में आशान्वित हैं, ‘हमारे देश रणनीतिक रूप से पहले से अधिक एकजुट हैं...चुनौतियां आएंगी, दुनिया बदल जाएगी, क्वाड यहीं रहेगा।’
दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों की आर्थिक भलाई के लिए क्वाड देशों के बीच सहयोग की गति जारी रहेगी। बाइडन युग के बाद समुद्री सुरक्षा के लिए गहन सहयोग का और विस्तार होगा। यह विचार का विषय है कि हाल के वर्षों में जो क्वाड शिखर सम्मेलन हुए हैं, उनसे चीन की अपने पड़ोसियों के खिलाफ आक्रामकता में कमी आई है। खैर, अगले वर्ष भारत क्वाड की अध्यक्षता करेगा, उसके पास क्वाड को नई दिशा देने का अवसर होगा, जैसे उसने साल 2023 में जी-20 को दिया था।
(ये लेखक के अपने विचार हैं) 

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