समानता की तलाश में निकली जिंदगी
वह छह लड़कों से भरा-पूरा कैथोलिक परिवार था। जॉर्ज, लॉरेंस, माइकल, पॉल अलॉयसियस और रिचर्ड, सब एक से बढ़कर एक। तब दौर ऐसा था कि दक्षिण भारत में ईसाई परिवारों का बड़ा बेटा धर्म के नाम पर भेंट कर दिया जाता..
वह छह लड़कों से भरा-पूरा कैथोलिक परिवार था। जॉर्ज, लॉरेंस, माइकल, पॉल अलॉयसियस और रिचर्ड, सब एक से बढ़कर एक। तब दौर ऐसा था कि दक्षिण भारत में ईसाई परिवारों का बड़ा बेटा धर्म के नाम पर भेंट कर दिया जाता था, वह प्रीस्ट या फादर बनता था। साथ ही, हर परिवार से एक बेटी नन बनने के लिए भेज दी जाती थी। बहरहाल, इस परिवार में तय था कि बड़ा लड़का, जिसे सब गैरी पुकारते थे, धर्म की राह पर भेजा जाएगा। गैरी ने स्कूल की पढ़ाई पूरी की, तो पिता में तमन्ना जागी कि उसे आगे पढ़ाया जाए। किशोर गैरी भी जान गए थे कि पिता उन्हें वकील बनाना चाहते हैं। पेशे से बीमा अधिकारी पिता को एक वकील पुत्र की जरूरत थी, जो उनके लिए मुकदमे लड़ सके। पिता के पास शहर से बाहर एक जमीन थी, जिससे वह किरायेदारों को अक्सर बेदखल करते थे, आए-दिन विवाद होते थे और वकालत की जरूरत पड़ती थी। पुत्र ने साफ मना कर दिया कि वह वकील नहीं बनेगा, वह किसी का दिल नहीं दुखाएगा। पिता थोड़े नाराज हुए, पर ज्यादा नहीं, क्योंकि वह जानते थे कि कुछ और नहीं, तो बेटा फादर तो बनेगा ही, धर्म की सेवा में जाएगा, तो उससे क्या नाराज होना।
एक दिन आया, जब बड़ा बेटा मंगलुरु से बंगलुरु रवाना हो गया। बंगलुरु में प्रीस्ट और फादर बनने की शिक्षा दी जाती थी। बड़े बेटे की उम्र 16 थी, उसके मन में धर्म को लेकर बड़े ऊंचे विचार, स्वप्न और आदर्श थे। बंगलुरु के सेंट पीटर सेमिनरी में एक से बढ़कर एक ईसाई गुरु थे। शुरू में सब अच्छा लगा। समय से जागना-सोना, खाना-पीना, पढ़ना, अभ्यास। प्रशिक्षक मुस्तैदी से बताते थे कि धर्म की निगाह में सब समान है, ईश्वर भेद नहीं करते, पर एक दिन अनायास उस किशोर का इस बात पर ध्यान गया कि जब सब समान हैं, तो यह श्रीमान प्रशिक्षक हम सभी से ऊपर स्थान पर क्यों बैठे हैं, उन्हें भी हमारे समान बैठना चाहिए। क्या वह श्रेष्ठ हैं और हम तुच्छ? थोड़ा अंतर होना चाहिए, पर वह अर्श पर हैं और हम फर्श पर, आखिर क्यों?
सोच की एक ऐसी शुरुआत हुई कि किशोर ने प्रशिक्षकों की कथनी को उनकी करनी से परखना शुरू कर दिया। सब समान हैं, तो प्रशिक्षकों के लिए अलग भोजन क्यों बनता है? धर्म को समर्पित संस्थान से ज्यादा समानता तो आम लोगों के घरों में है। हर घर की रसोई में समान भोजन पकता है और सब समान भाव से मिल-बांटकर खाते हैं। यह कैसा धार्मिक कायदा कि गुरु छप्पन भोग उड़ाए और चेला सूखी रोटी चबाए? कथनी और करनी, सिद्धांत और अभ्यास में इतना फर्क?
बाकी भी विद्यार्थी थे, भेड़चाल में पढ़े चले जा रहे थे कि एक दिन उनका समय भी आएगा, वे भी अच्छा पहनेंगे-खाएंगे। किशोर का मन उचटने लगा। उम्र के 18 साल पार करते ही वह युवा ईसाई पुरोहित बनाने वाले संस्थान से भाग निकला। घर लौटना आसान नहीं था, तो मंगलुरु में ही मजदूर बनकर आजाद जिंदगी की शुरुआत हुई। धर्म का पवित्र आदेश स्वीकारने और फिर पाखंडी करार दिए जाने के डर से घुटन महसूस करने के बजाय उन्होंने दुनिया का डटकर सामना करने का फैसला किया। पास में न बिस्तर था, न सर पर छत, सड़कों पर जिंदगी बसर होने लगी। यही वह समय था, जब उनकी समाजवादी नेताओं से मुलाकात शुरू हुई, जो समता से भरे समाज का सपना देख रहे थे। यह मन ही मन शुरू में ही स्पष्ट हो गया कि शोषितों के हित में उद्योग मालिकों से लड़ना पड़ेगा, चाहे कुछ हो जाए।
वह मंगलुरु से मुंबई आ गए। वहां भी मजदूरों के लिए झंडा उठाया। कुछ ही समय में मुंबई में उन्हें लोग श्रमिक नेता के रूप में जानने लगे। एक समय नारे लगते थे, टैक्सी चालकों का नेता कौन - जॉर्ज फर्नांडिस...जॉर्ज फर्नांडिस। दक्षिण मंुबई जैसी लोकसभा सीट पर उन्होंने कांग्रेस के एक दिग्गज नेता को ऐसी पटकनी दी कि वह फिर उबर न पाए। भारत में रेलवे की पहली और अंतिम हड़ताल का नेतृत्व उन्होंने किया। कई बार जेल गए। आपातकाल के समय भी जेल गए और जेल में ही उन्हें सूचना मिली कि वह मुजफ्फरपुर से लोकसभा चुनाव जीत गए हैं। पूरे देश को अपना क्षेत्र समझने वाले जॉर्ज फर्नांडिस (1930-2019) ताउम्र कुरता-पायजामा और चप्पल में रहे। वह देश के रक्षा मंत्री हुए, पर कपड़ों पर सिलवटें हों, तो कोई बात नहीं, इस देश के आम लोगों और मजदूरों के कपड़ों पर भी सिलवटें हैं। लोगों का नेता लोगों जैसा ही होना चाहिए, ऐसा नहीं कि भूखी जनता के बीच खुद ऊंची कुरसी पर बैठ जाए और मालपुआ भोग लगाए। बंगलुरु से मुंबई और बिहार तक बार-बार याद किए जाने वाले, 3 जून को जन्मे, जॉर्ज फर्नांडिस कहते थे, ‘इतिहास में रहने के बजाय हमें इतिहास से सीखना चाहिए।’
प्रस्तुति : ज्ञानेश उपाध्याय
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।