धमकियों के खिलाफ
- भारत में हमले या विस्फोट की धमकियों का सिलसिला चिंताजनक और विचारणीय है। हालांकि, अच्छी बात है कि यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी संज्ञान में है और सरकार दोषियों पर शिकंजा कसती चली आ रही है…
भारत में हमले या विस्फोट की धमकियों का सिलसिला चिंताजनक और विचारणीय है। हालांकि, अच्छी बात है कि यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी संज्ञान में है और सरकार दोषियों पर शिकंजा कसती चली आ रही है। विशेष रूप से भारतीय विमान सेवाओं को निशाना बनाने की मिल रही धमकियों के बीच सुरक्षा एजेंसियां पूरी सतर्कता बरत रही हैं। सरकार फर्जी बम धमकी संदेशों और कॉल को गंभीरता से ले रही है, तो यह जरूरी भी है। ऐसी धमकियों में से अगर एक भी सही हो जाए, तो एक बड़ा झटका हो जाएगा। उन तमाम स्रोतों पर चौकसी बढ़ा देनी चाहिए, जहां से धमकियां आ रही हैं। इंटरनेट की दुनिया में निजी कंपनियों का वर्चस्व है, लेकिन सरकार की पहरेदारी कमजोर नहीं पड़नी चाहिए। मेटा, एक्स या किसी भी अन्य प्लेटफॉर्म के जरिये अगर धमकी मिल रही है, तो उसका गंभीरता से पीछा करना चाहिए। कई बार बहुत सामान्य किस्म के लोग भी किसी न किसी सनक के वशीभूत होकर धमकी देने पर उतर आते हैं और बाद में पुलिस का जब शिकंजा कसता है, तो गिड़गिड़ाने लगते हैं। ऐसे लोगों को भी आसानी से जाने नहीं देना चाहिए। ऐसी एक-एक धमकी कड़ी कार्रवाई की मांग करती है।
सोशल मंचों को भी सलाह दी गई है कि इस तरह की धमकियों को लोगों के बीच प्रसारित होने से रोका जाए। इसलिए ऐसी धमकियों को तत्काल प्लेटफार्म से हटा लिया जाए। फर्जी धमकियों का लोगों के लिए कोई महत्व नहीं है, पर सुरक्षा एजेंसियों केलिए ये धमकियां मायने रखती हैं। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भी पूरी तरह सतर्क रहना चाहिए। धमकियों से निपटना और सतर्क रहना किसी एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। बम की धमकियों के संदर्भ में विमानन कंपनियों के अधिकारियों को भी परस्पर सतत सहयोग के साथ काम करना चाहिए। ध्यान देने की बात है कि जिस दौर में खालिस्तानी आंदोलन जोरों पर था, उस दौर में विमान अक्सर आतंकियों के निशाने पर पाए जाते थे। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने तब न केवल धमकी देने वालों के नेटवर्क को तोड़ा, बल्कि धमकी देने वालों पर भी शिकंजा कस दिया। नतीजा, भारत में सुरक्षा का माहौल बना। सुरक्षित माहौल अभी भी है, पर कुछ तत्व अच्छे माहौल में असुरक्षा का विष घोलना चाहते हैं। ध्यान रहे, किसी-किसी दिन तो बीसियों धमकियां मिल रही हैं और केवल विमान या एयरपोर्ट ही निशाने पर नहीं हैं। लखनऊ के होटल ताज को भी धमकी मिली है और तिरुपति के इस्कॉन मंदिर को भी। धमकियों की विविधता भी चिंता बढ़ा रही है। धमकियों की पूरी प्रवृत्ति को समझने की जरूरत है। जरूरी नहीं कि धमकियों के पीछे एक खास समूह हो, अनेक लोग या अनेक समूह भी हो सकते हैं। इतना तय है कि इन तमाम दोषियों की असली जगह जेल में है।
एक बड़ा खतरा डार्क वेब का है, जहां से आने वाली किसी कॉल या संदेश का पता लगाना असंभव हो जाता है। हालांकि, नए भारत के पास डार्क वेब को भी खंगालने की क्षमता होनी चाहिए। ऐसे पेशेवरों की जरूरत है, जो बिना समय गंवाए धमकी देने वालों तक पहुंच सकें। ध्यान रहे, यह दीपावली का समय सभी के लिए सतर्कता सुनिश्चित करने का समय है। फर्जी धमकी ही सही, ऐसे तमाम अपराधों के खिलाफ हमें मिलकर लड़ना चाहिए। किसी भी प्रकार की असुरक्षा के खिलाफ हमारी सजगता ही सबसे सही जवाब है।
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