चीन में बॉलीवुड- आवारा से दंगल तक
भारत में अब आमिर खान की फिल्म दंगल की चर्चा नहीं हो रही। रिकॉर्डतोड़ सफलता वाली इस फिल्म को देश में लोग अब भूलने लग पड़े हैं। लेकिन पड़ोसी देश चीन में यह अब भी कामयाबी के झंडे गाड़ रही है। इसकी...
भारत में अब आमिर खान की फिल्म दंगल की चर्चा नहीं हो रही। रिकॉर्डतोड़ सफलता वाली इस फिल्म को देश में लोग अब भूलने लग पड़े हैं। लेकिन पड़ोसी देश चीन में यह अब भी कामयाबी के झंडे गाड़ रही है। इसकी सफलता और रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन ने चीन में आवारा और राज कपूर के दौर की यादें ताजा कर दी हैं। साल 1951 में प्रदर्शित आवारा का लोकप्रिय गाना आवारा हूं... अब भी उम्रदराज चीनियों की जुबान पर रहता है। लेकिन आमिर की दंगल तो आवारा से भी आगे निकल गई है और चीनी नौजवान ‘दंगल-दंगल’ व बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है जैसे डॉयलाग बोलने लगे हैं। इस फिल्म ने वह करिश्मा कर दिखाया है, जो आज तक चीन में कोई अन्य भारतीय फिल्म नहीं दिखा पाई। कुछ लोग इसे भारत के सॉफ्ट पावर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने का संकेत मानने लगे हैं।
दंगल मई में चीन के एक तिहाई थिएटर्स में लगी। लगभग दो महीने होने को हैं, लेकिन यह फिल्म अब भी लोगों को सिनेमा हॉल तक खींच रही है। वर्ल्ड वाइड कमाई के मामले में यह फिल्म 2,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी है, जिसमें से लगभग 1200 करोड़ रुपये का कारोबार इसने सिर्फ चीन में किया है। इस दौरान अन्य हॉलीवुड फिल्में भी रिलीज हुईं। फोर्ब्स के मुताबिक, दंगल का मुकाबला अंतरराष्ट्रीय फिल्मों से हो रहा है, इसकी तुलना भी उनसे की जा रही है। वैसे आमिर की यह फिल्म इस साल चीनी बॉक्स ऑफिस पर सबसे अधिक कमाई करने वाली चौथी फिल्म है। इस सूची में शामिल अन्य फिल्में फास्ट ऐंड फ्यूरियस, कुंगफू पांडा और जर्नी टु द वेस्ट हैं। कारोबार की बात करें, तो चीन के इतिहास में यह पांचवीं गैर अंग्रेजी फिल्म है, जिसने इतनी अधिक कमाई की है।
चीन में भारतीय फिल्मों को लेकर यह धारणा बनी हुई है कि वे लंबी होती हैं। इस वजह से भी कई लोग बॉलीवुड फिल्मों को उतना पसंद नहीं करते। लेकिन दंगल ने इस धारणा को बदल दिया है कि बॉलीवुड फिल्में विदेशी लोगों को तीन घंटे तक थिएटर में बांधे रखने में कामयाब नहीं होतीं। चीनी सिनेमाघरों में लगभग 160 मिनट चलने वालीदंगल दर्शकों को आंखें हटाने नहीं दे रही है। कई दर्शक फिल्म के दौरान रोते हुए देखे जा सकते हैं।
इस फिल्म की सफलता के पीछे आमिर खान की लोकप्रियता का भी हाथ है। जानकार मानते हैं कि अगर इस फिल्म में आमिर की बजाय कोई अन्य अभिनेता लीड रोल में होता, तो शायद फिल्म ऐसा कमाल न कर पाती। एस राजामौली की फिल्म बाहुबली-एक लगभग 6,000 स्क्रीन्स पर दिखाए जाने के बावजूद महज सात करोड़ रुपये कमा सकी। वैसे आमिर व डिज्नी ने इस बार फिल्म के प्रमोशन में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। फिल्म रिलीज होने से पहले मिस्टर परफेक्शनिस्ट ने बीजिंग, शंघाई व टंगदू पहुंचकर प्रचार किया। यही नहीं, आमिर ने चीनी ट्विटर (वेइबो) पर सीधे अपने फैंस से बात की। वेइबो पेज पर उनके आठ लाख, 70 हजार फॉलोअर हैं। आमिर का फैट टु फिट वीडियो चीनी सोशल मीडिया पर बहुत पसंद किया गया। इसके बाद जब फिल्म थिएटर्स में आई, तो उसे बहुत अच्छी ओपनिंग मिली, फिल्म करीब 9,000 स्क्रीन्स पर लगाई गई और नतीजा सबके सामने है।
