इनकी जवानी इन्हीं को मुबारक
मुझे इस बात की खुशी है कि अपनी युवावस्था का ज्यादातर वक्त हमने, यानी मैंने और मेरे साथियों ने प्रेम करने और तरह-तरह की क्रांतियां करने, विद्रोह करने में बिताया। मुझे इस बात की खुशी इसके बावजूद है कि...
मुझे इस बात की खुशी है कि अपनी युवावस्था का ज्यादातर वक्त हमने, यानी मैंने और मेरे साथियों ने प्रेम करने और तरह-तरह की क्रांतियां करने, विद्रोह करने में बिताया। मुझे इस बात की खुशी इसके बावजूद है कि इन सबका फल वैसा नहीं मिला, जैसा अपेक्षित था। प्रेम-प्रसंग ज्यादातर एकतरफा ही रहे और कई प्रेमिकाओं को कुछ बड़ी उम्र में देखकर लगा कि यह भी अच्छा ही हुआ। विद्र्रोह और क्रांतियां तरह-तरह की थीं। इनमें संपूर्ण क्रांति से लेकर सर्वहारा क्रांति तक और जाति-प्रथा से विद्रोह से लेकर चारमीनार सिगरेट और ब्लैक कॉफी पीने तक का समावेश हो सकता है।
कहा जा सकता है कि इन सब बातों का हमें व्यावहारिक नुकसान हुआ। जिस उम्र में पढ़ाई-लिखाई और करियर से लेकर सेहत बनाने तक पर ध्यान देना था, तब हम इन सब बातों के पीछे चप्पलें घिसते शहर की सड़कें छानते गए। न जाने कितनी चप्पलें घिस गईं, पर जिस पत्थर पर रस्सी घिसने का निशान बनना था, वह नहीं बना। इस सबके बावजूद न प्रेम से हमारा मोहभंग हुआ, न समाज को बदलने की भावना से। प्रेम और विद्रोह के साथ अच्छी बात यह है कि उसकी सफलता या विफलता के पैमाने अलग होते हैं, क्योंकि बकौल फैज अहमद फैज- हम जहां पहुंचे कामयाब आए।
मैं आजकल के लड़कों के बारे में जब खबरें पढ़ता हूं, तो लगता है कि हम वाकई बहुत भाग्यवान थे, जो यह सब कर गुजरे। आजकल के लड़कों को क्या हो गया है? जिस उम्र में प्रेम करना चाहिए, उनके दिवास्वप्नों में खोए रहना चाहिए, ये क्या कर रहे हैं? कुछ तो धार्मिक नारे लगाते घूम रहे हैं। जिस उम्र में हम फटे कुरते पहनकर अपने आप को शहंशाह समझते थे, ये तरह-तरह की टोपियां लगाएं और शालें ओढ़े हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। और जो कुछ लोग यह सब नहीं कर रहे, वे कोचिंग फैक्टरियों में कच्चा माल बन उत्पाद बनने की प्रक्रिया में हैं। अरे, कोई तो समझाओ इन्हें, इनके मां-बाप को।
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