कीमती स्वर्ण
स्वर्ण की कीमत का लगातार बढ़ते जाना चिंताजनक व विचारणीय है। दस ग्राम सोने की कीमत का 83 हजार रुपये के करीब पहुंच जाना पहली नजर में दुनिया में चिंताजनक होती स्थिति की गवाही दे रहा है…
स्वर्ण की कीमत का लगातार बढ़ते जाना चिंताजनक व विचारणीय है। दस ग्राम सोने की कीमत का 83 हजार रुपये के करीब पहुंच जाना पहली नजर में दुनिया में चिंताजनक होती स्थिति की गवाही दे रहा है। वैसे स्वर्ण के भाव बढ़ने के अनेक कारण हैं, जिन पर गौर करना चाहिए। अव्वल तो सोने की वैश्विक मांग बढ़ी है। ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर आर्थिक अस्थिरता बढ़ी है। आर्थिक अस्थिरता बढ़ी है, क्योंकि दुनिया में राजनीतिक अनिश्चितता दिख रही है। वास्तव में, सोने की कीमतों में दिसंबर महीने से ही बढ़त का रुख है। यह वही समय है, जब अमेरिका ने डोनाल्ड ट्रंप को दोबारा राष्ट्रपति चुना। ट्रंप ने दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की चिंता बढ़ा दी है, जिससे लोग स्वर्ण में निवेश को सबसे सुरक्षित समझने लगे हैं। आर्थिक अनिश्चितता दूर होते ही संभव है, स्वर्ण की कीमत में कुछ नरमी आए। आज भी ज्यादातर लोगों की सोच पारंपरिक है और स्वर्ण को बुनियादी निवेश माना जाता है। आज स्वर्ण में जरूरत से ज्यादा निवेश है। आम लोग ही नहीं, बड़ी-बड़ी कंपनियां, यहां तक कि सरकारें भी स्वर्ण खरीदकर इसकी वैश्विक मांग बढ़ाने में भागीदार बनती रही हैं।
स्वर्ण की कीमत मुद्राओं के अलग-अलग मूल्य और ब्याज दरों से भी प्रभावित होती है। सरकारी नीतियों की वजह से भी स्वर्ण प्रभावित होता है। अन्य मुद्र्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की ताकत जैसे अंतरराष्ट्रीय कारक भी भारतीय बाजार में सोने की दरों पर प्रभाव डालते हैं। 24 कैरेट स्वर्ण की कीमत का एकमुश्त 860.0 रुपये बढ़ना और 82 हजार रुपये के आंकड़े के पार रहना तवज्जो की मांग करता है। प्रति किलोग्राम चांदी की कीमत भी 99,500 रुपये के आसपास चल रही है। आशंका यही है कि अगर विश्व में राजनीतिक अनिश्चितता बनी रही, तो कीमतों में और बढ़ोतरी होगी। ध्यान देने की बात है कि साल 2021 में डोनाल्ड ट्रंप जब राष्ट्रपति पद से विदा हुए थे, तब प्रति दस ग्राम सोने का भाव भारत में 49,000 हजार रुपये भी नहीं पहुंचा था। दुनिया तेजी से बदल रही है, पर आर्थिक गतिविधियों को जैसे सकारात्मक रूप से बढ़ना चाहिए, वैसा नहीं हो रहा है। शेयर बाजार में निवेश अभी भी चिंता से परे नहीं है। शेयर बाजार में बडे़ पैमाने पर निवेश का डूबना भी जारी है। संपत्ति व्यवसाय भी पिछले दो वर्ष से महंगाई से ग्रस्त है। मांग ज्यादा नहीं है, पर आवास, संपत्ति की कीमतों में बढ़त देखी जा रही है। लोगों को लगता है कि संपत्ति में निवेश लंबे समय के लिए फंस जाएगा और उससे होने वाली कमाई भी ज्यादा नहीं है। ऐसे में, घूम-फिरकर स्वर्ण पर सबकी नजरें आ टिकती हैं। मुश्किल समय में भी स्वर्ण को खरीदना और बेचना अपेक्षाकृत ज्यादा आसान है, तो विश्व स्तर पर उसकी मांग का बढ़ते जाना स्वाभाविक है।
अब प्रश्न यह है कि स्वर्ण की कीमतों पर लगाम का उपाय क्या है? पहला उपाय तो यही है कि डोनाल्ड ट्रंप अपनी नीतियों को दुनिया के लिए चिंताजनक न बनाएं। देशों के बीच परस्पर तनाव न बढ़े। ट्रंप अगर दुनिया में एकतरफा बडे़ कायाकल्प पर जोर देंगे, तो बाजार में अनिश्चितता का दौर लगातार बना रहेगा। आर्थिक विशेषज्ञ अब हिसाब लगाने लगे हैैं कि ट्रंप के कड़े या स्वार्थपूर्ण कदमों से दुनिया को कितना नुकसान होने वाला है। अन्य देशों और अमेरिका के प्रतिद्वंद्वी वैश्विक संगठनों-गठजोड़ों को भी संयम और समझदारी का परिचय देना होगा, ताकि बाजार में मांग-आपूर्ति, लेन-देन के बीच वाजिब संतुलन बना रहे और किसी भी चीज की कीमत बेकाबू न हो।
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