आमिर चीन में खासे लोकप्रिय हैं। चीनी युवाओं के बीच उन्हें स्टार का रुतबा दिलाया 2009 में आई थ्री इडिएट्स ने। हालांकि इसे अधिकांश लोगों ने थिएटर की बजाय ऑनलाइन देखा था, जबकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 16 करोड़ रुपये ही कमा सकी थी। पर इसने पीके के लिए मजबूत नींव तैयार की, तब तक आमिर को पता चल चुका था कि चीन में उनके चाहने वालों की फेहरिस्त लंबी है। यही वजह है कि वह पीके के प्रीमियर के लिए चीन पहुंचे और फिल्म ने 123 करोड़ रुपये कमाए थे।
दंगल में आमिर इफेक्ट के अलावा सशक्त व असली कहानी ने प्रमुख भूमिका अदा की है। हरियाणा की जिस ग्रामीण पृष्ठभूमि में फिल्म बनी, वह भी आम लड़कियों के संघर्ष व उनकी सफलता पर, उसने चीनी दर्शकों को बेहद प्रभावित किया। भले ही हॉलीवुड की तकनीक प्रधान फिल्में चीन में पहले नंबर पर रहती हैं, मगर फैमिली ब्लॉकबस्टर और आम जीवन से ताल्लुक रखने वाली फिल्म ने लोगों के दिल और दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी। गीता-बबीता के संघर्ष और साहस को दर्शकों ने खूब सराहा। चीन खेल के क्षेत्र में बेहद शक्तिशाली देश है, पर कहीं न कहीं वहां भी लोगों को इसी तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। शायद कुश्ती के जरिये दर्शक अपने दर्द और अनुभव को परदे पर देख सके। एशियाई समाज में पारिवारिक ढांचा लगभग वैसा ही होता है, जैसा दंगल में दिखाया गया। यानी परिवार के केंद्र में बच्चे होते हैं और उनके ईद-गिर्द सभी परिजन घूमते हैं। परिवार के तमाम महत्वपूर्ण फैसले पुरुष ही किया करते हैं, जैसा कि फिल्म में महावीर फोगाट अपनी लड़कियों को कुश्ती करवाने के लिए करते हैं। दंगल की सफलता का एक कारण यह भी कहा जा सकता है कि एशियाई देशों का रहन-सहन और उनकी संस्कृति आपस में मिलती-जुलती हैं। ऐसा अनुभव हॉलीवुड फिल्में देखने के बाद नहीं होता।
चीन में करीब 41,000 स्क्रीन्स हैं, जो विश्व में सबसे अधिक हैं, पर वहां घरेलू फिल्मों का मार्केट नहीं बढ़ रहा है। चीन में अच्छे व गंभीर विषयों पर फिल्म या सीरियल का न के बराबर बनना भी इसका कारण हो सकता है। इस बीच विदेशी फिल्मों की मांग तेज हुई है और ये फिल्में हिट भी हो रही हैं। हालांकि विदेशी फिल्मों के लिए चीन में एंट्री पाना इतना आसान नहीं होता। हर साल लगभग 34 फिल्में इंपोर्ट कोटा (रेवेन्यू शेयरिंग) के तहत चीन में दिखाई जा सकती हैं, जबकि ‘फ्लैट फी’ श्रेणी में भी कुछ फिल्में प्रदर्शित होती हैं। इसमें वितरण कंपनी फिल्म के लोकल राइट्स खरीद लेती है। विदेशी फिल्मों में सबसे अधिक हॉलीवुड की बड़ी फिल्में होती हैं। ऐसे में, दंगल जैसी बॉलीवुड फिल्म का चीन में न केवल प्रवेश पाना, बल्कि सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ना अपने आप में एक मिसाल है। अब बाहुबली-2 का चीन में इंतजार है, जो सितंबर में करीब 6,000 स्क्रीन्स पर रिलीज होगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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