मुसीबत कैसी भी हो हिम्मत न हारिए
जिंदगी हिम्मत और अलहदा सोचने की बुनियाद पर खड़ी हो जाए, तो कामयाब हो जाती है। अफसोस, इस दौर में डर-डरकर जीने वाले इतने हो गए हैं कि गिनना मुश्किल है। कई लोग यही सोचकर हिम्मत हार जाते हैं कि आगे एक...
जिंदगी हिम्मत और अलहदा सोचने की बुनियाद पर खड़ी हो जाए, तो कामयाब हो जाती है। अफसोस, इस दौर में डर-डरकर जीने वाले इतने हो गए हैं कि गिनना मुश्किल है। कई लोग यही सोचकर हिम्मत हार जाते हैं कि आगे एक मुश्किल मुकाम है। बहुत से लोग बिल्कुल छुई-मुई से होते हैं, किसी मुसीबत की सुगबुगाहट भी मिल जाए, तो पसीने से पस्त हो जाते हैं।
पर यहां तो बहुत ही भयानक मंजर था, एक पूरा हवाई जहाज हिंद महासागर के हवाले हो गया था। न जाने क्या हुआ, मशीन में क्या खराब आई? आधी रात में सब सो रहे थे और जहाज सैकड़ों किलोमीटर ऊपर नाकाम हो चुका था। पता नहीं, कितनों की नींद खुली, पर जब इस 12 वर्षीय लड़की की आंख खुली, तो वह बीच समुद्र में लहरों के बीच गोते खा रही थी। ज्वार का ऐसा जोर था कि लपेटे में आने से बचना मुश्किल था। मुसीबत यह भी कि उसे तैरना नहीं आता था। जब दिमाग को कुछ सूझ नहीं रहा था, तब हाथ को एक ऐसी चीज नसीब हुई, जो शायद हवाई जहाज से ही टूटकर जुदा हुई थी। लड़की ने दोनों हाथों से उसे थाम लिया। खूब खारा पानी और पेट्रोलियम की तेज गंध थी। लड़की को कहां पता था कि यह उसी विमान का टुकड़ा है, जिसमें बैठकर वह फ्रांस से कोमोरोस जा रही थी। गर्मियों की छुट्टियों को शानदार अंदाज में जीने का इरादा था, पर विमान में तो मां भी थीं! अब मां कहां है? शायद मां विमान से कोमोरोस पहुंच गई होगी। वहां पहुंचकर वह बहुत नाराज हो रही होगी।
आधी रात के अंधेरे में अकेले तिनका के सहारे तैरती उस लड़की का पूरा दिमाग मां की नाराजगी पर जा टिका। मां तो यही सोच रही होगी कि लापरवाह लड़की ने विमान में सीट बेल्ट तक नहीं बांधा था, बेल्ट खोलकर आराम फरमा रही थी, तभी तो एक झटका लगा और खिड़की से बाहर समुद्र में जा गिरी। वह चिंता में पड़ गई कि अब मां को क्या जवाब दूंगी? मां बहुत फटकारेगी, हो सकता है, एकाध थप्पड़ भी जड़ दे। अब तो छुट्टियां भी खराब हो गईं, इसका भी मां को गुस्सा होगा।
मां का भय सागर के एकांत में भी काम कर रहा था। घना अंधेरा था, कभी-कभी कोई सितारा चमक उठता था। वह कभी सिर उठाकर देखती थी, तो हर तरफ पानी ही पानी था, पता नहीं कहां तक पानी होगा, पर मां जब नाराज होगी, तो कुछ नहीं सुनेगी। मां ने विमान में चढ़ने से पहले समझाया भी था, पर पता नहीं क्या हुआ, एक झटका लगा और ऐसा हो गया?
कहा जाता है कि मुसीबत हर जिंदगी में आती है, पर जो लोग मुसीबत से परे भी कुछ सोच पाते हैं, वे ज्यादा आसानी से बच निकलते हैं। उस लड़की के साथ यही हुआ। आधी रात के बाद सुबह हुई, उम्मीद का कुछ उजाला हुआ, धूप खिली, पर तब भी हर तरफ लहरों का तांडव था। सागर में तिनका सहारे नौ घंटे से ज्यादा समय बीत चुका था, तभी किसी देवदूत की तरह एक नाव नजर आई। लड़की को इतनी खुशी हुई कि उसने हाथ ऊपर कर दिए और जिसके सहारे वह बिना प्रयास तैर रही थी, वह तिनका भी छूट गया। तभी एक ऊंचा ज्वार आया और वह बचावकर्मियों की नजर से ओझल हो गई। ज्वार जब गुजरा, तब वह फिर नजर आई। इस बार उसे देखते ही एक साहसी बचावकर्मी ने छलांग लगा दी और कुछ ही पल में उसे नाव पर बचा लाया। नाम-गांव पूछा गया, पर वह नाव से अस्पताल तक बार-बार बस यही पूछती रही कि मम्मी कहां है?
बहरहाल, दूसरे दिन दुनिया के तमाम अखबारों में खबर थी, यमनिया एयरलाइन का जेट मंगलवार, 30 जून , 2009 तड़के समुद्र में गिर गया, उसमें सवार 152 लोगों की मौत हो गई, पर कुदरत का कमाल देखिए कि बस एक फ्रांसीसी बच्ची बच गई है। चमत्कारी बच्ची बाहिया बाकरी का अस्पताल में इलाज चल रहा है। कंधे की हड्डी टूट गई है, घुटने पर ज्यादा चोट है और शरीर व चेहरे पर खरोच हैं। बाहिया के पिता को बुलाया गया, तो पिता से भी उसने यही सवाल पूछा कि मम्मी कहां है?
खैर, दो-तीन दिन बाद ही उसे बताया गया कि विमान हादसा हुआ है, तुम्हारे सिवा और कोई नहीं बचा है। उससे मिलने फ्रांस के राष्ट्रपति भी आए। पूरी दुनिया को संदेश मिला कि बेहिसाब मुसीबत में भी हिम्मत नहीं हारा करते। भले कहर टूटे, पर जिंदगी की जंग जारी रहनी चाहिए। जिस दौर में मामूली जलभराव भी जानलेवा हो जाता है, उस दौर में बाहिया एक जीवंत मिसाल हैं। उनकी किताब आई एम बाहिया : द मिरेकल गर्ल जब आई, तब ख्यात फिल्म निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग ने संपर्क किया। बाहिया ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उस भयानक मंजर को याद करना और फिल्माना बेहद डरावना होगा, तो अच्छा है कि उन लम्हों को लफ्जों में ही रहने दिया जाए।
प्रस्तुति : ज्ञानेश उपाध्याय
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